मंडी: हिमाचल प्रदेश में 1 जून को लोकसभा की चारों सीटों पर मतदान होना है. जिसे लेकर प्रदेश के दोनों बड़े राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा चुनावी रण में सक्रिय हो गए हैं. चुनावों को लेकर दोनों दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है. वहीं, मंडी लोकसभा सीट इस समय प्रदेश में हॉट सीट बनी हुई है. मंडी संसदीय सीट पर भाजपा उम्मीदवार कंगना रनौत और कांग्रेस से उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह चुनावी मैदान में हैं. दोनों ही उम्मीदवार एक दूसरे पर बयानबाजी कर कांग्रेस और भाजपा पर निशाना साध रहे हैं.
विक्रमादित्य सिंह की चुनौती
इसी कड़ी में वीरवार को मंडी के चैलचौक में कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह ने भाजपा प्रत्याशी कंगना रनौत को चुनौती देते हुए कहा, "अगर कंगना प्रदेश के कर्मचारियों की हितैषी हैं और केंद्र सरकार के साथ उनकी घनिष्ठ नजदीकियां हैं, तो केंद्र के पास फंसे प्रदेश के कर्मचारियों के 9 हजार करोड़ को वापस लाकर दिखाएं." कंगना पर जुबानी हमला करते हुए विक्रमादित्य सिंह ने कहा, "कंगना रनौत कभी भी कर्मचारियों के 9 हजार करोड़ वापस नहीं ला सकती, क्योंकि वह कर्मचारियों और ओपीएस की हितैषी नहीं है. कभी पेंशन के लिए कर्मचारियों को चुनाव लड़ने की सलाह देने वाले पूर्व सीएम जयराम ठाकुर के सुर भी अब ओपीएस को लेकर बदलने लग गए हैं."
भाजपा का पलटवार
वहीं, विक्रमादित्य सिंह के इस बयान से राजनीति गरमा गई है. भाजपा ने भी विक्रमादित्य सिंह के बयान पर पलटवार किया है. मंडी संसदीय सीट से भाजपा सह प्रभारी विनोद कुमार ने विक्रमादित्य सिंह पर पलटवार करते हुए कहा, "अभी तो सांसद प्रतिभा सिंह हैं. प्रतिभा सिंह कितनी बार कर्मचारियों के मुद्दे को लोकसभा में लेकर गई हैं, मैं उनसे जानना चाहता हूं. अगर हिमाचल के कर्मचारियों की चिंता उनको है, तो उनको लोकसभा में ये मुद्दा उठाना चाहिए था, लेकिन नहीं उठाए. बोलने और करने में बहुत अंतर होता है. मैं विक्रमादित्य सिंह को सुझाव देना चाहता हूं. 4 जून तक प्रतिभा सिंह ही सांसद है. इसके बाद हमारे नए सांसद बनेंगे, तो जो भी काम हिमाचल की जनता के लिए करने को होंगे हमारी सांसद महोदया निश्चित तौर पर करेगी."
गौरतलब है कि भाजपा-कांग्रेस चुनाव प्रचार में जुटी हुई है. आए दिन दोनों पार्टियों के नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं. जहां दोनों ही पार्टियों के नेता दूसरी पार्टी को खरी-खोटी सुनाने से पीछे नहीं हट रहे हैं. लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग 1 जून को होगी. ऐसे में भाजपा-कांग्रेस के नेताओं की बयानबाजी का ये सिलसिला अभी जारी होगा. वहीं, मंडी संसदीय सीट पर पूरे प्रदेश की जनता की नजरें टिकी हुई है, कि आखिर मंडी का ताज किसके सिर सजेगा? जिसका 4 जून को पता चल जाएगा.