वैशाली: अगर आपसे कहा जाए कि बिहार सरकार की एक लापरवाही से वैशाली समाहरणालय को नीलाम किया जा सकता है तो आप सोच में पड़ जाएंगे कि क्या समाहरणालय भी नीलाम हो सकता है. लेकिन, आपको जानकर ताज्जुब होगा कि हाजीपुर व्यवहार न्यायालय की एडीजे 7 ज्योति कुमारी की अदालत ने वैशाली समाहरणालय को नीलाम करने से संबंधित नोटिस भेजा है. 18 मई तक जवाब देने के लिए कहा गया है.
क्या है मामलाः मामला सड़क हादसे में हुई मौत से जुड़ा है. बिदुपुर के चकसिकंदर निवासी साहेबजान खलीफा के पुत्र एम खलीफा की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. मौत का कारण रोड बनाने वाली रोड रोलर बताया गया था. रोड रोलर बिहार सरकार के अधीन थी. सबूत और गवाहों के आधार पर 2019 में हाजीपुर व्यवहार न्यायालय के एडीजे 7 की अदालत ने बिहार सरकार को मुआवजा देने का निर्देश दिया था. सरकार की ओर से ना तो पीड़ित को मुआवजा दिया गया और ना ही अपील की गई. यही कारण है कि अब समाहरणालय की नीलामी के लिए अटैचमेंट नोटिस जारी किया गया है.
प्रशासन की लापरवाहीः मामले में पीड़ित पक्ष के वकील अविनाश कुमार ने बताया कि साहेबजान खलीफा ने अपने पुत्र की मृत्यु के बाद एक केस दर्ज कराया था. 2019 के एडीजे 7 ने केस में फैसला सुनाया था. इसके बाद कोरोना आ गया. कोरोना के बाद फिर फाइल किया गया. 2021 में फाइल करके स्टेट को पर्याप्त समय दिया गया. इसके बाद भी स्टेट ना तो अपील में गई ना ही मुआवजे का भुगतान किया. 10 लाख 41 हजार की रकम है.
"सिविल में यह प्रक्रिया है कि किसी प्रॉपर्टी को नीलाम किया जाएगा उस पर कोर्ट को नोटिस देना होता है कि इसका हम अटैचमेंट कर रहे हैं. इसको नीलम पर चढ़ाएंगे. आपकी देनदारी है आप इसका भुगतान कर दो या हम नीलम पर चढ़ाएंगे. हमने कलेक्ट्रेट लिख दिया था बिहार सरकार की संपत्ति इसलिए कलेक्ट्रेट को अटैच करने का नोटिस किया गया है कि यह संपत्ति नीलामी पर चढ़ेगी."- अवनीश कुमार, पीड़ित पक्ष के एडवोकेट
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