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मंडी में कई परिवार नहीं छोड़ना चाहते गरीबी का 'तमगा', ऐसी क्या है मजबूरी - BPL quota

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 20, 2024, 5:18 PM IST

Updated : Aug 20, 2024, 5:37 PM IST

मंडी शहर में कई परिवार साधन संपन्न होने के बाद भी बीपीएल सदस्यता नहीं छोड़ रहे हैं. 2005 में जब मंडी शहर में बीपीएल परिवारों का चयन हुआ तो उस वक्त 524 परिवार शामिल किए गए थे. 19 सालों बाद मात्र 127 परिवारों ने ही बीपीएल की सदस्यता छोड़ी है.

कॉन्सेप्ट फोटो
कॉन्सेप्ट फोटो (ETV BHARAT)
कई सालों से बीपीएल कोटा नहीं छोड़ रहे परिवार (ETV BHARAT)

मंडी: जिले में लगभग 400 परिवार ऐसे हैं जो 19 साल पहले भी गरीब थे और आज भी गरीब ही हैं. अभी भी कई परिवार साधन संपन्न होने के बाद बी बीपीएल सदस्यता में डटे हुए हैं और इसका लाभ उठाकर जरूरतमंद गरीबों का हक डकार रहे हैं. वर्ष 2005 में जब मंडी शहर में बीपीएल परिवारों का चयन हुआ तो उस वक्त 524 परिवार इसके हकदार बने. 19 सालों में मात्र 127 परिवार ऐसे हैं जिन्होंने बीपीएल सदस्यता को अलविदा कहा वो भी शायद इसलिए क्योंकि या तो परिवार से कोई सदस्य सरकारी नौकरी लग गया या फिर किसी ने अपना कारोबार शुरू कर दिया.

नगर निगम मंडी के मेयर वीरेंद्र भट्ट खुद इस बात को मानते हैं कि, 'मौजूदा समय में अधिकतर बीपीएल परिवार गरीबी रेखा से उपर उठ चुके हैं और अब सरकार को नया सर्वे करने की जरूरत है, ताकि जरूरतमंद गरीब परिवारों को इसमें शामिल किया जा सके. इन्होंने साधन संपन्न परिवारों से स्वेच्छा से बीपीएल श्रेणी से बाहर आने का भी आग्रह किया है.' बता दें कि वर्ष 2021 में मंडी शहर को नगर परिषद से नगर निगम का दर्जा दे दिया गया है. अब इसमें कुछ ग्रामीण क्षेत्रों को भी जोड़ा गया. यहां के बीपीएल परिवारों को मिलाकर अब नगर निगम मंडी के बीपीएल परिवारों की संख्या बढ़कर 904 हो गई है.

वीरेंद्र भट्ट ने बताया कि, 'आज भी बीपीएल परिवारों के चयन का वही क्राइटेरिया निर्धारित है जो वर्ष 2005 में था. पात्र परिवार के पास कच्चा घर, किसी सदस्य का सरकारी नौकरी में न होना, 35 हजार सालाना से कम आय और इसके अलावा अन्य कई प्रकार के क्राइटेरिया निर्धारित किए गए हैं. इसके अलावा शहर में बीपीएल परिवारों की संख्या को भी एक निश्चित संख्या में रखा गया है. नया परिवार तभी बीपीएल में शामिल होता है, जब कोई पहले से शामिल परिवार इससे बाहर होता है. ऐसे में उन जरूरतमंद परिवारों का क्या कसूर जो 19 वर्षों से गरीबी रेखा में जी रहे हैं, लेकिन उनका हक कोई और ही डकार रहा है'

ये भी पढ़ें: शिमला में डॉक्टरों की हड़ताल जारी, चिकित्सकों ने IGMC सचिवालय तक निकाला पैदल मार्च, CM सुक्खू से करेंगे मुलाकात

कई सालों से बीपीएल कोटा नहीं छोड़ रहे परिवार (ETV BHARAT)

मंडी: जिले में लगभग 400 परिवार ऐसे हैं जो 19 साल पहले भी गरीब थे और आज भी गरीब ही हैं. अभी भी कई परिवार साधन संपन्न होने के बाद बी बीपीएल सदस्यता में डटे हुए हैं और इसका लाभ उठाकर जरूरतमंद गरीबों का हक डकार रहे हैं. वर्ष 2005 में जब मंडी शहर में बीपीएल परिवारों का चयन हुआ तो उस वक्त 524 परिवार इसके हकदार बने. 19 सालों में मात्र 127 परिवार ऐसे हैं जिन्होंने बीपीएल सदस्यता को अलविदा कहा वो भी शायद इसलिए क्योंकि या तो परिवार से कोई सदस्य सरकारी नौकरी लग गया या फिर किसी ने अपना कारोबार शुरू कर दिया.

नगर निगम मंडी के मेयर वीरेंद्र भट्ट खुद इस बात को मानते हैं कि, 'मौजूदा समय में अधिकतर बीपीएल परिवार गरीबी रेखा से उपर उठ चुके हैं और अब सरकार को नया सर्वे करने की जरूरत है, ताकि जरूरतमंद गरीब परिवारों को इसमें शामिल किया जा सके. इन्होंने साधन संपन्न परिवारों से स्वेच्छा से बीपीएल श्रेणी से बाहर आने का भी आग्रह किया है.' बता दें कि वर्ष 2021 में मंडी शहर को नगर परिषद से नगर निगम का दर्जा दे दिया गया है. अब इसमें कुछ ग्रामीण क्षेत्रों को भी जोड़ा गया. यहां के बीपीएल परिवारों को मिलाकर अब नगर निगम मंडी के बीपीएल परिवारों की संख्या बढ़कर 904 हो गई है.

वीरेंद्र भट्ट ने बताया कि, 'आज भी बीपीएल परिवारों के चयन का वही क्राइटेरिया निर्धारित है जो वर्ष 2005 में था. पात्र परिवार के पास कच्चा घर, किसी सदस्य का सरकारी नौकरी में न होना, 35 हजार सालाना से कम आय और इसके अलावा अन्य कई प्रकार के क्राइटेरिया निर्धारित किए गए हैं. इसके अलावा शहर में बीपीएल परिवारों की संख्या को भी एक निश्चित संख्या में रखा गया है. नया परिवार तभी बीपीएल में शामिल होता है, जब कोई पहले से शामिल परिवार इससे बाहर होता है. ऐसे में उन जरूरतमंद परिवारों का क्या कसूर जो 19 वर्षों से गरीबी रेखा में जी रहे हैं, लेकिन उनका हक कोई और ही डकार रहा है'

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Last Updated : Aug 20, 2024, 5:37 PM IST
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