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धमतरी में बिजली, पानी और सड़क के लिए ग्रामीणों का संग्राम, एक हजार लोगों ने कहां लगाया जाम

Dhamtari National Highway धमतरी के सिहावा में बिजली, पानी और सड़क की मांग को लेकर नाराज ग्रामीणों ने सड़क जाम कर दिया. ग्रामीणों की शिकायत थी कि उनको बुनियादी सुविधाओं से भी महरूम रखा जा रहा है. Sihawa Odisha Road

Dhamtari National Highway
नाराज ग्रामीणों ने लगाया जाम
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Mar 4, 2024, 8:08 PM IST

धमतरी: नक्सल प्रभावित इलाके में गिने जाने वाले सिहावा क्षेत्र में कई ऐसे गांव हैं जहां आज भी बिजली, पानी और सड़क के लिए लोग लड़ाई लड़ रहे हैं. जिला मुख्यालय से करीब 100 किलोमीटर दूरी पर बोराई, लिखमा और घुटकेल ग्राम पंचायत हैं. इन गांवों के रहने वाले ग्रामीणों की शिकायत है कि उनको बुनियादी सुविधाएं मयस्सर नहीं हैं. इन गांवों में रहने वाले लोग आज भी बेहतर स्वास्थ्य सेवा, पीने का साफ पानी और बिजली इन तमाम चीजों के लिए परेशान हैं. सालों से लंबित मांगों पर जब कोई समाधान नहीं निकला तो हजारों ग्रामीणों ने ओडिशा सिहावा रोड को जाम कर दिया.

बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं हमारे लिए किसी सपने से कम नहीं है. मरीज को समय पर इलाज नहीं मिलता. अस्पताल है लेकिन यहां कभी भी डॉक्टर नहीं बैठते. मरीज जब भी इलाज के लिए जाता है अस्पताल से डॉक्टर नदारत मिलते हैं. कई गांवों के लोग तो नारकीय जीवन जीने को मजबूर हैं. कई बार शासन से मदद की गुहार भी हम लोग लगा चुके हैं लेकिन शासन के कानों पर जूं तक नहीं रेंगी. हमारी शासन से प्रार्थना है कि अस्पताल में एमबीबीएस डॉक्टर की सुविधा दी जाए. बिजली की सुविधा मुहैया हो. - मनोज शाक्षी, जिला पंचायत सदस्य

1000 लोगों ने जाम किया हाईवे: ग्रामीणों की शिकायत है कि बोराई में अस्पताल जरुर खुला है लेकिन वहां कभी भी डॉक्टर नहीं मिलते. अगर कभी बीमार कोई हो जाता है तो उसे समय पर इलाज नहीं मिलता. बिजली का पावर स्टेशन जरुर बनाया गया है लेकिन बिजली प्रभावित गांवों तक नहीं पहुंचती है. गांव के लोग दर्जनों बार शिकायत लेकर जिला मुख्यालय तक पहुंचे लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा. बीजली नहीं होने के चलते जंगली जानवरों का खतरा सालों भर बना रहता है. रात वक्त लोग डर से घरों से बाहर नहीं निकलते.

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1000 लोगों ने जाम किया हाईवे: ग्रामीणों की शिकायत है कि बोराई में अस्पताल जरुर खुला है लेकिन वहां कभी भी डॉक्टर नहीं मिलते. अगर कभी बीमार कोई हो जाता है तो उसे समय पर इलाज नहीं मिलता. बिजली का पावर स्टेशन जरुर बनाया गया है लेकिन बिजली प्रभावित गांवों तक नहीं पहुंचती है. गांव के लोग दर्जनों बार शिकायत लेकर जिला मुख्यालय तक पहुंचे लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही रहा. बीजली नहीं होने के चलते जंगली जानवरों का खतरा सालों भर बना रहता है. रात वक्त लोग डर से घरों से बाहर नहीं निकलते.

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