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कानपुर भी बना 'जामताड़ा', IPO में तगड़े मुनाफे का लालच देकर अल्मोड़ा के युवक से ठगी, दो फर्जी बैंक अफसर अरेस्ट - Cyber Fraudsters Arrested

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 21, 2024, 4:42 PM IST

Cyber Fraudsters Arrested, Dehradun STF Team एचडीएफसी सिक्योरिटीज का प्रतिनिधि बनकर एप्लिकेशन डाउनलोड करवाना और फिर एप्लिकेशन में ट्रेडिंग कर अधिक मुनाफा कमाने का लालच देकर ठगी करना दो युवकों को भारी पड़ गया. उत्तराखंड एसटीएफ ने उत्तर प्रदेश से दोनों ठगों को गिरफ्तार किया है.

Cyber Fraudsters Arrested
उत्तराखंड STF ने दो साइबर ठगों को गिरफ्तार किया (PHOTO- UK STF)

देहरादूनः उत्तराखंड एसटीएफ ने साइबर धोखाधड़ी के दो आरोपियों को कानपुर से गिरफ्तार किया. आरोपी खुद को एचडीएफसी सिक्योरिटीज का प्रतिनिधि बताकर आईपीओ में निवेश कर अधिक मुनाफे का लालच देकर पीड़ितों से धनराशि जमा करवाकर ठगी करते थे. आरोपियों के फर्म के बैंक खातों में करोड़ों रुपये की धनराशि का लेनदेन सामने आया है.

ऐसे देते हैं लालच: अल्मोड़ा निवासी पीड़ित द्वारा अगस्त 2024 में शिकायत दर्ज कराई गई थी कि, उन्हें व्हाट्सअप पर अज्ञात नंबर से कॉल और मैसेज प्राप्त हुआ. इस नंबर पर चैटिंग करने पर अज्ञात द्वारा खुद को एचडीएफसी सिक्योरिटीज का प्रतिनिधि बताया गया और एक व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए कहा गया. व्यक्ति ने एचडीएफसी वीआईपी एप्लिकेशन डाउनलोड कर इन्वेस्ट करने के लिए कहा. इस एप्लिकेशन में ट्रेडिंग करने के लिए उनके द्वारा व्हाट्सअप और कॉल के माध्यम से उपलब्ध कराए गए अलग-अलग बैंक खातों में करीब 1 करोड़ 36 लाख रुपए की धनराशि धोखाधड़ी से जमा कराई गई. उसके बाद आरोपियों ने नए जारी होने वाले आईपीओ में अधिक मुनाफे का लालच दिया. इसमें निवेश करने पर पीड़ित को कुछ ही दिनों में मुनाफा समेत लगभग 8 करोड़ रुपए की धनराशि एप्लिकेशन के डैशबोर्ड में प्रदर्शित की गई. लेकिन कई दिनों बाद भी निवेशकर्ता को कुछ नहीं मिला तो उन्होंने ठगी के संबंध में पुलिस से शिकायत की. अल्मोड़ा निवासी पीड़ित की तहरीर के आधार पर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया.

फर्म के खाते में ट्रांसफर की मोटी रकम: साइबर क्राइम पुलिस द्वारा घटना में प्रयोग बैंक खातों और मोबाइल नंबरों समेत व्हाट्सएप की जानकारी के लिए संबंधित बैंकों, सर्विस प्रदाता कंपनी, मेटा और गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया. प्राप्त डेटा से जानकारी में सामने आया कि आरोपियों ने पीड़ित से धोखाधड़ी की है. धनराशि को अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया था. जिसमें से 48.5 लाख रुपए की धनराशि सेंगर टेलीकॉम नाम से बनाई गई फर्म के चालू खाते में ट्रांसफर की गई थी. बैंक खातों को चेक करने पर पता चला कि आरोपियों ने इन बैंक खातों में फर्जी आईडी से लिए गए मोबाइल नंबरों को एसएमएस अलर्ट के रूप में रजिस्टर्ड कराया था.

जिसके बाद एसटीएफ की टीम ने घटना के मास्टरमांइड और मुख्य आरोपी अभिनव राज सिंह सेंगर निवासी कानपुर और मुकेश यादव को चिन्हित करते हुए आरोपियों की तलाश की. आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई स्थानों पर दबिशें दी गई. लेकिन आरोपी पुलिस को चकमा देने के लिए बार-बार अपनी लोकेशन बदल रहे थे. आखिरकार साइबर पुलिस टीम ने अभिनव राज सिंह सेंगर और मुकेश यादव को कानपुर से गिरफ्तार किया.

अपराध का तरीका: साइबर ठग व्हाट्सएप पर कॉल और मैसेज के माध्यम से पीड़ितों को शेयर बाजार में निवेश और आईपीओ की ट्रेडिंग की जानकारी देकर, लिंक के माध्यम से व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ कर ऑनलाइन ट्रेडिंग करने और मोबाइल फोन में HDFC VIP का फर्जी एप्लिकेशन डाउनलोड करवाकर नए शेयर के जारी होने वाले (IPO) में मुनाफा कमाने का झांसा देकर इन्वेस्ट के नाम पर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी करते थे. अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि को अपनी फर्म के बैक खातों में प्राप्त कर धनराशि को IMPS/RTGS के माध्यम से ट्रांसफर कर दिया जाता था.

अन्य राज्यों से किया जा रहा संपर्क: पीड़ित को लालच देने के लिए HDFC सिक्योरिटीज से मिलता जुलता HDFC VIP मोबाइल एप्लिकेशन में मुनाफे की धनराशि एप्लीकेशन के डैशबोर्ड पर दिखाई देती थी. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उनके द्वारा बैंक खातों में लिंक मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी को इटंरनेट बैंकिंग के लिए प्रयोग किया जाता था. साइबर पुलिस द्वारा देश भर में विभिन्न राज्यों से प्राप्त शिकायतों के संबंध में जानकारी के लिए अन्य राज्यों की पुलिस के साथ संपर्क किया जा रहा है.

11 से अधिक राज्यों में 34 शिकायतें: एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि आरोपियों ने साइबर अपराध के लिए अपनी फर्म के बैंक खाते का प्रयोग साइबर अपराध में ठगी गई धनराशि को जमा करने और अन्य खातों में ट्रांसफर किया किया है. बैंक खाते के स्टेटमेंट में करोड़ों रुपए का लेनदेन किया जाना पाया गया है. जांच में पता चला कि इन बैंक खातों के खिलाफ देश के कई राज्यों से साइबर अपराधों की शिकायतें दर्ज हैं. गिरफ्तार आरोपियों द्वारा प्रयोग किए गए फर्म के खाते के खिलाफ देशभर के अलग-अलग राज्यों दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल राज्यों में कुल 34 शिकायतें दर्ज हैं.

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देहरादूनः उत्तराखंड एसटीएफ ने साइबर धोखाधड़ी के दो आरोपियों को कानपुर से गिरफ्तार किया. आरोपी खुद को एचडीएफसी सिक्योरिटीज का प्रतिनिधि बताकर आईपीओ में निवेश कर अधिक मुनाफे का लालच देकर पीड़ितों से धनराशि जमा करवाकर ठगी करते थे. आरोपियों के फर्म के बैंक खातों में करोड़ों रुपये की धनराशि का लेनदेन सामने आया है.

ऐसे देते हैं लालच: अल्मोड़ा निवासी पीड़ित द्वारा अगस्त 2024 में शिकायत दर्ज कराई गई थी कि, उन्हें व्हाट्सअप पर अज्ञात नंबर से कॉल और मैसेज प्राप्त हुआ. इस नंबर पर चैटिंग करने पर अज्ञात द्वारा खुद को एचडीएफसी सिक्योरिटीज का प्रतिनिधि बताया गया और एक व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़ने के लिए कहा गया. व्यक्ति ने एचडीएफसी वीआईपी एप्लिकेशन डाउनलोड कर इन्वेस्ट करने के लिए कहा. इस एप्लिकेशन में ट्रेडिंग करने के लिए उनके द्वारा व्हाट्सअप और कॉल के माध्यम से उपलब्ध कराए गए अलग-अलग बैंक खातों में करीब 1 करोड़ 36 लाख रुपए की धनराशि धोखाधड़ी से जमा कराई गई. उसके बाद आरोपियों ने नए जारी होने वाले आईपीओ में अधिक मुनाफे का लालच दिया. इसमें निवेश करने पर पीड़ित को कुछ ही दिनों में मुनाफा समेत लगभग 8 करोड़ रुपए की धनराशि एप्लिकेशन के डैशबोर्ड में प्रदर्शित की गई. लेकिन कई दिनों बाद भी निवेशकर्ता को कुछ नहीं मिला तो उन्होंने ठगी के संबंध में पुलिस से शिकायत की. अल्मोड़ा निवासी पीड़ित की तहरीर के आधार पर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया.

फर्म के खाते में ट्रांसफर की मोटी रकम: साइबर क्राइम पुलिस द्वारा घटना में प्रयोग बैंक खातों और मोबाइल नंबरों समेत व्हाट्सएप की जानकारी के लिए संबंधित बैंकों, सर्विस प्रदाता कंपनी, मेटा और गूगल आदि से पत्राचार कर डेटा प्राप्त किया गया. प्राप्त डेटा से जानकारी में सामने आया कि आरोपियों ने पीड़ित से धोखाधड़ी की है. धनराशि को अलग-अलग बैंक खातों में ट्रांसफर किया गया था. जिसमें से 48.5 लाख रुपए की धनराशि सेंगर टेलीकॉम नाम से बनाई गई फर्म के चालू खाते में ट्रांसफर की गई थी. बैंक खातों को चेक करने पर पता चला कि आरोपियों ने इन बैंक खातों में फर्जी आईडी से लिए गए मोबाइल नंबरों को एसएमएस अलर्ट के रूप में रजिस्टर्ड कराया था.

जिसके बाद एसटीएफ की टीम ने घटना के मास्टरमांइड और मुख्य आरोपी अभिनव राज सिंह सेंगर निवासी कानपुर और मुकेश यादव को चिन्हित करते हुए आरोपियों की तलाश की. आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई स्थानों पर दबिशें दी गई. लेकिन आरोपी पुलिस को चकमा देने के लिए बार-बार अपनी लोकेशन बदल रहे थे. आखिरकार साइबर पुलिस टीम ने अभिनव राज सिंह सेंगर और मुकेश यादव को कानपुर से गिरफ्तार किया.

अपराध का तरीका: साइबर ठग व्हाट्सएप पर कॉल और मैसेज के माध्यम से पीड़ितों को शेयर बाजार में निवेश और आईपीओ की ट्रेडिंग की जानकारी देकर, लिंक के माध्यम से व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ कर ऑनलाइन ट्रेडिंग करने और मोबाइल फोन में HDFC VIP का फर्जी एप्लिकेशन डाउनलोड करवाकर नए शेयर के जारी होने वाले (IPO) में मुनाफा कमाने का झांसा देकर इन्वेस्ट के नाम पर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी करते थे. अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि को अपनी फर्म के बैक खातों में प्राप्त कर धनराशि को IMPS/RTGS के माध्यम से ट्रांसफर कर दिया जाता था.

अन्य राज्यों से किया जा रहा संपर्क: पीड़ित को लालच देने के लिए HDFC सिक्योरिटीज से मिलता जुलता HDFC VIP मोबाइल एप्लिकेशन में मुनाफे की धनराशि एप्लीकेशन के डैशबोर्ड पर दिखाई देती थी. पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उनके द्वारा बैंक खातों में लिंक मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी को इटंरनेट बैंकिंग के लिए प्रयोग किया जाता था. साइबर पुलिस द्वारा देश भर में विभिन्न राज्यों से प्राप्त शिकायतों के संबंध में जानकारी के लिए अन्य राज्यों की पुलिस के साथ संपर्क किया जा रहा है.

11 से अधिक राज्यों में 34 शिकायतें: एसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि आरोपियों ने साइबर अपराध के लिए अपनी फर्म के बैंक खाते का प्रयोग साइबर अपराध में ठगी गई धनराशि को जमा करने और अन्य खातों में ट्रांसफर किया किया है. बैंक खाते के स्टेटमेंट में करोड़ों रुपए का लेनदेन किया जाना पाया गया है. जांच में पता चला कि इन बैंक खातों के खिलाफ देश के कई राज्यों से साइबर अपराधों की शिकायतें दर्ज हैं. गिरफ्तार आरोपियों द्वारा प्रयोग किए गए फर्म के खाते के खिलाफ देशभर के अलग-अलग राज्यों दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, उड़ीसा, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल राज्यों में कुल 34 शिकायतें दर्ज हैं.

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