देहरादून: उत्तराखंड के जाने माने इतिहासकार डॉक्टर यशवंत सिंह कठोच तीन दशक से ज्यादा शिक्षक के रूप में सेवाएं देने का सम्मान मिला है. गणतंत्र दिवस 2024 में उन्हें पद्मश्री अवॉर्ड दिया जा रहा है. पुरातत्व के क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने वाले इतिहासकार डॉक्टर यशवंत सिंह कठोच को पद्मश्री मिलने पर राज्य के लोगों ने खुशी जताई है.
डॉ कठोच पौड़ी के रहने वाले हैं: डॉक्टर यशवंत कठोच उत्तराखंड के वीवीआईपी जिले पौड़ी से नाता रखते हैं. वो पौड़ी के मांसों गांव के रहने वाले हैं. आगरा विश्वविद्यालय से 1974 में एनसिएंट इंडियन हिस्ट्री, आर्कियोलॉजी और कल्चर में टॉप किया. इसके चार साल बाद यानी 1978 में उन्होंने एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय में मध्य हिमालय के पुरातत्व पर शोध किया और डीफिल की उपाधि ली. 33 साल तक शिक्षक के रूप में सेवा देने के बाद 1995 आप रिटायर हो गए.
डॉक्टर यशवंत सिंह कठोच का रचनाकर्म: डॉक्टर यशवंत सिंह कठोच उत्तराखंड शोध संस्थान के संस्थापक सदस्य हैं. इस संस्थान की स्थापना 1973 में की गई थी. डॉक्टर कठोच ने मध्य हिमालय की कला- एक वास्तु शात्रीय अध्ययन, मध्य हिमालय का पुरातत्व, संस्कृति के पदचिन्ह, सिंह भारती और उत्तराखंड की सैन्य परंपरा समेत एक दर्जन पुस्तकें लिखी हैं. शोध छात्रों के लिए ये डॉ कठोच की ये पुस्तकें लाभदायक साबित हो रही हैं. उत्तराखंड और यहां की संस्कृति के साथ ही मध्य हिमालय में रुचि रखने वालों के लिए उनकी ये किताबें मार्गदर्शक का काम करती हैं. अभी वो मध्य हिमालय के पुराभिलेख और इतिहास तथा संस्कृति पर निबंध जैसी रचनाओं को पूर्ण करने का काम कर रहे हैं. डॉक्टर यशवंत सिंह कठोच की ये पुस्तकें जल्द पाठकों तक पहुंचेंगी.
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