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आधुनिकता ने ठंडा किया मटकों का व्यापार, कोरोना काल का स्टॉक अभी भी नहीं बिका - vidisha matka no demand - VIDISHA MATKA NO DEMAND

देश व प्रदेश में इन दिनों गर्मी अपने रौद्र रूप में है. भीषण गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है. गर्मी के दिनों में ठंडे पानी की डिमांड बढ़ जाती है. गर्मी से राहत के लिए लोगों को ठंडे पानी की ज्यादा से ज्यादा जरूरत पड़ती है. लेकिन इस भीषण गर्मी में भी मटकों की बिक्री नहीं बढ़ रही है, जिसके चलते मटका व्यापारी चिंतित हैं.

VIDISHA MATKA NO DEMAND
कैंपरों के चलते मटकों की मांग में आई कमी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : May 25, 2024, 9:49 PM IST

विदिशा। मध्यप्रदेश व विदिशा जिले में भीषण गर्मी पड़ रही है, लेकिन शहर में मटका बेच रहे दुकानदार फुरसत में बैठे हैं. इतनी गर्मी में भी उनके मटकों की बिक्री ठप्प है. गिने चुने लोग सिर्फ गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय लोग ही मटका खरीद रहे हैं. इसका प्रमुख कारण वाटर कैम्पर का चलन हैं. आजकल आम नागरिक भी ठंडे और आरओ से साफ पानी की चाहत में 20 रुपए की कैम्पर बुलवा लेता है. जिसका असर अब सीधा मटकों की बिक्री पर पड़ रहा है. दुकानदारों का कहना है कि मटकों की बिक्री कोविड के समय से ही मंदी है. उस समय के मटकों का स्टॉक अभी भी रखा है. धीरे धीरे उन्हीं को बेच रहे हैं.

भीषण गर्मी में भी नहीं बढ़ रही मटकों की मांग (ETV Bharat)

भीषण गर्मी के बाद भी नहीं बिक रहे मटके

मटका दुकानदार शुभम प्रजापति का कहना है कि "भीषण गर्मी तो है लेकिन ग्राहकी कम हैं. ग्राहक पहले की अपेक्षा अब कम मटके खरीदने लगे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण कैंपर और फ्रिज हैं. आज के दौर में लोग मटके का पानी पीना अपने स्टैंडर के हिसाब से नहीं समझते हैं. वैसे मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही सही रहता है. फ्रिज के पानी से प्यास भी नहीं बुझती. वहीं मटके का पानी स्वादिष्ट भी होता है और प्यास भी बुझ जाती है."

घरों में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल हुआ कम

बता दें कि डॉक्टर भी लोगों को मटके का उपयोग करने की सलाह देते हैं. मिट्टी के मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए अच्छा व लाभदायक होता है. आज के समय में मिट्टी के बर्तनों का चलन कम होता जा रहा है. मिट्टी के बर्तनों का सिर्फ यूज पूजा पाठ में ही बचा है. आम जीवन में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल कम होता जा रहा है. पहले हर घर में मिट्टी के बर्तनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल होता था. लोगों का मानना था कि मिट्टी के बर्तनों में खाना खाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता था और खाना शद्ध रहता है.

कैंपरों के चलन से मटकों की बिक्री घटी

वहीं, पास में बैठे मटका दुकानदार दीपक का कहना है कि "गर्मी के दिनों में मटके जितनी मात्रा में बिकने चाहिए वैसे नहीं बिक रहे हैं. इसका बहुत बड़ा कारण है कि घरों में अब पानी के कैंपरों का चलन बढ़ता जा रहा है. साथ ही इन कैंपरों के जरिए सभी जगहों पर ठंडा पानी पहुंचाने में आसानी होती है. वहीं, ग्राहक को लगभग 20 रुपए में 15 से 20 लीटर ठंडा पानी भरा कैंपर आसानी से मिल जाता है."

यहां पढ़ें...

गर्मी में मटका-सुराही का दिन में करें यूज, पानी के मिनरल्स और माइक्रो न्यूट्रियन्ट्स बना देंगे तंदुरुस्त

पारा चढ़ते ही देसी फ्रिज यानी मिट्टी के मटकों की डिमांड बढ़ी, क्या आप जानते हैं इसे बनाने की प्रक्रिया

मटका है देसी फ्रिज

मटके की दुकान पर मटका खरीदने आई उर्मिला साहू का कहना है कि "हम ठंडा पानी पीने के लिए मटका लेने आए हुए हैं. घर में फ्रिज नहीं है, इसलिए हम घर पर मटके का प्रयोग करते हैं. हमारे लिए तो यही देसी फ्रिज है. मटके महंगे पड़ रहे हैं इसके चलते हम कम मटके खरीद रहे हैं."

विदिशा। मध्यप्रदेश व विदिशा जिले में भीषण गर्मी पड़ रही है, लेकिन शहर में मटका बेच रहे दुकानदार फुरसत में बैठे हैं. इतनी गर्मी में भी उनके मटकों की बिक्री ठप्प है. गिने चुने लोग सिर्फ गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय लोग ही मटका खरीद रहे हैं. इसका प्रमुख कारण वाटर कैम्पर का चलन हैं. आजकल आम नागरिक भी ठंडे और आरओ से साफ पानी की चाहत में 20 रुपए की कैम्पर बुलवा लेता है. जिसका असर अब सीधा मटकों की बिक्री पर पड़ रहा है. दुकानदारों का कहना है कि मटकों की बिक्री कोविड के समय से ही मंदी है. उस समय के मटकों का स्टॉक अभी भी रखा है. धीरे धीरे उन्हीं को बेच रहे हैं.

भीषण गर्मी में भी नहीं बढ़ रही मटकों की मांग (ETV Bharat)

भीषण गर्मी के बाद भी नहीं बिक रहे मटके

मटका दुकानदार शुभम प्रजापति का कहना है कि "भीषण गर्मी तो है लेकिन ग्राहकी कम हैं. ग्राहक पहले की अपेक्षा अब कम मटके खरीदने लगे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण कैंपर और फ्रिज हैं. आज के दौर में लोग मटके का पानी पीना अपने स्टैंडर के हिसाब से नहीं समझते हैं. वैसे मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए बहुत ही सही रहता है. फ्रिज के पानी से प्यास भी नहीं बुझती. वहीं मटके का पानी स्वादिष्ट भी होता है और प्यास भी बुझ जाती है."

घरों में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल हुआ कम

बता दें कि डॉक्टर भी लोगों को मटके का उपयोग करने की सलाह देते हैं. मिट्टी के मटके का पानी स्वास्थ्य के लिए अच्छा व लाभदायक होता है. आज के समय में मिट्टी के बर्तनों का चलन कम होता जा रहा है. मिट्टी के बर्तनों का सिर्फ यूज पूजा पाठ में ही बचा है. आम जीवन में मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल कम होता जा रहा है. पहले हर घर में मिट्टी के बर्तनों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल होता था. लोगों का मानना था कि मिट्टी के बर्तनों में खाना खाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता था और खाना शद्ध रहता है.

कैंपरों के चलन से मटकों की बिक्री घटी

वहीं, पास में बैठे मटका दुकानदार दीपक का कहना है कि "गर्मी के दिनों में मटके जितनी मात्रा में बिकने चाहिए वैसे नहीं बिक रहे हैं. इसका बहुत बड़ा कारण है कि घरों में अब पानी के कैंपरों का चलन बढ़ता जा रहा है. साथ ही इन कैंपरों के जरिए सभी जगहों पर ठंडा पानी पहुंचाने में आसानी होती है. वहीं, ग्राहक को लगभग 20 रुपए में 15 से 20 लीटर ठंडा पानी भरा कैंपर आसानी से मिल जाता है."

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पारा चढ़ते ही देसी फ्रिज यानी मिट्टी के मटकों की डिमांड बढ़ी, क्या आप जानते हैं इसे बनाने की प्रक्रिया

मटका है देसी फ्रिज

मटके की दुकान पर मटका खरीदने आई उर्मिला साहू का कहना है कि "हम ठंडा पानी पीने के लिए मटका लेने आए हुए हैं. घर में फ्रिज नहीं है, इसलिए हम घर पर मटके का प्रयोग करते हैं. हमारे लिए तो यही देसी फ्रिज है. मटके महंगे पड़ रहे हैं इसके चलते हम कम मटके खरीद रहे हैं."

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