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खबर का असर: पंचायती राज निदेशक ने पलटा शासन का तबादला आदेश, ETV भारत ने उठाया था ट्रांसफर में गड़बड़ी का मुद्दा - Panchayati Raj Department - PANCHAYATI RAJ DEPARTMENT

Panchayati Raj Department उत्तराखंड पंचायती राज विभाग इन दिनों अजीबोगरीब आदेशों के चलते चर्चाओं में हैं. तबादले से जुड़ा एक ऐसा ही मामला ईटीवी भारत ने भी उठाया था. जिसपर पंचायती राज निदेशक निधि यादव ने बड़ा फैसला लेते हुए शासन के ही तबादला आदेश को निरस्त कर दिया है. बड़ी बात यह है कि तबादलों को निरस्त करने से जुड़े इस आदेश में पूर्व में किए गए तबादला आदेश को नियम विरुद्ध बताया गया है.

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पंचायती राज निदेशक ने पलटा शासन का तबादला आदेश (PHOTO-ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 4, 2024, 4:46 PM IST

देहरादूनः पंचायती राज विभाग में स्थानांतरण को लेकर नियमों की धज्जियां उड़ाने से जुड़ा मामला फिर चर्चाओं में है. ईटीवी भारत ने पंचायती राज विभाग में ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों के नियम विरुद्ध तबादलों का मामला उठाया था, जिसको लेकर अब निदेशक पंचायती राज ने कड़ा रूख अपनाते हुए आखिरकार शासन के ही आदेशों को निरस्त कर दिया है.

दरअसल, पूर्व में पंचायती राज सचिव रहे हरिश्चंद्र सेमवाल ने ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों के विभिन्न जिलों में तबादले किए थे. जबकि ग्राम पंचायत विकास अधिकारी का पद जिला संवर्ग का है. इनका स्थानांतरण किसी विशेष परिस्थिति के सिवाय जिले से बाहर नहीं हो सकता. शासन स्तर पर इस तरह किसी एक या दो नहीं बल्कि 22 ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों के तबादले किए गए. हैरानी की बात यह है कि तबादला आदेश होने के फौरन बाद पंचायती राज निदेशालय स्तर पर इन तबादलों पर रोक लगाते हुए इन्हें निदेशालय में ही अटैच कर दिया गया. इसके बाद पंचायती राज निदेशक निधि यादव ने शासन को पत्र लिखकर नियमों के अंतर्गत तबादलों को लेकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा. लेकिन शासन स्तर पर इस संदर्भ में कोई जवाब नहीं दिया गया. आदेश से यह स्पष्ट है कि शासन ने जो तबादले किए उन्हें शासन स्तर से जवाब न मिलने के कारण निरस्त कर दिया गया.

हाल ही में शासन स्तर पर आईएएस अधिकारियों के तबादले हुए हैं. जिसमें पंचायती राज सचिव हरिश्चंद्र सेमवाल से उनका यह विभाग वापस ले लिया गया है. उधर उनके विभाग से जाने के 48 घंटे में ही पंचायती राज निदेशक ने भी तबादले के आदेश को पलट दिया. शासन में वैसे तो यह मामला इन दिनों चर्चाओं में है. लेकिन मजे की बात यह है कि नियमों का इस तरह हो रहा उल्लंघन सरकार की नजर में ही नहीं आ रहा. बड़ी बात यह भी है कि विभाग के निदेशक को शासन के आदेश निरस्त करने पड़ रहे हैं. जाहिर है कि यह स्थिति ना तो शासन के लिए अच्छी है और ना ही सरकार की छवि के लिए.

ईटीवी भारत ने भी तबादले से जुड़े इस प्रकरण पर पूर्व में सवाल खड़े किए थे. ऐसे में निदेशक के स्तर पर तबादला आदेश को निरस्त करना बड़ी कार्रवाई माना जा सकता है. और यह ईटीवी भारत की खबर का बड़ा असर भी है.

ये भी पढ़ेंः अधर में लटक गया शासन का तबादला आदेश, सचिव के फैसले से हैरान पंचायतीराज महकमा

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में शासन स्तर पर बड़ा फेरबदल, कई IAS अफसरों का तबादला, शैलेश बगोली को नई जिम्मेदारी, देखें लिस्ट

देहरादूनः पंचायती राज विभाग में स्थानांतरण को लेकर नियमों की धज्जियां उड़ाने से जुड़ा मामला फिर चर्चाओं में है. ईटीवी भारत ने पंचायती राज विभाग में ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों के नियम विरुद्ध तबादलों का मामला उठाया था, जिसको लेकर अब निदेशक पंचायती राज ने कड़ा रूख अपनाते हुए आखिरकार शासन के ही आदेशों को निरस्त कर दिया है.

दरअसल, पूर्व में पंचायती राज सचिव रहे हरिश्चंद्र सेमवाल ने ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों के विभिन्न जिलों में तबादले किए थे. जबकि ग्राम पंचायत विकास अधिकारी का पद जिला संवर्ग का है. इनका स्थानांतरण किसी विशेष परिस्थिति के सिवाय जिले से बाहर नहीं हो सकता. शासन स्तर पर इस तरह किसी एक या दो नहीं बल्कि 22 ग्राम पंचायत विकास अधिकारियों के तबादले किए गए. हैरानी की बात यह है कि तबादला आदेश होने के फौरन बाद पंचायती राज निदेशालय स्तर पर इन तबादलों पर रोक लगाते हुए इन्हें निदेशालय में ही अटैच कर दिया गया. इसके बाद पंचायती राज निदेशक निधि यादव ने शासन को पत्र लिखकर नियमों के अंतर्गत तबादलों को लेकर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा. लेकिन शासन स्तर पर इस संदर्भ में कोई जवाब नहीं दिया गया. आदेश से यह स्पष्ट है कि शासन ने जो तबादले किए उन्हें शासन स्तर से जवाब न मिलने के कारण निरस्त कर दिया गया.

हाल ही में शासन स्तर पर आईएएस अधिकारियों के तबादले हुए हैं. जिसमें पंचायती राज सचिव हरिश्चंद्र सेमवाल से उनका यह विभाग वापस ले लिया गया है. उधर उनके विभाग से जाने के 48 घंटे में ही पंचायती राज निदेशक ने भी तबादले के आदेश को पलट दिया. शासन में वैसे तो यह मामला इन दिनों चर्चाओं में है. लेकिन मजे की बात यह है कि नियमों का इस तरह हो रहा उल्लंघन सरकार की नजर में ही नहीं आ रहा. बड़ी बात यह भी है कि विभाग के निदेशक को शासन के आदेश निरस्त करने पड़ रहे हैं. जाहिर है कि यह स्थिति ना तो शासन के लिए अच्छी है और ना ही सरकार की छवि के लिए.

ईटीवी भारत ने भी तबादले से जुड़े इस प्रकरण पर पूर्व में सवाल खड़े किए थे. ऐसे में निदेशक के स्तर पर तबादला आदेश को निरस्त करना बड़ी कार्रवाई माना जा सकता है. और यह ईटीवी भारत की खबर का बड़ा असर भी है.

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