देहरादून: उत्तराखंड के कई शहर प्रदूषण सिटी के रूप में विकसित हो रहे हैं. जिसमें ट्रैफिक का बढ़ता दबाव और औद्योगिक गतिविधियां जिम्मेदार हैं, लेकिन शहरी क्षेत्र में तेजी से हो रहे कंस्ट्रक्शन के काम भी आबोहवा को खराब करने के लिए कम जिम्मेदार नहीं हैं. इसी को देखते हुए उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सख्ती करने के निर्देश जारी किए हैं. साथ ही निगरानी बढ़ाने के साथ-साथ नियमों का पालन करने के लिए कार्य योजना तैयार करने को कहा गया है.
उत्तराखंड में खासतौर पर सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में देहरादून ऋषिकेश और काशीपुर का नाम शामिल है, लेकिन हरिद्वार और रुद्रपुर जैसे शहरों में भी प्रदूषण बढ़ रहा है. दरअसल ट्रैफिक का बढ़ता दबाव और तमाम औद्योगिक गतिविधियों में हो रहे इजाफे के साथ ही शहरों में निर्माण कार्य की बढ़ती गतिविधियां भी इसकी बड़ी वजह है. राजधानी देहरादून की ही बात करें तो सामान्य दिनों में 2 साल पहले तक AQI जो 100 तक था, वो अब 2024 में 150 तक पहुंच गया है.
इन्हीं स्थितियों को देखते हुए अब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने निगरानी बढ़ाने के साथ ही कंस्ट्रक्शन के कामों को नियमों के अनुसार नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपनाने के निर्देश भी जारी किए हैं. दरअसल राज्य में कंस्ट्रक्शन का काम हो या ध्वस्तीकरण का, इन सबके लिए नियम तय हैं, लेकिन इनका पालन नहीं किया जाता.
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सदस्य सचिव पराग मधुकर धकाते ने बताया कि अधिकारियों को स्पर्श शक्ति बढ़ाने के लिए कहा है और निगरानी बढ़ाने के साथ-साथ कंस्ट्रक्शन वाले क्षेत्रों में लगातार नियमों का पालन कराए जाने के लिए भी निर्देश दिए गए हैं.
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