ETV Bharat / state

उत्तराखंड में घर में भी सुरक्षित नहीं महिलाएं! आयोग में लगा शिकायतों का अंबार, चौंका रहे आंकड़े - Uttarakhand Women Crime Record

Uttarakhand Women Crime Record उत्तराखंड में महिलाओं से जुड़े आपराधिक मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. जबकि महिला आयोग में आ रही शिकायतों का निस्तारण करने में काफी लंबा समय लग रहा है. पिछले एक साल से भीतर करीब 50 फीसदी मामलों का ही निस्तारण हो पाया है.

Uttarakhand Women Crime Record
उत्तराखंड में महिला अपराध का ग्राफ (PHOTO-ETV BHARAT)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jun 13, 2024, 7:25 PM IST

Updated : Jun 13, 2024, 8:50 PM IST

उत्तराखंड महिला आयोग में शिकायतों का अंबार! (PHOTO- ETV BHARAT)

देहरादूनः उत्तराखंड जैसे शांत प्रदेश में जिस गति से आपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं. उसी क्रम में महिलाओं से जुड़े अपराध भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं. राज्य में लगातार बढ़ रहे आपराधिक घटनाएं पुलिस प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहे हैं. इन चुनौतियों के बीच पुलिस के लिए बढ़ते नशे पर लगाम लगाना भी टेढ़ी खीर साबित हो रही है. महिलाओं से जुड़े अपराधों की बात करें तो छेड़छाड़, दुष्कर्म, हत्या समेत तमाम मामले पुलिस फाइलों में दर्ज होते जा रहे हैं. जबकि राज्य महिला आयोग में भी आने वाली शिकायतों की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है.

आज के इस दौर में महिला घर के बाहर ही नहीं, बल्कि घर में भी सुरक्षित नहीं है. क्योंकि राज्य महिला आयोग में आने वाली अधिकांश शिकायतें परिवार से ही जुड़ी हुई हैं. राज्य महिला आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले एक साल के भीतर राज्य महिला आयोग में महिलाओं से जुड़े 1642 मामले दर्ज हुए. इनमें से 76 मामले अन्य राज्यों से जुड़े हुए हैं. आयोग में दर्ज इन सभी मामलों में सबसे अधिक मानसिक उत्पीड़न के 515 मामले दर्ज हुए हैं. इसके अलावा, 336 मामले जानमाल सुरक्षा, 257 मामले घरेलू हिंसा के साथ ही 139 मामले दहेज उत्पीड़न के सामने आए हैं.

Uttarakhand Women Crime Record
उत्तराखंड महिला आयोग में दर्ज जिलेवार शिकायतें (PHOTO- ETV BHARAT GRAHICS)

मानसिक उत्पीड़न के सबसे ज्यादा शिकायतें: आयोग के मुताबिक, अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच प्रदेश में कुल 1642 मामले दर्ज हुए. जिसमें 139 दहेज उत्पीड़न, 15 हत्या/आत्महत्या, 11 दुष्कर्म, 30 शारीरिक उत्पीड़न, 515 मानसिक उत्पीड़न, 257 घरेलू हिंसा, 39 भरण पोषण, 60 संपत्ति विवाद, 3 अपरहण, 1 देह व्यापार, 14 नौकरी संबंधित विवाद, 11 द्विविवाह, 7 यौन उत्पीड़न, 336 जानमाल सुरक्षा, 16 गुमशुदगी, 4 पेंशन, 4 झूठे आरोप, 20 अवैध संबंध, 18 आर्थिक उत्पीड़न, 71 धोखाधड़ी, 47 अश्लील हरकतें/छेड़खानी और 24 अन्य अपराध से जुड़े मामले शामिल हैं.

शिकायतों में देहरादून अव्वल: इसके अलावा, पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य महिला आयोग में दर्ज कुल 1642 मामलों में से 893 मामलों का ही निस्तारण हो पाया है. जबकि 749 मामले अभी भी विचाराधीन हैं. यानी अभी भी करीब 45 फीसदी मामलों का निस्तारण नहीं हो पाया है. राज्य महिला आयोग में दर्ज शिकायतों की बात करें तो, सबसे अधिक देहरादून जिले में 660 मामले दर्ज हुए हैं. इसके अलावा, हरिद्वार जिले में 296, उधमसिंह नगर जिले में 280, नैनीताल जिले में 97, पौड़ी 79, टिहरी 35, पिथौरागढ़ 32, अल्मोड़ा 20, उत्तरकाशी में 19, चमोली 19, चंपावत में 12, रुद्रप्रयाग 10 और बागेश्वर जिले में 7 शिकायतें दर्ज हुई हैं. इसके अलावा 76 मामले अन्य राज्यों के दर्ज हुए हैं.

प्रदेश में महिलाओं संबंधित बढ़ते आपराधिक मामले पर महिला सशक्तिकरण मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि महिलाओं से संबंधित अपराध का आंकड़ा प्रदेश में इस बात की ओर भी इशारा कर रहा है कि आज की महिलाएं किसी भी घटना को सहन नहीं करती है. बल्कि घटना की शिकायत पुलिस स्टेशन में देती हैं. उत्तराखंड में अगर किसी महिला के साथ कोई अपराध हुआ है तो अपराधी जेल के अंदर गया होगा. ऐसे में देवभूमि में अपराधियों को लिए कोई जगह नहीं है. लिहाजा, महिलाओं की सुरक्षा को लेकर महिला विभाग और सरकार भी प्रतिबद्ध है.

90 फीसदी मामलों में कानूनी पेंच: राज्य महिला आयोग में लंबित पड़े करीब 45 फीसदी मामलों पर मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि, वन स्टॉप सेंटर में जितने भी मामले दर्ज होते हैं, उसमें से 90 फीसदी मामले कानूनी प्रक्रियागत होते हैं. दर्ज शिकायतों को लेकर महिला आयोग परिवारों की काउंसलिंग करते हुए परिवार को बचाने का काम भी करता है. ऐसे में सरकार की कोशिश है कि महिलाओं के हक सुरक्षित रहे.

साथ ही कहा कि देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर जिले में अधिकतर मामले इस वजह से भी देखे जा रहे हैं क्योंकि ये जिले अन्य राज्यों से जुड़े हुए हैं. इन जिलों में अन्य राज्यों के अधिकतर लोगों का आना-जाना भी रहता है. इसके अलावा भी तमाम अन्य वजह है जिसके चलते इन मैदानी जिलों में महिला संबंधित अपराधों में इजाफा हुआ है.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में 26 फीसदी बढ़ा महिला अपराध, किडनैपिंग के सबसे ज्यादा केस, NCRB की रिपोर्ट में 6वें नंबर पर राज्य

उत्तराखंड महिला आयोग में शिकायतों का अंबार! (PHOTO- ETV BHARAT)

देहरादूनः उत्तराखंड जैसे शांत प्रदेश में जिस गति से आपराधिक घटनाएं बढ़ रही हैं. उसी क्रम में महिलाओं से जुड़े अपराध भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं. राज्य में लगातार बढ़ रहे आपराधिक घटनाएं पुलिस प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहे हैं. इन चुनौतियों के बीच पुलिस के लिए बढ़ते नशे पर लगाम लगाना भी टेढ़ी खीर साबित हो रही है. महिलाओं से जुड़े अपराधों की बात करें तो छेड़छाड़, दुष्कर्म, हत्या समेत तमाम मामले पुलिस फाइलों में दर्ज होते जा रहे हैं. जबकि राज्य महिला आयोग में भी आने वाली शिकायतों की संख्या भी तेजी से बढ़ती जा रही है.

आज के इस दौर में महिला घर के बाहर ही नहीं, बल्कि घर में भी सुरक्षित नहीं है. क्योंकि राज्य महिला आयोग में आने वाली अधिकांश शिकायतें परिवार से ही जुड़ी हुई हैं. राज्य महिला आयोग से मिली जानकारी के मुताबिक, पिछले एक साल के भीतर राज्य महिला आयोग में महिलाओं से जुड़े 1642 मामले दर्ज हुए. इनमें से 76 मामले अन्य राज्यों से जुड़े हुए हैं. आयोग में दर्ज इन सभी मामलों में सबसे अधिक मानसिक उत्पीड़न के 515 मामले दर्ज हुए हैं. इसके अलावा, 336 मामले जानमाल सुरक्षा, 257 मामले घरेलू हिंसा के साथ ही 139 मामले दहेज उत्पीड़न के सामने आए हैं.

Uttarakhand Women Crime Record
उत्तराखंड महिला आयोग में दर्ज जिलेवार शिकायतें (PHOTO- ETV BHARAT GRAHICS)

मानसिक उत्पीड़न के सबसे ज्यादा शिकायतें: आयोग के मुताबिक, अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच प्रदेश में कुल 1642 मामले दर्ज हुए. जिसमें 139 दहेज उत्पीड़न, 15 हत्या/आत्महत्या, 11 दुष्कर्म, 30 शारीरिक उत्पीड़न, 515 मानसिक उत्पीड़न, 257 घरेलू हिंसा, 39 भरण पोषण, 60 संपत्ति विवाद, 3 अपरहण, 1 देह व्यापार, 14 नौकरी संबंधित विवाद, 11 द्विविवाह, 7 यौन उत्पीड़न, 336 जानमाल सुरक्षा, 16 गुमशुदगी, 4 पेंशन, 4 झूठे आरोप, 20 अवैध संबंध, 18 आर्थिक उत्पीड़न, 71 धोखाधड़ी, 47 अश्लील हरकतें/छेड़खानी और 24 अन्य अपराध से जुड़े मामले शामिल हैं.

शिकायतों में देहरादून अव्वल: इसके अलावा, पिछले वित्तीय वर्ष में राज्य महिला आयोग में दर्ज कुल 1642 मामलों में से 893 मामलों का ही निस्तारण हो पाया है. जबकि 749 मामले अभी भी विचाराधीन हैं. यानी अभी भी करीब 45 फीसदी मामलों का निस्तारण नहीं हो पाया है. राज्य महिला आयोग में दर्ज शिकायतों की बात करें तो, सबसे अधिक देहरादून जिले में 660 मामले दर्ज हुए हैं. इसके अलावा, हरिद्वार जिले में 296, उधमसिंह नगर जिले में 280, नैनीताल जिले में 97, पौड़ी 79, टिहरी 35, पिथौरागढ़ 32, अल्मोड़ा 20, उत्तरकाशी में 19, चमोली 19, चंपावत में 12, रुद्रप्रयाग 10 और बागेश्वर जिले में 7 शिकायतें दर्ज हुई हैं. इसके अलावा 76 मामले अन्य राज्यों के दर्ज हुए हैं.

प्रदेश में महिलाओं संबंधित बढ़ते आपराधिक मामले पर महिला सशक्तिकरण मंत्री रेखा आर्य ने बताया कि महिलाओं से संबंधित अपराध का आंकड़ा प्रदेश में इस बात की ओर भी इशारा कर रहा है कि आज की महिलाएं किसी भी घटना को सहन नहीं करती है. बल्कि घटना की शिकायत पुलिस स्टेशन में देती हैं. उत्तराखंड में अगर किसी महिला के साथ कोई अपराध हुआ है तो अपराधी जेल के अंदर गया होगा. ऐसे में देवभूमि में अपराधियों को लिए कोई जगह नहीं है. लिहाजा, महिलाओं की सुरक्षा को लेकर महिला विभाग और सरकार भी प्रतिबद्ध है.

90 फीसदी मामलों में कानूनी पेंच: राज्य महिला आयोग में लंबित पड़े करीब 45 फीसदी मामलों पर मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि, वन स्टॉप सेंटर में जितने भी मामले दर्ज होते हैं, उसमें से 90 फीसदी मामले कानूनी प्रक्रियागत होते हैं. दर्ज शिकायतों को लेकर महिला आयोग परिवारों की काउंसलिंग करते हुए परिवार को बचाने का काम भी करता है. ऐसे में सरकार की कोशिश है कि महिलाओं के हक सुरक्षित रहे.

साथ ही कहा कि देहरादून, हरिद्वार और उधमसिंह नगर जिले में अधिकतर मामले इस वजह से भी देखे जा रहे हैं क्योंकि ये जिले अन्य राज्यों से जुड़े हुए हैं. इन जिलों में अन्य राज्यों के अधिकतर लोगों का आना-जाना भी रहता है. इसके अलावा भी तमाम अन्य वजह है जिसके चलते इन मैदानी जिलों में महिला संबंधित अपराधों में इजाफा हुआ है.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में 26 फीसदी बढ़ा महिला अपराध, किडनैपिंग के सबसे ज्यादा केस, NCRB की रिपोर्ट में 6वें नंबर पर राज्य

Last Updated : Jun 13, 2024, 8:50 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.