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लाखों का पैकेज छोड़कर शुरू किया अपना कारोबार, आज 52 बूटी शिल्प कला की बन चुकी हैं पहचान - Bawan Buti handicraft

Success Story : 52 बूटी शिल्प को बिहार ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट करने के लिए रिद्धिमा श्रीवास्तव ने अपना लाखों का पैकेज छोड़कर अपना कारोबार शुरू किया. आज वो न सिर्फ सैकड़ों लोगों को रोजगार दे रही हैं बल्कि उन्होंने लुप्त होती कला में जान फूंकने का भी काम किया है. मधुबनी कला की तरह ही उन्होंने 52 बूटी को प्रमोट करने के लिए विदेशों तक की दौड़ लगा रही हैं. पढ़ें पूरी खबर-

52 बूटी की कला को मिल रही पहचान
52 बूटी की कला को मिल रही पहचान (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 13, 2024, 10:46 PM IST

Updated : Aug 13, 2024, 10:58 PM IST

52 बूटी की कला को मिल रही पहचान (ETV Bharat)

पटना : बिहार विभिन्न शिल्प कलाओं का धनी प्रदेश है, लेकिन आज यहां के शिल्प धीरे-धीरे लुप्त हो रहे हैं. इसी लुप्त होते शिल्प में एक शिल्प है 52 बूटी. बावन बूटी शिल्प में शॉल, साड़ी, चादर, टेबल क्लॉथ, पर्दा इत्यादि कई प्रकार के उत्पाद आते हैं. इस शिल्प के बने कपड़ा उत्पाद का पौराणिक महत्व भी बताया जाता है.

52 बूटी की कला को मिल रही पहचान : इस कला को पटना की रिद्धिमा श्रीवास्तव राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रमोट करने में जुटी हुई है. रिद्धिमा कभी मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों के पैकेज पर थी लेकिन 8 साल की नौकरी के बाद उन्होंने अपने जुनून के क्षेत्र में काम करने को चुना. लोक शिल्प पर काम करना उनका जुनून था तो उन्होंने 52 बूटी पर काम करना शुरू किया है. आज सालाना 30 लाख का टर्नओवर है और 500 से अधिक लोग उनके माध्यम से रोजगार से जुड़े हुए हैं.

लाखों का पैकेज छोड़कर कला को प्रमोट कर रहीं रिद्धिमा : रिद्धिमा बताती हैं कि उनकी कंपनी WEAVEHAND को उन्होंने अपनी बचत से 2021 में शुरू किया और उनके प्रोडक्ट 2022 से बाजार में आने लगे थे. आज 30 लाख तक टर्नओवर चला गया है और अगले 1 साल में यह 50 लाख से भी ऊपर जाने का अनुमान है. मधुबनी पेंटिंग पर लोग काम कर रहे हैं लेकिन बिहार में 52 बूटी की कला आज गुम होती जा रही है.

52 बूटी शिल्प से निर्मित साड़ी
52 बूटी शिल्प से निर्मित साड़ी (ETV Bharat)

पद्मश्री कपिल देव प्रसाद की कला को बढ़ा रहीं आगे : 52 बूटी के फील्ड में काम करने के लिए बिहार से कपिल देव प्रसाद जी को पद्मश्री भी मिला हुआ है. आज कपिल देव प्रसाद इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी बहू नीलू प्रसाद इस पर काम कर रही हैं और उनके साथ वह जुड़कर 52 बूटी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट कर रही हैं.

52 बूटी शिल्प की पौराणिक मान्यता : 52 बूटी शिल्प उत्पाद बहुत ही पवित्र माने जाते हैं. इन उत्पादों पर 52 जगह पर बूटी की कढ़ाई होती है. इसे हाथों से इसे तैयार करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि सतयुग में भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था तो उनकी ऊंचाई 52 उंगली की थी और यहीं से 52 बूटी शिल्प ने जन्म लिया. कहां यह भी जाता है कि त्रेता में प्रभु राम के राज्याभिषेक के बाद जब उनके मित्र सुग्रीव लौटने लगे तो प्रभु राम ने अपने हाथों से 52 बूटी शिल्प में शॉल तैयार करके सुग्रीव को भेंट किया था.

''बिहार में 500 से अधिक हैंडलूम कारीगरों को अपने साथ जोड़ा हुआ है. इनमें से 100 से अधिक हैं जो सिर्फ 52 बूटी के लिए ही काम करते हैं. 25 लोग हमारे कंपनी में मार्केटिंग के लिए हैं जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ट्रेडर्स से उनके डिमांड के अनुरूप डील कर प्रोडक्ट की सप्लाई सुनिश्चित कराती हैं.''- रिद्धिमा श्रीवास्तव, फाउंडर, WEAVEHAND

52 बूटी शिल्प से निर्मित शॉल
52 बूटी शिल्प से निर्मित शॉल (ETV Bharat)
52 बूटी को मिला है GI टैग : रिद्धिमा बताती हैं कि बिहार के 52 बूटी के जीआई टैग भी मिला हुआ है. वह मार्केट से 52 बूटी में लोगों से डिमांड उठाती हैं. अधिकांश लोग अपने प्रोडक्ट पर बूटी से चिड़िया की कढाई डिमांड करते हैं. लोग जिस प्रकार कस्टमाइज करके डिमांड करते हैं उसे प्रकार वह आर्टिजंस से काम करती हैं.

देश से बाहर भी 52 बूटी का जलवा : बिहार में 9 जगहों पर उनके क्लस्टर चल रहे हैं, हर प्रोडक्ट तैयार होने पर उसे प्रोडक्ट का तो आर्टिजन को पेमेंट मिलता ही है, प्रोडक्ट सेल होने पर प्रॉफिट का 7% आर्टिजन को भी मिलता है. इससे आर्टिजन मन से काम करते हैं. उन्होंने बताया कि वह 52 बूटी प्रोडक्ट्स को भारत के हर हिस्सों में सेल करती हैं इसके अलावा लंदन और ऑस्ट्रेलिया में भी सेल करती हैं. अब इसे जापान के मार्केट में इंट्रोड्यूस करने के लिए बातचीत अंतिम दौर में चल रही है.

कला को प्रमोट करने की अपील : रिद्धिमा ने कहा कि पहले शादी विवाह में लड़की वालों के तरफ से लड़कों वालों के लिए 52 बूटी की साड़ी जरूर भेजी जाती थी. यह काफी शुभ माना जाता था और इसकी परंपरा थी. लेकिन अब यह परंपरा खत्म हो रही है. ऐसे में लोगों से जाकर वह अपील करती हैं कि अपने बेटे बेटी की शादी के लिए बनारसी खरीदने आप बनारस चले जाते हैं तो जरूर जाइए. लेकिन उसी बनारसी साड़ी के साथ 52 बूटी और मधुबनी आर्ट की 1-1 साड़ी भी जरूर दीजिए.

बावन बूटी कला को रिद्धिमा ने दी रफ्तार
बावन बूटी कला को रिद्धिमा ने दी रफ्तार (ETV Bharat)

''जयपुर के क्राफ्ट को-हार्ट में यह प्रोजेक्ट सिलेक्ट हुआ है और इसे प्रमोट करने मैं जयपुर भी जाती हूं. जहां अभी के फैशन के साथ कैसे 52 बूटी को रेलीवेंट बनाया जा सकता है. इसमें क्या इनोवेशन किया जा सकता है इस पर काम होता है.''- रिद्धिमा श्रीवास्तव, फाउंडर, WEAVEHAND

पद्मश्री की बहू भी 52 बूटी के प्रसार में जुटीं : दिवंगत पद्मश्री कपिल देव प्रसाद की बहू नीलू प्रसाद ने बताया कि वह अपने ससुर की परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं. हाथों से बूटी की कढ़ाई की जाती है. जो ताना-बना लगा रहता है उसमें बूटी डाला जाता है और प्रोडक्ट तैयार किया जाता है. साड़ी, कुर्ता, सूट, पर्दा, चादर, सभी प्रकार के उत्पाद इस शिल्प कला में तैयार होते हैं.

मार्केटिंग करके भी कला का विस्तार : WEAVEHAND की मार्केटिंग इंचार्ज शिवानी बताती हैं कि वह मेल और अपने अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को चेक करते रहती हैं. बायर्स डिमांड करते हैं और उन्हें जितने क्वांटिटी में डिमांड होती है उनके लोकेशन तक उसे एक्सपोर्ट कराने का वह काम करती हैं. कई बायर्स कस्टमाइज प्रोडक्ट चाहते हैं तो उसके अनुसार प्रोडक्ट भी तैयार कराया जाता है.

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52 बूटी की कला को मिल रही पहचान (ETV Bharat)

पटना : बिहार विभिन्न शिल्प कलाओं का धनी प्रदेश है, लेकिन आज यहां के शिल्प धीरे-धीरे लुप्त हो रहे हैं. इसी लुप्त होते शिल्प में एक शिल्प है 52 बूटी. बावन बूटी शिल्प में शॉल, साड़ी, चादर, टेबल क्लॉथ, पर्दा इत्यादि कई प्रकार के उत्पाद आते हैं. इस शिल्प के बने कपड़ा उत्पाद का पौराणिक महत्व भी बताया जाता है.

52 बूटी की कला को मिल रही पहचान : इस कला को पटना की रिद्धिमा श्रीवास्तव राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रमोट करने में जुटी हुई है. रिद्धिमा कभी मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों के पैकेज पर थी लेकिन 8 साल की नौकरी के बाद उन्होंने अपने जुनून के क्षेत्र में काम करने को चुना. लोक शिल्प पर काम करना उनका जुनून था तो उन्होंने 52 बूटी पर काम करना शुरू किया है. आज सालाना 30 लाख का टर्नओवर है और 500 से अधिक लोग उनके माध्यम से रोजगार से जुड़े हुए हैं.

लाखों का पैकेज छोड़कर कला को प्रमोट कर रहीं रिद्धिमा : रिद्धिमा बताती हैं कि उनकी कंपनी WEAVEHAND को उन्होंने अपनी बचत से 2021 में शुरू किया और उनके प्रोडक्ट 2022 से बाजार में आने लगे थे. आज 30 लाख तक टर्नओवर चला गया है और अगले 1 साल में यह 50 लाख से भी ऊपर जाने का अनुमान है. मधुबनी पेंटिंग पर लोग काम कर रहे हैं लेकिन बिहार में 52 बूटी की कला आज गुम होती जा रही है.

52 बूटी शिल्प से निर्मित साड़ी
52 बूटी शिल्प से निर्मित साड़ी (ETV Bharat)

पद्मश्री कपिल देव प्रसाद की कला को बढ़ा रहीं आगे : 52 बूटी के फील्ड में काम करने के लिए बिहार से कपिल देव प्रसाद जी को पद्मश्री भी मिला हुआ है. आज कपिल देव प्रसाद इस दुनिया में नहीं है लेकिन उनकी बहू नीलू प्रसाद इस पर काम कर रही हैं और उनके साथ वह जुड़कर 52 बूटी को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट कर रही हैं.

52 बूटी शिल्प की पौराणिक मान्यता : 52 बूटी शिल्प उत्पाद बहुत ही पवित्र माने जाते हैं. इन उत्पादों पर 52 जगह पर बूटी की कढ़ाई होती है. इसे हाथों से इसे तैयार करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि सतयुग में भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया था तो उनकी ऊंचाई 52 उंगली की थी और यहीं से 52 बूटी शिल्प ने जन्म लिया. कहां यह भी जाता है कि त्रेता में प्रभु राम के राज्याभिषेक के बाद जब उनके मित्र सुग्रीव लौटने लगे तो प्रभु राम ने अपने हाथों से 52 बूटी शिल्प में शॉल तैयार करके सुग्रीव को भेंट किया था.

''बिहार में 500 से अधिक हैंडलूम कारीगरों को अपने साथ जोड़ा हुआ है. इनमें से 100 से अधिक हैं जो सिर्फ 52 बूटी के लिए ही काम करते हैं. 25 लोग हमारे कंपनी में मार्केटिंग के लिए हैं जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ट्रेडर्स से उनके डिमांड के अनुरूप डील कर प्रोडक्ट की सप्लाई सुनिश्चित कराती हैं.''- रिद्धिमा श्रीवास्तव, फाउंडर, WEAVEHAND

52 बूटी शिल्प से निर्मित शॉल
52 बूटी शिल्प से निर्मित शॉल (ETV Bharat)
52 बूटी को मिला है GI टैग : रिद्धिमा बताती हैं कि बिहार के 52 बूटी के जीआई टैग भी मिला हुआ है. वह मार्केट से 52 बूटी में लोगों से डिमांड उठाती हैं. अधिकांश लोग अपने प्रोडक्ट पर बूटी से चिड़िया की कढाई डिमांड करते हैं. लोग जिस प्रकार कस्टमाइज करके डिमांड करते हैं उसे प्रकार वह आर्टिजंस से काम करती हैं.

देश से बाहर भी 52 बूटी का जलवा : बिहार में 9 जगहों पर उनके क्लस्टर चल रहे हैं, हर प्रोडक्ट तैयार होने पर उसे प्रोडक्ट का तो आर्टिजन को पेमेंट मिलता ही है, प्रोडक्ट सेल होने पर प्रॉफिट का 7% आर्टिजन को भी मिलता है. इससे आर्टिजन मन से काम करते हैं. उन्होंने बताया कि वह 52 बूटी प्रोडक्ट्स को भारत के हर हिस्सों में सेल करती हैं इसके अलावा लंदन और ऑस्ट्रेलिया में भी सेल करती हैं. अब इसे जापान के मार्केट में इंट्रोड्यूस करने के लिए बातचीत अंतिम दौर में चल रही है.

कला को प्रमोट करने की अपील : रिद्धिमा ने कहा कि पहले शादी विवाह में लड़की वालों के तरफ से लड़कों वालों के लिए 52 बूटी की साड़ी जरूर भेजी जाती थी. यह काफी शुभ माना जाता था और इसकी परंपरा थी. लेकिन अब यह परंपरा खत्म हो रही है. ऐसे में लोगों से जाकर वह अपील करती हैं कि अपने बेटे बेटी की शादी के लिए बनारसी खरीदने आप बनारस चले जाते हैं तो जरूर जाइए. लेकिन उसी बनारसी साड़ी के साथ 52 बूटी और मधुबनी आर्ट की 1-1 साड़ी भी जरूर दीजिए.

बावन बूटी कला को रिद्धिमा ने दी रफ्तार
बावन बूटी कला को रिद्धिमा ने दी रफ्तार (ETV Bharat)

''जयपुर के क्राफ्ट को-हार्ट में यह प्रोजेक्ट सिलेक्ट हुआ है और इसे प्रमोट करने मैं जयपुर भी जाती हूं. जहां अभी के फैशन के साथ कैसे 52 बूटी को रेलीवेंट बनाया जा सकता है. इसमें क्या इनोवेशन किया जा सकता है इस पर काम होता है.''- रिद्धिमा श्रीवास्तव, फाउंडर, WEAVEHAND

पद्मश्री की बहू भी 52 बूटी के प्रसार में जुटीं : दिवंगत पद्मश्री कपिल देव प्रसाद की बहू नीलू प्रसाद ने बताया कि वह अपने ससुर की परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं. हाथों से बूटी की कढ़ाई की जाती है. जो ताना-बना लगा रहता है उसमें बूटी डाला जाता है और प्रोडक्ट तैयार किया जाता है. साड़ी, कुर्ता, सूट, पर्दा, चादर, सभी प्रकार के उत्पाद इस शिल्प कला में तैयार होते हैं.

मार्केटिंग करके भी कला का विस्तार : WEAVEHAND की मार्केटिंग इंचार्ज शिवानी बताती हैं कि वह मेल और अपने अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को चेक करते रहती हैं. बायर्स डिमांड करते हैं और उन्हें जितने क्वांटिटी में डिमांड होती है उनके लोकेशन तक उसे एक्सपोर्ट कराने का वह काम करती हैं. कई बायर्स कस्टमाइज प्रोडक्ट चाहते हैं तो उसके अनुसार प्रोडक्ट भी तैयार कराया जाता है.

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Last Updated : Aug 13, 2024, 10:58 PM IST
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