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10 दिसंबर को लगेगी लैंड ट्रांसफर की क्लास, केंद्र एक्सपर्ट सिखाएंगे गुर, रूल्स की देंगे ट्रेनिंग - LAND TRANSFER IN UTTARAKHAND

लैंड ट्रांसफर के संशोधित नियमों को लेकर आयोजित की जाएगी कार्यशाला, फारेस्ट कंजर्वेशन से जुड़े मामलों पर भी होगी चर्चा

LAND TRANSFER IN UTTARAKHAND
उत्तराखंड में लैंड ट्रांसफर (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 5, 2024, 6:03 PM IST

Updated : Dec 6, 2024, 8:05 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड में भूमि हस्तांतरण के कामों को ज्यादा बेहतर तरीके से करने के लिए अब राज्य के अफसर ट्रेंड हो सकेंगे. प्रदेश में अधिकारियों को लैंड ट्रांसफर से जुड़े संशोधित नियमों को जानने का मौका मिलेगा. इससे लैंड ट्रांसफर से जुड़े मामलों में हो रही लेटलतीफी को भी दूर किया जा सकेगा.

उत्तराखंड में भूमि हस्तांतरण के मामले अक्सर तमाम योजनाओं के लिए मुश्किलें खड़ी कर देते हैं. इसमें लगने वाला लंबा समय योजनाओं को भी कई बार ठंडे बस्ते में डाल देता है. राज्य में ऐसी तमाम विकास योजनाओं को तेजी देने के लिए लैंड ट्रांसफर की पेचीदगियों को अधिकारी समझने जा रहे हैं. खास बात यह है कि लैंड ट्रांसफर के यह सभी मामले फारेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 के अंतर्गत आते हैं. दिसंबर साल 2023 में एक्ट में कुछ संशोधन किया गया है. इतना ही नहीं कई नियम और नई गाइडलाइन भी भारत सरकार की तरफ से दी गई है. जाहिर है कि इन नियमों की जानकारी अधिकारियों को होना बेहद जरूरी है. इसी मकसद के साथ भारत सरकार के एक्सपर्ट अब उत्तराखंड में दस्तक देने जा रहे हैं.

10 दिसंबर को लगेगी लैंड ट्रांसफर की क्लास (ETV BHARAT)

प्रदेश में इसके लिए एक कार्यशाला का आयोजन होने जा रहा है. 10 दिसंबर को इस कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. जिसमें भारत सरकार के एक्सपर्ट मौजूद रहेंगे. इसके अलावा उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारियों के साथ कैंपा के अधिकारियों को भी इसमें बुलाया गया है. कोशिश यह है कि वन विभाग के अधिकारी संशोधित एक्ट और नियमों की बारीकी से जानकारी ले सकें. जिससे लैंड ट्रांसफर के मामलों को उत्तराखंड बेहतर तरीके से डील कर सके.

उत्तराखंड में कई बार नियमों को लेकर असमंजस होने के कारण लैंड ट्रांसफर के मामलों से जुड़े प्रस्ताव ठीक से तैयार नहीं हो पाए थे, यही नहीं कई बार इस पर समय से निर्णय भी नहीं लिया जाता था. इन्हीं बातों को समझते हुए भारत सरकार के एक्सपर्ट के साथ होने वाली बातचीत में उत्तराखंड के अधिकारियों को फारेस्ट कंजर्वेशन से जुड़े सभी अपडेट नियमों को बताया जाएगा.

फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 हुए संशोधनों पर अपडेट नियमों की जानकारी वन विभाग के डीएफओ स्तर के अधिकारी भी ले सकेंगे. इससे तमाम विकास कार्यों में नियमों के हिसाब से प्रस्ताव तैयार हो पाएंगे. साथ ही नियमों के लिहाज से ही निर्णय लेने में भी अधिकारी सक्षम होंगे.

पढे़ं-उत्तराखंड में जमकर हो रहा भू-कानून का उल्लंघन, फैक्ट्री के लिए ली जमीन पर काट दी कॉलोनी, अब दर्ज होगा मुकदमा

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उत्तराखंड में भूमि हस्तांतरण के मामले अक्सर तमाम योजनाओं के लिए मुश्किलें खड़ी कर देते हैं. इसमें लगने वाला लंबा समय योजनाओं को भी कई बार ठंडे बस्ते में डाल देता है. राज्य में ऐसी तमाम विकास योजनाओं को तेजी देने के लिए लैंड ट्रांसफर की पेचीदगियों को अधिकारी समझने जा रहे हैं. खास बात यह है कि लैंड ट्रांसफर के यह सभी मामले फारेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 के अंतर्गत आते हैं. दिसंबर साल 2023 में एक्ट में कुछ संशोधन किया गया है. इतना ही नहीं कई नियम और नई गाइडलाइन भी भारत सरकार की तरफ से दी गई है. जाहिर है कि इन नियमों की जानकारी अधिकारियों को होना बेहद जरूरी है. इसी मकसद के साथ भारत सरकार के एक्सपर्ट अब उत्तराखंड में दस्तक देने जा रहे हैं.

10 दिसंबर को लगेगी लैंड ट्रांसफर की क्लास (ETV BHARAT)

प्रदेश में इसके लिए एक कार्यशाला का आयोजन होने जा रहा है. 10 दिसंबर को इस कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा. जिसमें भारत सरकार के एक्सपर्ट मौजूद रहेंगे. इसके अलावा उत्तराखंड वन विभाग के अधिकारियों के साथ कैंपा के अधिकारियों को भी इसमें बुलाया गया है. कोशिश यह है कि वन विभाग के अधिकारी संशोधित एक्ट और नियमों की बारीकी से जानकारी ले सकें. जिससे लैंड ट्रांसफर के मामलों को उत्तराखंड बेहतर तरीके से डील कर सके.

उत्तराखंड में कई बार नियमों को लेकर असमंजस होने के कारण लैंड ट्रांसफर के मामलों से जुड़े प्रस्ताव ठीक से तैयार नहीं हो पाए थे, यही नहीं कई बार इस पर समय से निर्णय भी नहीं लिया जाता था. इन्हीं बातों को समझते हुए भारत सरकार के एक्सपर्ट के साथ होने वाली बातचीत में उत्तराखंड के अधिकारियों को फारेस्ट कंजर्वेशन से जुड़े सभी अपडेट नियमों को बताया जाएगा.

फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट 1980 हुए संशोधनों पर अपडेट नियमों की जानकारी वन विभाग के डीएफओ स्तर के अधिकारी भी ले सकेंगे. इससे तमाम विकास कार्यों में नियमों के हिसाब से प्रस्ताव तैयार हो पाएंगे. साथ ही नियमों के लिहाज से ही निर्णय लेने में भी अधिकारी सक्षम होंगे.

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Last Updated : Dec 6, 2024, 8:05 PM IST
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