देहरादून: उत्तराखंड में भीषण गर्मी अपने अब तक के अधिकतम रिकॉर्ड के बिल्कुल नजदीक है. देहरादून में तो मई की गर्मी ने पिछली सदी का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. ऐसे में देहरादून शहर में जलापूर्ति करने वाली नदियों के साथ-साथ ग्राउंड वाटर लेवल भी लगातार और गिरता जा रहा है. क्या है स्थिति और कैसे इससे निपटने के लिए किया जा रहा है प्लान देखिए ये रिपोर्ट.
सूख रही नदियां, ट्यूबवेल में डालने पड़ रहे एक्स्ट्रा पाइप: उत्तराखंड के शहरों में लगातार पड़ रही भीषण गर्मी और सरफेस वाटर की पूर्ति कर रही नदियों में काम होते पानी के चलते पेयजल की किल्लत से जूझना पड़ रहा है. जल संस्थान की एमडी नीलिमा गर्ग के अनुसार देहरादून शहर में सरफेस वाटर की आपूर्ति बंडल नदी, मौसी फॉल, बीजापुर कैनाल और गलोगी वाटर स्टेशन से होती है. जल संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार इन सभी जगह से होने वाली जलापूर्ति में कमी आ गई है. जल संस्थान के आंकड़ों के अनुसार..
घट गई जलापूर्ति
- देहरादून शहर में बंडल नदी से 21 MLD की आपूर्ति होती है जो कि अब घटकर 6 MLD हो गई है
- मौसी फॉल से जलापूर्ति 14 MLD से घटकर 12.5 MLD हो गई है
- बीजापुर कैनाल से होने वाली 8 MLD की जलापूर्ति घटकर 6 एमएलडी हो गई है
- गलोगी वाटर स्टेशन से प्राप्त होने वाली 14.5 MLD आपूर्ति घटकर 12.5 MLD हो गयी है
जल संस्थान के अधिकारियों के अनुसार शहर में इस वक्त मोहल्लों के आखिर में रहने वाले और अन्य लोगों की तुलना में अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में पानी पहुंचने में दिक्कत आ रही है. राज्य में इस वक्त पेयजल की समस्या से जूझ रहे शहरों की बात करें, तो उनमें हल्द्वानी, नैनीताल और देहरादून शामिल हैं जहां पर पेयजल समस्याएं बढ़ी हैं. पेयजल की इन समस्याओं की तस्दीक आम लोग भी कर रहे हैं.
जमीन के नीचे भी दूर जा रहा है जलस्तर: जल संस्थान की एमडी नीलिमा गर्ग का कहना है कि पानी का संकट केवल सरफेस वाटर पर ही नहीं, बल्कि ग्राउंड वाटर पर भी देखने को मिल रहा है. जल संस्थान से मेरी जानकारी के अनुसार जब सरफेस वाटर की कमी होती है, तो वहां पर जल संस्थान वाटर टैंकर की मदद से पानी की आपूर्ति करता है. यह पानी ट्यूबवेल के माध्यम से ग्राउंड वाटर से इकट्ठा किया जाता है. लेकिन देहरादून शहर में लगातार ग्राउंड वाटर में भी कमी देखने को मिल रही है.
देहरादून शहर में कोलाघाट मातावाला बाग और रायपुर ब्लॉक में ग्राउंड वाटर में भारी कमी देखने को मिली है. जल संस्थान की मैनेजिंग डायरेक्टर नीलिमा गर्ग के अनुसार इन जगहों पर जल संस्थान को अतिरिक्त पाइप डालने पड़े हैं. वहीं सेंट्रल वाटर बोर्ड के डाटा को उठाकर देखें, तो जल शक्ति मंत्रालय द्वारा पब्लिश की गई आखिरी साल 2021-22 की रिपोर्ट में देहरादून के रायपुर ब्लॉक में 4 प्वाइंट और हरिद्वार जिले के रुड़की ब्लॉक में ऐसे चिन्हित किए गए हैं, जहां पर पिछले कुछ सालों में ग्राउंड वाटर बहुत तेजी से घटा है.
उत्तराखंड के 180 शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की किल्लत: अपको बता दें कि देहरादून सहित उत्तराखंड के कई इलाके बढ़ती गर्मी के साथ-साथ पानी की किल्लत झेल रहे हैं. नैनीताल, देहरादून, हल्द्वानी और हरिद्वार के साथ साथ करीब 180 शहरी और ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं, जहां पानी की सप्लाई को पूरा करना पड़ रहा है. जल संस्थान द्वारा अपने और निजी टैंकरों का सहारा लेकर इन कमियों को पूरा किया जा रहा है, लेकिन बारिश न होने की वजह से यह परेशानी रोजाना खड़ी हो जाती है. ऐसे में लोग सभी काम छोड़कर अपने घर से दूर जाकर पानी लाने को मजबूर हैं.
सबसे ज्यादा दिक्कत घर में रहने वाली कामकाजी महिलाओं को हो रही है, जो पानी की किल्लत के चलते घरों का काम पूरा नहीं कर पाती हैं. देहरादून के कई इलाके ऐसे हैं, जहां पानी की सप्लाई टैंकरों द्वारा की जा रही है. जबकि कुछ एक जगह पर पहाड़ों से आने वाले स्रोत के जरिए भी पानी की पूर्ति की जा रही है, जहां लोगों की सुबह से ही लंबी-लंबी लाइन लगती है. घर की महिलाएं पानी न होने की वजह से परेशान हैं तो पुरुष भी सुबह पानी लाने के लिए काफी दूर तक जाते हैं.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड के 436 इलाकों में पेयजल संकट, चारधाम यात्रा में पानी उपलब्ध कराना बड़ी चुनौती, जानिए जल संस्थान का प्लान