विदिशा। मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में नीलकंठेश्वर मंदिर, उदयगिरि की गुफाएं सहित कई पर्यटन स्थल हैं, जहां लोगों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन विदिशा में एक ऐसा डैम भी है, जिसे हेमा मालिनी डैम के नाम से जाना जाता है. इस डैम का नाम रखने की कहानी बड़ी खास है. इस डैम को कई लोग कालिदास डैम के नाम से भी जानते हैं, लेकिन विदिशा के लोगों के बीच यह हेमा मालिनी डैम के नाम से फेमस है.
बेतवा नदी में बना है हेमा मालिनी डैम
विदिशा के पास यह पिकनिक और घूमने के लिए अच्छी जगह है. स्थानीय आबादी को इस बांध से बहुत लाभ हुआ है. इतिहासकार गोविंद देवलिया ने बताया कि ''कालिदास डैम उर्फ हेमा मालिनी डैम बेतवा नदी में बना है. इसे कलयुग की गंगा का दर्जा भी दिया गया है. इस नदी की गंगा जैसे ही पवित्र नदियों में गणना की जाती है. रायसेन जिले के झिरी गांव से इसका उद्गम है और वहां से चलकर हमारे विदिशा जिले में प्रवेश करती है.''
जानिए इस नाम के पीछे की वजह
गोविंद बताते हैं कि ''यहां हेमा मालिनी कभी नहीं आईं, लेकिन लोग इस डैम को हेमा मालिनी नाम से जानते हैं. दरअसल इस नाम के पीछे एक किस्सा है. एक व्यक्ति थे, जो कि अक्सर मुंबई आते-जाते थे. उन्होंने एक बार लोगों से कहा कि मेरी हेमा मालिनी से बात हो गई है, वह यहां आएंगी और एक उनका डांस प्रोग्राम यहां होगा. इसके लिए उन्होंने टिकट के माध्यम से कार्यक्रम आयोजित कराने की बात कही. साथ ही शहर में जोर से प्रचार-प्रसार भी खूब किया गया. टिकट भी बिके. तब करीब 20 रुपए का एक टिकट था. उस व्यक्ति ने लोगों को तारीख भी बता दी कि हेमा मालिनी इस दिन आएंगी. इस वजह से धीरे-धीरे यहां लोगों का आना जाना शुरू हुआ.''
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इस वजह से तीन दिन पहले हुआ कार्यक्रम
इतिहासकार ने आगे बताया कि ''तीन दिन कार्यक्रम के बचे थे, उन व्यक्ति ने यह घोषणा कर दी कि हेमा मालिनी ने यहां आने से मना कर दिया है. उनका कहीं दूसरी जगह कार्यक्रम है. इसलिए वह यहां नहीं आएंगी. साथ ही उसने कार्यक्रम रद्द करने की घोषणा भी कर दी. जिन्होंने पैसे देकर टिकट खरीदे थे. उनके रुपए वापस कर दिए गए. यहां हेमा मालिनी तो नहीं आईं, लेकिन इस डैम का नाम हेमा मालिनी डैम पड़ गया. आज भी यदि किसी से कहें कि कालिदास बांध जाना है तो हो सकता है वह भ्रम में पड़ जाए. यदि यह कहें कि हेमा मालिनी डैम जाना है, तो व्यक्ति फौरन ही समझ जाता है.''