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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय तैयार करेगा कथावाचक और मंदिर प्रबंधक, शुरू होगा डिप्लोमा पाठ्यक्रम

मंदिर प्रबंधन और पुराण प्रवचन (कथावाचन) में डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने की स्वीकृति दी गई.

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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 2 hours ago

वाराणसी: संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय लगातार नए प्रयोग कर रहा है. विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न प्रकार के कोर्स की शुरुआत की गई है. अब विश्वविद्यालय कथावाचक और मंदिर प्रबंधक भी तैयार करेगा. इसके लिए मंदिर प्रबंधन और पुराण प्रवचन में डिप्लोमा पाठ्यक्रम की शुरुआत की जाएगी. अगले सत्र से इन दोनों ही पाठ्यक्रमों के संचालन की तैयारी की जा रही है. इसके साथ ही अन्य कई निर्णय लिए गए हैं.

कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा की अध्यक्षता में कार्य परिषद की बैठक हुई. इस बैठक में कुल 09 एजेंडे पर फैसला लिया गया. इसमें अतिथि अध्यापकों के मानदेय, कनिष्ठ सहायक के रिक्त पदों पर भर्ती, मंदिर प्रबंधन और पुराण प्रवचन में डिप्लोमा पाठ्यक्रम की शुरुआत, और डॉ. अंबेडकर चेयर की स्थापना को लेकर फैसला लिया गया है. इसके साथ ही सेवानिवृत्त शिक्षकों और गैर शैक्षणिक कर्मियों को स्मृति चिन्ह देने पर भी फैसला हुआ है.

दोनों पाठ्यक्रम अगले सत्र से होंगे शुरू: कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय मंदिर प्रबंधन और पुराण प्रवचन (कथा वाचन) में डिप्लोमा पाठ्यक्रम की शुरुआत करेगा. दोनों ही पाठ्यक्रमों में 30-30 सीटें प्रस्तावित हैं. ये दोनों पाठ्यक्रम अगले सत्र से शुरू होंगे. उन्होंने बताया कि अतिथि अध्यापकों के मानदेय में वृद्धि कर 25,000 रुपये प्रति माह दिए जाने की स्वीकृति दी गई है. साथ ही, खाली पड़े कनिष्ठ सहायक के 43 पद उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से भरे जाएंगे.

डॉ. भीमराव आंबेडकर चेयर की स्थापना: कुलपति ने कहा कार्यपरिषद की बैठक में फैसला लिया गया है कि विश्वविद्यालय में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर चेयर की स्थापना पर भी कार्यपरिषद ने मुहर लगा दी है. चेयर के माध्यम से डॉ. आंबेडकर के संस्कृत में योगदान, उनके व्यक्तित्व और समावेशी विकास के साथ सामाजिक न्याय पर अध्ययन व शोध कार्य किया जाएगा. देशभर के संस्कृत विश्वविद्यालयों में ये पहला विश्वविद्यालय होगा जहां डॉ. आंबेडकर चेयर की स्थापना की जाएगी.

स्मृति चिह्न देने के लिए 11,000 रुपये: कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि सेवानिवृत्त शिक्षकों और गैर शैक्षणिक कर्मियों के सेवानिवृत्त होने पर स्मृति चिह्न देने के लिए 11,000 रुपये दिए जाने पर सहमति बनी है. वहीं, विश्वविद्यालय के 08 प्रधान सहायकों (अधीक्षकों) की सेवा संपुष्टि पर स्वीकृति दी गई है. कुलपति ने बताया कार्यपरिषद की बैठक में फैसला लिया गया है कि डॉ. रविशंकर पांडेय और डॉ. मधुसूदन मिश्रा को वरिष्ठ वेतनमान देने को स्वीकृति दी गयी है.

यह भी पढ़े : बनारस का यूपी कॉलेज बनेगा विश्वविद्यालय; सीएम योगी ने मांगा प्लान, बोले- युवा करेंगे नए भारत-नए यूपी का निर्माण


वाराणसी: संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय लगातार नए प्रयोग कर रहा है. विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न प्रकार के कोर्स की शुरुआत की गई है. अब विश्वविद्यालय कथावाचक और मंदिर प्रबंधक भी तैयार करेगा. इसके लिए मंदिर प्रबंधन और पुराण प्रवचन में डिप्लोमा पाठ्यक्रम की शुरुआत की जाएगी. अगले सत्र से इन दोनों ही पाठ्यक्रमों के संचालन की तैयारी की जा रही है. इसके साथ ही अन्य कई निर्णय लिए गए हैं.

कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा की अध्यक्षता में कार्य परिषद की बैठक हुई. इस बैठक में कुल 09 एजेंडे पर फैसला लिया गया. इसमें अतिथि अध्यापकों के मानदेय, कनिष्ठ सहायक के रिक्त पदों पर भर्ती, मंदिर प्रबंधन और पुराण प्रवचन में डिप्लोमा पाठ्यक्रम की शुरुआत, और डॉ. अंबेडकर चेयर की स्थापना को लेकर फैसला लिया गया है. इसके साथ ही सेवानिवृत्त शिक्षकों और गैर शैक्षणिक कर्मियों को स्मृति चिन्ह देने पर भी फैसला हुआ है.

दोनों पाठ्यक्रम अगले सत्र से होंगे शुरू: कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय मंदिर प्रबंधन और पुराण प्रवचन (कथा वाचन) में डिप्लोमा पाठ्यक्रम की शुरुआत करेगा. दोनों ही पाठ्यक्रमों में 30-30 सीटें प्रस्तावित हैं. ये दोनों पाठ्यक्रम अगले सत्र से शुरू होंगे. उन्होंने बताया कि अतिथि अध्यापकों के मानदेय में वृद्धि कर 25,000 रुपये प्रति माह दिए जाने की स्वीकृति दी गई है. साथ ही, खाली पड़े कनिष्ठ सहायक के 43 पद उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के माध्यम से भरे जाएंगे.

डॉ. भीमराव आंबेडकर चेयर की स्थापना: कुलपति ने कहा कार्यपरिषद की बैठक में फैसला लिया गया है कि विश्वविद्यालय में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर चेयर की स्थापना पर भी कार्यपरिषद ने मुहर लगा दी है. चेयर के माध्यम से डॉ. आंबेडकर के संस्कृत में योगदान, उनके व्यक्तित्व और समावेशी विकास के साथ सामाजिक न्याय पर अध्ययन व शोध कार्य किया जाएगा. देशभर के संस्कृत विश्वविद्यालयों में ये पहला विश्वविद्यालय होगा जहां डॉ. आंबेडकर चेयर की स्थापना की जाएगी.

स्मृति चिह्न देने के लिए 11,000 रुपये: कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि सेवानिवृत्त शिक्षकों और गैर शैक्षणिक कर्मियों के सेवानिवृत्त होने पर स्मृति चिह्न देने के लिए 11,000 रुपये दिए जाने पर सहमति बनी है. वहीं, विश्वविद्यालय के 08 प्रधान सहायकों (अधीक्षकों) की सेवा संपुष्टि पर स्वीकृति दी गई है. कुलपति ने बताया कार्यपरिषद की बैठक में फैसला लिया गया है कि डॉ. रविशंकर पांडेय और डॉ. मधुसूदन मिश्रा को वरिष्ठ वेतनमान देने को स्वीकृति दी गयी है.

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