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'बिहार की राजनीतिक समीकरण में हुआ है बदलाव, लेकिन कोई भी निषाद को नहीं कर सकता नजरअंदाज', मुकेश सहनी की दो टूक - Mukesh Sahni

Mukesh Sahni : कहते हैं राजनीति में मोल भाव काफी मायने रखता है. जब गठबंधन की बात आती है तो इसमें काफी कुछ ध्यान में रखा जाता है. नेता अपनी तरफ से जोर आजमाइश भी करते हैं. वीआईपी चीफ मुकेश सहनी भी इसी जुगत में लगे हुए हैं. पढ़ें पूरी खबर.

Mukesh Sahni Etv Bharat
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 13, 2024, 4:56 PM IST

पटना : विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने कहा है कि राजनीति में आज के वक्त में उनका जो मुकाम है, वह उन्होंने अपने दम पर बनाया है. वह उन्हें विरासत में नहीं मिली है. मुकेश सहनी ने कहा कि मैं सड़क पर उतरकर संघर्ष किया. उद्देश्य केवल यही था कि निषाद समाज को आरक्षण मिले. देश के कई दूसरे राज्यों में निषाद समाज को आरक्षण मिल रहा है तो वह आरक्षण बिहार में क्यों नहीं मिल रहा है? तब जबकि देश एक है और संविधान एक है.

''आने वाले चुनाव में मेरी पार्टी के लिए सीट मायने नहीं रखती है. हमारी बस एक ही चाहत है कि निषाद आरक्षण की मांग को स्वीकार किया जाए. एक तरफ एनडीए है तो दूसरी तरफ इंडी ब्लॉक. इन दोनों में से जिस किसी को भी निषाद समाज का वोट चाहिए उसे निषाद आरक्षण को स्वीकार करना होगा. जो भी इस पर सहमति देगा, मैं उसके साथ जाऊंगाबगैर आरक्षण पर बात किये मैं किसी के साथ समझौता नहीं करूंगा.''- मुकेश सहनी, वीआईपी चीफ

'निषाद समाज के मतों को अनदेखा नहीं किया जा सकता' : मुकेश सहनी ने कहा कि हमारे मुद्दे पर अभी गोल-गोल सहमति की बात सामने आ रही है लेकिन स्पष्ट रूप से भी कुछ नहीं कहा जा रहा है. मुकेश सहनी ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के महागठबंधन को छोड़कर के एनडीए के साथ चले आने के बाद बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव आ चुका है, लेकिन इतना बड़ा भी बदलाव नहीं आया है, जिसमें निषाद समाज के मतों को अनदेखा किया जा सके.

'मैंने खुद से पहचान बनाई' : मुकेश सहनी ने कहा कि 2018 में हमने पार्टी बनाई और उसके बाद से कई चुनाव को लड़ा. पूरे बिहार में मेहनत करके हमने अपनी एक दुनिया और पहचान बनाई है. उद्देश्य यही है कि समाज का भला हो. मैंने अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा केवल समाज की भलाई के लिए लगा दिया.

पटना : विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने कहा है कि राजनीति में आज के वक्त में उनका जो मुकाम है, वह उन्होंने अपने दम पर बनाया है. वह उन्हें विरासत में नहीं मिली है. मुकेश सहनी ने कहा कि मैं सड़क पर उतरकर संघर्ष किया. उद्देश्य केवल यही था कि निषाद समाज को आरक्षण मिले. देश के कई दूसरे राज्यों में निषाद समाज को आरक्षण मिल रहा है तो वह आरक्षण बिहार में क्यों नहीं मिल रहा है? तब जबकि देश एक है और संविधान एक है.

''आने वाले चुनाव में मेरी पार्टी के लिए सीट मायने नहीं रखती है. हमारी बस एक ही चाहत है कि निषाद आरक्षण की मांग को स्वीकार किया जाए. एक तरफ एनडीए है तो दूसरी तरफ इंडी ब्लॉक. इन दोनों में से जिस किसी को भी निषाद समाज का वोट चाहिए उसे निषाद आरक्षण को स्वीकार करना होगा. जो भी इस पर सहमति देगा, मैं उसके साथ जाऊंगाबगैर आरक्षण पर बात किये मैं किसी के साथ समझौता नहीं करूंगा.''- मुकेश सहनी, वीआईपी चीफ

'निषाद समाज के मतों को अनदेखा नहीं किया जा सकता' : मुकेश सहनी ने कहा कि हमारे मुद्दे पर अभी गोल-गोल सहमति की बात सामने आ रही है लेकिन स्पष्ट रूप से भी कुछ नहीं कहा जा रहा है. मुकेश सहनी ने कहा कि सीएम नीतीश कुमार के महागठबंधन को छोड़कर के एनडीए के साथ चले आने के बाद बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव आ चुका है, लेकिन इतना बड़ा भी बदलाव नहीं आया है, जिसमें निषाद समाज के मतों को अनदेखा किया जा सके.

'मैंने खुद से पहचान बनाई' : मुकेश सहनी ने कहा कि 2018 में हमने पार्टी बनाई और उसके बाद से कई चुनाव को लड़ा. पूरे बिहार में मेहनत करके हमने अपनी एक दुनिया और पहचान बनाई है. उद्देश्य यही है कि समाज का भला हो. मैंने अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा केवल समाज की भलाई के लिए लगा दिया.

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