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नक्सली खौफ से खाली हुए कोयलीबेड़ा में लौटी रौनक, बीएसएफ कैंप ने लौटाई माहला की खुशियां

कांकेर का कोयलीबेड़ा इलाका सालों से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. लाल आतंक के डर से गांव छोड़कर भागे लोग अब लौट रहे हैं.

Villagers returned to Koylibeda
बीएसएफ कैंप ने लौटाई माहला की खुशियां (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 17, 2024, 5:17 PM IST

कांकेर: कोयलीबेड़ा का माहला गांव एक वक्त नक्सलियों के खौफ के चलते खाली हो गया था. बस्तर में एंटी नक्सल ऑपरेनशन के दौरान कोयलीबेड़ा में बीएसएफ का कैंप स्थापित किया गया. कैंप बनने के बाद लोगों में सुरक्षा की भावना बढ़ी और लोग अब अपने गांव लौट रहे हैं. माहला गांव लौटने वाले ग्रामीणों की समस्याओं को सुनने के लिए जिला प्रशासन ने समस्या निवारण कैंप लगाया है. कैंप के जरिए स्थानीय लोगों को जो भी सुविधाएं चाहिए, जो भी दिक्कते हैं उनको दूर करने की कोशिश की जा रही है.

कोयलीबेड़ा के माहला गांव में लौटी रौनक: जन समस्या शिविर में खुद कलेक्टर लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं. पूरा प्रशासनिक अमला लोगों की दिक्कतों को दूर करने में जुटा है. शिविर में शिकायत लेकर आने वाले ज्यादातर आधारभूत जरुरतों को लेकर अपनी बात रख रहे हैं. शासन की भी कोशिश है कि जल्द से जल्द प्रभावित इलाकों में बुनियादी सुविधाएं बढ़ाई जाएं. ग्रामीणों की मांग थी कि इलाके में सामुदायिक भवन बनाया जाए. कलेक्टर ने ग्रामीणों की ये मांग मान ली है.

कोयलीबेड़ा में लौटी रौनक (ETV Bharat)

संवेदनशील इलाकों में जरुरी सुविधाओं को बढ़ाना हमारी पहली प्राथमिकता है. इलाके में विकास का काम और तेज किया जाएगा. जन समस्या निवारण शिविर के जरिए हम लोगों को सुविधाएं मुहैया कराएंगे और उनकी जरुरतों पर भी काम करेंगे. :नीलेश क्षीरसागर, कलेक्टर कांकेर

कलेक्टर नील क्षीरसागर ने दिया भरोसा: कलेक्टर ने कहा कि सरकार आमजनता तक शासन प्रशासन की योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित करने का काम कर रही है. प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार जिला प्रशासन दूर दराज के इलाकों में जनसमस्या निवारण शिविर आयोजित कर रही है. समस्या निवारण शिविर में आकर ग्रामीण अपनी बात रख रहे हैं. कलेक्टर ने ग्रामवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि सुदूर वनांचल क्षेत्र के ग्रामीण अब विकास की मूल धारा से जुड़कर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं.आने वाले दिनों में वे अपने अधिकार से वंचित नहीं रहेंगे.

14 साल पहले गांव छोड़ गए थे लोग: कोयलीबेड़ा ब्लॉक के संवेदनशील ग्राम पंचायत परतापुर के आश्रित ग्राम महला के ग्रामीण माओवादियों के भय के से साल 2009 और 2010 के बीच पलायन कर पखांजूर चले गए थे. पूरा गांव वीरान हो चुका था. बाद में स्थिति सामान्य होने पर ग्रामीण 2017-18 में एक-एक करके यहां वापस विस्थापित हो गए. इसके बाद ग्रामीणों को शासन की योजनाओं से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा. इस प्रयास में शासन को सफलता भी मिल रही है.

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कोयलीबेड़ा के माहला गांव में लौटी रौनक: जन समस्या शिविर में खुद कलेक्टर लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं. पूरा प्रशासनिक अमला लोगों की दिक्कतों को दूर करने में जुटा है. शिविर में शिकायत लेकर आने वाले ज्यादातर आधारभूत जरुरतों को लेकर अपनी बात रख रहे हैं. शासन की भी कोशिश है कि जल्द से जल्द प्रभावित इलाकों में बुनियादी सुविधाएं बढ़ाई जाएं. ग्रामीणों की मांग थी कि इलाके में सामुदायिक भवन बनाया जाए. कलेक्टर ने ग्रामीणों की ये मांग मान ली है.

कोयलीबेड़ा में लौटी रौनक (ETV Bharat)

संवेदनशील इलाकों में जरुरी सुविधाओं को बढ़ाना हमारी पहली प्राथमिकता है. इलाके में विकास का काम और तेज किया जाएगा. जन समस्या निवारण शिविर के जरिए हम लोगों को सुविधाएं मुहैया कराएंगे और उनकी जरुरतों पर भी काम करेंगे. :नीलेश क्षीरसागर, कलेक्टर कांकेर

कलेक्टर नील क्षीरसागर ने दिया भरोसा: कलेक्टर ने कहा कि सरकार आमजनता तक शासन प्रशासन की योजनाओं की पहुंच सुनिश्चित करने का काम कर रही है. प्रदेश सरकार के निर्देशानुसार जिला प्रशासन दूर दराज के इलाकों में जनसमस्या निवारण शिविर आयोजित कर रही है. समस्या निवारण शिविर में आकर ग्रामीण अपनी बात रख रहे हैं. कलेक्टर ने ग्रामवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि सुदूर वनांचल क्षेत्र के ग्रामीण अब विकास की मूल धारा से जुड़कर अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं.आने वाले दिनों में वे अपने अधिकार से वंचित नहीं रहेंगे.

14 साल पहले गांव छोड़ गए थे लोग: कोयलीबेड़ा ब्लॉक के संवेदनशील ग्राम पंचायत परतापुर के आश्रित ग्राम महला के ग्रामीण माओवादियों के भय के से साल 2009 और 2010 के बीच पलायन कर पखांजूर चले गए थे. पूरा गांव वीरान हो चुका था. बाद में स्थिति सामान्य होने पर ग्रामीण 2017-18 में एक-एक करके यहां वापस विस्थापित हो गए. इसके बाद ग्रामीणों को शासन की योजनाओं से जोड़ने का प्रयास किया जा रहा. इस प्रयास में शासन को सफलता भी मिल रही है.

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