देहरादून: उत्तराखंड महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग ने शहरों में नौकरीपेशा, पढ़ाई करने वाली, सिंगल वुमन्स की सुरक्षा को लेकर बड़ी फैसला लिया है. इसके लिए उत्तराखंड महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग ने वीरांगना तीलू रौतेली वर्किंग वुमन हॉस्टल योजना शुरू की है. वीरांगना तीलू रौतेली वर्किंग वुमन हॉस्टल योजना के तहत कामकाजी महिलाओं को सस्ती दरों पर हॉस्टल उपलब्ध करवाया जाएगा. इस हॉस्टल में महिलाओं की सुविधाों के साथ ही सुरक्षा का भी खास ध्यान रखा जाएगा.
वीरांगना तीलू रौतेली वर्किंग वुमन हॉस्टल योजना के अंतर्गत प्रदेश के बड़े शहरों और इंडस्ट्रियल एरिया के आसपास वर्किंग महिला छात्रावास स्थापित किए जा रहे हैं. जहां सिंगल वर्किंग वुमन या फिर पढ़ने के लिए आई लड़कियों को 6600 रुपए में बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के साथ ही सुरक्षित माहौल उपलब्ध करवाया जाएगा.
वीरांगना तीलू रौतेली कामकाजी महिला छात्रावास मिल का पत्थर: देहरादून के सर्वे चौक पर वीरांगना तीलू रौतेली कामकाजी महिला हॉस्टल बनाया गया है. इस हॉस्टल की मुख्य वार्डन रिद्धि भारद्वाज ने बताया छात्रावास में तकरीबन 250 महिलाओं के रहने की क्षमता है. इस वक्त यहां 134 सिंगल वर्किंग और स्टूडेंट महिलाएं सरकार की योजना का लाभ उठा रही हैं. उनकी कंपनी प्लेटिनम होम व्यू सॉल्यूशन को इस हॉस्टल के संचालन की जिम्मेदारी मिली है. उन्होंने बताया सिंगल वुमन्स को कागजी कार्रवाई के बाद निवास दिया जाता है. यहां पर सभी तरह की व्यवस्थाएं हैं. जिसमें खाना, साफ सफाई, जिम और लाइब्रेरी की व्यवस्था मुख्य रूप से शामिल है.
लाभार्थी महिलाएं बोली हॉस्टल सुरक्षित और मददगार: उत्तर प्रदेश के बरेली से देहरादून में पढ़ाई करने आई लक्ष्मी चौधरी ने बताया कि उनका छात्रावास को लेकर काफी अच्छा अनुभव है. वो 9000 किराया देती हैं. हॉस्टल का खाना और सफाई काफी अच्छी है. वहीं, श्रीनगर से देहरादून में बीएससी नर्सिंग करने आई साक्षी बहुगुणा ने बताया उनके लिए यह हॉस्टल काफी सुरक्षित और मददगार साबित हो रहा है. उनके साथ कई ऐसी लड़कियां रहती हैं जो पहाड़ से शहर में काम करने और पढ़ने के लिए आई हैं. छात्रा रुचिका ने बताया वो देहरादून में डॉक्टरी की पढ़ाई करने के लिए आई हैं. वह तीन बेड और एक कमरे का 21000 रुपए किराया दे रही हैं.
छात्रावास में प्रति बेड का किराया 3000 रुपए: उत्तराखंड महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के निदेशक प्रशांत आर्य ने बताया कि प्राइवेट वेंडर को छात्रावास संचालन के लिए देते समय यह सुनिश्चित किया जाता है कि हॉस्टल में प्रति महिला के लिए प्रति बेड का किराया 3000 रुपए रखा जाएगा. खाने के लिए प्रति महीना 3600 रुपए निर्धारित किया जाएगा. कुल मिलाकर एक महिला को इस हॉस्टल में रहने के लिए 6600 रुपए देने होते हैं. उन्होंने बताया कि ज्यादातर महिलाओं से 600 से लेकर 7000 रुपए तक का किराया उनके द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के अनुसार लिया जाता है. इसके अलावा यदि हॉस्टल में 30% से ज्यादा कमरे खाली हैं और कोई अतिरिक्त खर्च वहन कर सरकार के इस सुरक्षित माहौल का लाभ उठाना चाहता है तो उठा सकता है, लेकिन अगर हॉस्टल में 10 फीसदी कमरे ही खाली हैं, तो एक महिला को पूरा 3 बेड का कमरा नहीं दिया जाएगा.
जिला मुख्यालय में कामकाजी महिला छात्रावास स्थापित होंगे: उत्तराखंड महिला सशक्तिकरण एवं बाल विकास विभाग के निदेशक प्रशांत आर्य ने बताया कि निर्भया फंड से आने वाली स्कीम के तहत प्रयास किया गया है कि हर जिले में प्रमुख रूप से जिला मुख्यालय में एक कामकाजी महिला छात्रावास स्थापित किया जाए, जिसकी क्षमता कम से कम 25 महिलाओं के रहने की हो. उन्होंने बताया कि यह प्रक्रिया गतिमान है और 7 फीमेल हॉस्टल के लिए भारत सरकार से मंजूरी मिल चुकी है. इसके अलावा 6 अन्य अस्पताल के लिए प्रक्रिया जारी है.
छह हॉस्टल सिडकुल इंडस्ट्रियल एरिया में होंगे स्थापित: प्रशांत आर्य ने बताया कि एक और अन्य योजना के तहत प्रदेश के बड़े शहरों में 6 बड़े हॉस्टल अच्छी सुविधाओं के साथ हो ऐसी योजना बनाई जा रही है. उन्होंने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य है कि इंडस्ट्रियल क्षेत्र में महिलाओं की पूरी भूमिका हो, इसके लिए यह सभी बड़े छह हॉस्टल सिडकुल इंडस्ट्रियल एरिया के आसपास विकसित किए जाएंगे.
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