वाराणसी : जिले में वरुणा नदी से 50 मीटर दायरे में हरित पट्टी क्षेत्र में चिन्हित 762 अवैध निर्माण पर कार्रवाई को लेकर वीडीए ने अपना प्लान बदल दिया है. विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, एक बार नए सिरे से वरुणा किनारे हुए अवैध निर्माण का सर्वे करवाया जाएगा. सर्वे के बाद कार्रवाई की जाएगी. इसके बाद पहले दो होटलों पर हुई कार्रवाई को लेकर अब सवाल खड़े होने लगे हैं.
जिले में वरुणा नदी के किनारे हरित पट्टी डेवलप करने का आदेश एनजीटी की तरफ से दिया गया. 2014 के पहले की आदेश को इंप्लीमेंट करने के लिए जब 2015 से अभियान की शुरुआत हुई तो उम्मीद थी कि हरित पट्टी के दायरे में आने वाले अवैध निर्माण का ध्वस्तीकरण जल्द होगा. वरुणा नदी के किनारे हरा-भरा माहौल बनाकर पुनर्जीवित करने के प्रयासों को बल मिलेगा, लेकिन हुआ वही जो होता आया है.
बनारस में जांच पड़ताल के बाद वरुणा नदी के किनारे हरित पट्टी निर्माण के लिए 762 अवैध निर्माण चिन्हित हुए, लेकिन कहीं ना कहीं से विभागों की मिलीभगत के बाद इन अवैध निर्माण पर कोई एक्शन नहीं हुआ. कभी सत्ता तो कभी अधिकारियों के बल से अवैध निर्माण करने वाले बेखौफ होकर बैठे रहे, हालांकि अभी कुछ दिन पहले वाराणसी विकास प्राधिकरण ने अचानक से इस लिस्ट में शामिल दो होटल को जमींदोज करने की कार्रवाई शुरू की है.
इसके बाद यह लगा की कार्रवाई शुरू हो गई, लेकिन इसका रिएक्शन भी हुआ और होटल के मालिकों ने आरोप लगाए कि वर्ग विशेष का होने की वजह से कारवाई हो रही है. इन दो होटल पर एक्शन के बाद फिलहाल वरुणा नदी के किनारे हुए अवैध निर्माण पर अभी तो फिलहाल कोई जबरदस्त कार्रवाई दिखाई नहीं दे रही है. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि पुराने आंकड़ों से इतर नए सिरे से फिर से सर्वे के बाद अब कार्रवाई शुरू की जाएगी. इसके बाद सवाल उठना लाजिमी है कि जब नए सिरे से सर्वे होना था तो पुराने आंकड़ों में से दो होटल पर ही कार्रवाई क्यों हुई?
यह थी योजना : दरसअल, वरुणा नदी से 50 मीटर दायरे में हरित पट्टी क्षेत्र का निर्माण होना है. इसके लिए चिह्नित 762 में दो होटलों पर बुलडोजर एक्शन हुआ, लेकिन बाकी के 760 अवैध निर्माण पर वीडीए का हथौड़ा कब चलेगा, यह सवाल बड़ा है. राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण यानी एनजीटी की निगरानी समिति वरुणा नदी में हुए अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए वीडीए को कई बार चेतावनी तक दे चुकी है. एनजीटी टीम आने पर फाइल को निकाला जाता है और फिर कार्रवाई के नाम पर बस कुछ दिन तक बुलडोजर और टीम इधर-उधर दौड़ती है, लेकिन फिर बाकी सब ठंडे बस्ते में चला जाता है.
सपा सरकार में विकास प्राधिकरण ने महायोजना-2031 घोषित किया तो वरुणा नदी के किनारे 100 मीटर तक हरित पट्टी में शामिल किया गया था. बाद में जन आपत्ति के बाद तय हरित पट्टी का दायरा कम कर 50 मीटर कर दिया गया. वीडीए बोर्ड ने निर्धारित हरित पट्टी के दायरे में आ रहे निर्माण को चिह्नित करने का आदेश दिया, लेकिन वीडीए कर्मियों की ओर से हीलाहवाली की जाने लगी. वरुणा कारिडोर परियोजना पर काम शुरू हुआ तो विभाग ने हरित पट्टी में कार्यवाही करते हुए कुल 762 भवनों को चिह्नित किया. इन भवनों को जमींदोज करने की योजना भी बनी, लेकिन कार्रवाई शुरू नहीं हो पाई. इसके बावजूद हरित पट्टी क्षेत्र में लगातार निर्माण रहा और अब यह संख्या दो हजार के पास पहुंच गई तो फिर अधिकारियों की नींद टूटी.
नतीजा यह हुआ कि अवैध निर्माण होते रहे होटल, गेस्ट हाउस, ऑफिसेज बनते रहे और संबंधित विभाग और अधिकारी आंखें बंद करके बैठ रहे. वाराणसी विकास प्राधिकरण महायोजना-2031 में हरित पट्टी की जो परिकल्पना की गई है, उसमें वरुणा नदी के किनारे हरियाली के साथ ही पिकनिक स्पाॅट विकसित करना था. करीब 10 किलोमीटर लंबाई में हरित पट्टी विकसित कर शहर में तेजी से बढ़ रहे वायु प्रदूषण को कम करना और साथ ही जल संचयन का बड़ा साधन डेवलप करना इसका मकसद है, लेकिन सब प्लान अबतक सिर्फ कागजों में ही है.
इस बारे में जब वाराणसी विकास प्राधिकरण के सचिव डॉ वेद प्रकाश मिश्रा से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि होटल पर एक्शन शुरू हुआ है और यह आगे भी जारी रहेगा, लेकिन इसके लिए एक बार नए सिरे से वरुणा नदी के किनारे हुए अवैध निर्माण का सर्वे करवाया जाएगा. यह सर्वे जल्द शुरू होगा. उनका कहना है कि सर्वे इसलिए जरूरी है कि पुरानी फाइलों को नए सिरे से कार्रवाई से पहले पूरी मजबूती के साथ तैयार किया जा सके, जो भी चीज छूट गई है उनको भी मजबूत करके कार्रवाई की जाएगी.
वीडीए सचिव का कहना है कि जिन दो होटल पर कार्रवाई हुई है वह गलत नहीं है. 2015 से उनके खिलाफ कार्रवाई बार-बार करने के लिए प्लान बन रहा था. जिसके बाद वह कभी हाईकोर्ट, कभी शासन, कभी कमिश्नर के यहां चक्कर काट रहे थे. उन्हें एक के बाद एक जगह से जब मायूसी मिली तो एक्शन होना जायज है. 2017-18 में जब टीम वहां पहुंची तो होटल तोड़ने के दौरान विरोध की वजह से उन पर मुकदमा भी हुआ. 2016 में होटल सील कर दिया गया था, उसके बाद उसका संचालन अवैध तरीके से होता रहा. इस वजह से उसे गिरना जरूरी था, बाकी हाल ही में एक वरुणा किनारे बने मैरिज लॉन पर भी एक्शन हुआ है आगे यह कार्रवाई जारी रहेगी.
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वाराणसी विकास प्राधिकरण के सचिव के मुताबिक, अभी तक लगभग 20 ऐसे होटल चिन्हित किए गए हैं जो इस हरित पट्टी के क्षेत्र में पड़ रहे हैं. उन होटलों पर भी जल्द कार्रवाई शुरू होगी. इसके अलावा हाल ही में 27 नोटिस भी इशू किए गए हैं, जिन पर जल्द एक्शन शुरू होगा, जो भी बिल्डिंग पहले से सील हैं उनको गिराने की और जो नहीं सील हैं उनको नोटिस देकर बंद करने का काम करते हुए कार्रवाई तेज की जाएगी.
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एक तरफ जहां वरुणा किनारे अवैध निर्माण को लेकर सवाल है, तो वहीं गंगा किनारे 200 मीटर के दायरे में बन रहे नए होटल्स पर भी सवाल उठने जायज हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 200 मीटर के दायरे में किसी भी तरह का नया निर्माण नहीं किया जा सकता, सिर्फ जर्जर और पुराने मकान या बिल्डिंग की मरम्मत की अनुमति है, लेकिन इसके बाद भी दशाश्वमेध, मीर घाट और चौक एरिया समेत रामघाट और कई क्षेत्रों में होटल के नए कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है. जिस पर वाराणसी विकास प्राधिकरण भी मौन है. हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि अगर ऐसी सूचना मिलेगी तो कार्रवाई होगी.
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