वाराणसी : प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होने के बाद निश्चिंत होकर आप यह सोचने लगते हैं कि अब आप उसके मालिक तो हो ही गए हैं, लेकिन प्रॉपर्टी लेने के बाद आपको उसकी एक और प्रक्रिया पूरी करनी होती है, जिसको अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं. जिसकी वजह से बाद में उन्हें इसका खामियाजा ज्यादा पैसे और जुर्माने के रूप में चुकाना पड़ जाता है.
हम बात कर रहे हैं रजिस्ट्री प्रक्रिया के बाद येलो कार्ड बनवाने के संदर्भ में. आपके संदर्भित नगर निगम या महानगरपालिका से इस प्रक्रिया को पूरा करना अनिवार्य माना जाता है. यदि आप जमीन व मकान खरीद रहे हैं तो उसकी रजिस्ट्री के बाद आपको पीला कार्ड प्रक्रिया को पूरा करना होता है. यह अनिवार्य भी है और आपके लिए बेहद जरूरी भी, क्योंकि येलो कार्ड के जरिए आपका प्रॉपर्टी के स्वामित्व पर आपके अधिकार को और मजबूती मिलती है. साथ ही सरकारी दस्तावेज में भी आप आने वाली किसी भी परेशानी से बचने के लिए इस येलो कार्ड का इस्तेमाल कर सकते हैं.
पीला कार्ड में होती है ये जानकारियां |
भवन स्वामी का नाम |
मकान नंबर |
निर्धारित टैक्स |
नामांकन की डेट |
नामांकन की पत्रावली संख्या |
इस बारे में वाराणसी नगर निगम के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव का कहना है कि यह हमारे और आपके मकान नंबर की पहचान के लिए आवश्यक होता है. यदि हम नगर सीमा या फिर शहरी सीमा के बाहर भी कोई प्रॉपर्टी या मकान खरीदते हैं. ऐसी स्थिति में हमें अपने मकान का म्यूटेशन प्रक्रिया पूरा करना अनिवार्य होता है, हालांकि इस म्यूटेशन प्रक्रिया में वाराणसी नगर निगम ने अब सिर्फ येलो कार्ड प्रक्रिया को आगे बढ़ाया है. येलो कार्ड इसलिए आवश्यक होता है, क्योंकि इसके जरिए आपको मकान के स्वामित्व के साथ ही उसका नंबर भी अलॉट किया जाता है, जो हर तरह की परेशानियों से आने वाले समय में आपको बचाता है.
ये हैं नियम |
- जनहित गारंटी योजना के तहत आवेदन करने के 03 दिन के भीतर प्रक्रिया पूरी कर पीला कार्ड जारी करना होता है. |
- कागजों में कोई खामी होने पर दाखिल खारिज प्रक्रिया को रोकने का अधिकार नगर निगम के पास है. |
- निर्धारित समय में प्रक्रिया पूरी न करने पर संबंधित कर निरीक्षक पर कार्रवाई भी हो सकती है. |
उनका कहना है कि यह प्रक्रिया पहले 45 दिन में पूरी होती थी, लेकिन अब इस प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है. वाराणसी नगर निगम की वेबसाइट www.nnvns.org.in या फिर enagarseva पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन प्रक्रिया को भी पूरा कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए कुछ अनिवार्य नियम है. जिसके लिए आपको कार्यालय जाना ही होगा. संदीप श्रीवास्तव का कहना है कि यह प्रक्रिया बेहद आसान है. इसके लिए आपको अपने मकान के रजिस्ट्री पेपर, आधार कार्ड और सिर्फ 60 रुपये का शुल्क देना होता है. यह प्रक्रिया पहले 45 दिन में पूरी होती थी, लेकिन अब इसके लिए नगर विकास मंत्रालय ने 3 दिन का वक्त निर्धारित कर दिया है. 3 दिन के अंदर संबंधित जोनल अधिकारी को पीला कार्ड बनाकर जारी करना ही होगा.
आवेदन के लिए नियम |
- नया मकान बनवाने पर रजिस्ट्री के फोटो स्टेट कागज के साथ एफिडेविट लगाकर आवेदन करें. |
- मकान खरीदने पर भी यही प्रक्रिया अपनानी होगी. |
- वरासतन से जुड़े मामलों में डीएम, उनकी ओर से नामित अधिकारी या दीवानी कोर्ट से जारी किए गए उत्तराधिकार प्रमाणपत्र के साथ आवेदन करना होगा. |
- दाखिल खारिज प्रक्रिया से मैनुअल है और डिजिटल है, लेकिन अधिकांश काम मैनुअल ही होता है. इसके लिए कागजी कार्रवाई पूरी करनी होती है. |
- ऑनलाइन होने पर सभी दस्तावेज की फोटोकॉपी लगानी होगी. जरूरत पड़ने पर मूल कॉपी मांगी जा सकती है. |
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि येलो कार्ड प्रक्रिया मकान के मालिकाना हक के साथ ही वरासतन के लिए महत्वपूर्ण होती है. इस प्रक्रिया में मकान के स्वामी की मृत्यु या फिर मकान या संपत्ति को अपने किसी अन्य घर वाले या व्यक्ति को ट्रांसफर करने के लिए पीला कार्ड बेहद आवश्यक होता है. इस वरासतन प्रक्रिया के लिए कुछ डॉक्यूमेंट होते हैं. जिसे जमा करने के लिए जोनल कार्यालय जाना होता है. इसमें मकान की रजिस्ट्री का कागज, जिसकी मृत्यु हुई है उसका मृत्यु प्रमाण पत्र, एक एफिडेविट, घर के अन्य हिस्सेदार यदि हैं तो उनका नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट और आधार कार्ड की कॉपी के साथ जोनर ऑफिस में फॉर्म भरकर अप्लाई करना होता है. यह प्रक्रिया 45 दिन में पूरी होती है और जिसका खर्च 300 रुपये है. इस एप्लीकेशन को देने के बाद संबंधित जोनल इंस्पेक्टर वेरिफिकेशन करके 45 दिन के अंदर यह वरासतन येलो कार्ड जारी करता है. भवन स्वामी को आवेदन के साथ 100 रुपये के स्टांप पेपर पर एक शपथ पत्र भी देना होता है. इसमें इस बात का उल्लेख करना होगा कि जांच में सरकारी संपत्ति, पोखरा, तालाब, नलूज, बंजर भूमि पर भवन-भूमि मिलने पर निगम वैधानिक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है.