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नाबालिग प्रेमियों पर कार्रवाई का मामला, अरेस्टिंग के खिलाफ याचिका पर HC ने की सुनवाई, सरकार से मांगा जवाब - Case Of Action On Minor Lovers

Case Of Action On Minor Lovers उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नाबालिग प्रेमियों पर कार्रवाई के मामले पर सुनवाई की. कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से मामले पर जवाब मांगा है. कोर्ट के संज्ञान में आया है कि 20 नाबालिग बच्चे हल्द्वानी जेल में बंद है.

UTTARAKHAND HIGHCOURT
उत्तराखंड हाईकोर्ट (FILE PHOTO)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Jul 1, 2024, 8:18 PM IST

Updated : Jul 1, 2024, 9:42 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नाबालिग प्रेमी युगल के डेटिंग के दौरान पकड़े जाने पर लड़के को गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जबाव दाखिल करने को कहा है. याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितू बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई. कोर्ट ने राज्य सरकार से जांच करने को कहा है कि क्या ऐसे मामलों में गिरफ्तारी से बचा जा सकता है. मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी.

अधिवक्ता मनीषा भंडारी ने ये जनहित याचिका दायर की है. नाबालिग लड़की के साथ डेट पर जाने को लेकर लड़की के माता-पिता की शिकायत के आधार पर नाबालिग लड़के की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया गया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि POCSO अधिनियम की धारा 3, 4, 5, 6 और 7 के तहत ये कोई अपराध नहीं बनता.

अधिवक्ता मनीषा भंडारी द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि नाबालिग लड़के-लड़कियों के प्यार के मामले में हमेशा दोषी लड़के को माना जाता है. कुछ मामलों में लड़की उम्र में बड़ी होती है तब भी लड़के को ही कस्टडी में लिया जाता है और उसे क्रिमिनल बनाकर जेल में डाल दिया जाता है, जबकि उसकी गिरफ्तारी के बजाय काउंसिलिंग होनी चाहिए. ऐसे में जिस उम्र में उसे स्कूल-कॉलेज होना चाहिए था, वो जेल में होता है.

ऐसे मामलों में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत लड़के, लड़कियों और उनके परिजनों की काउंसिलिंग की जानी चाहिए. जबकि भारतीय दंड संहिता में 16 से 18 साल के अपराधी बच्चों को दंड देने के बजाय उनकी मानसिक स्थिति को जानने के लिए बोर्ड का गठन करने का प्रावधान है. इसके विपरीत नाबालिग लड़कों को पॉक्सो एक्ट के कुछ धाराओं में जेल भेज दिया जाता है. यह अपने आप में सोचनीय विषय है. इसपर विचार किया जाना आवश्यक है. नाबालिगों को सीधे जेल न भेजकर उनकी काउंसिलिंग की जानी चाहिए.

सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में आया कि केवल हल्द्वानी जेल में ऐसे आरोपों से संबंधित 20 बच्चे बंद हैं. मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जबाव मांगा है.

ये भी पढ़ेंः दून नगर निगम का होर्डिंग और यूनिपोल टेंडर प्रक्रिया मामला, HC ने राज्य सरकार को जारी किया नोटिस

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नाबालिग प्रेमी युगल के डेटिंग के दौरान पकड़े जाने पर लड़के को गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से जबाव दाखिल करने को कहा है. याचिका की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितू बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में हुई. कोर्ट ने राज्य सरकार से जांच करने को कहा है कि क्या ऐसे मामलों में गिरफ्तारी से बचा जा सकता है. मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी.

अधिवक्ता मनीषा भंडारी ने ये जनहित याचिका दायर की है. नाबालिग लड़की के साथ डेट पर जाने को लेकर लड़की के माता-पिता की शिकायत के आधार पर नाबालिग लड़के की गिरफ्तारी पर सवाल उठाया गया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि POCSO अधिनियम की धारा 3, 4, 5, 6 और 7 के तहत ये कोई अपराध नहीं बनता.

अधिवक्ता मनीषा भंडारी द्वारा दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि नाबालिग लड़के-लड़कियों के प्यार के मामले में हमेशा दोषी लड़के को माना जाता है. कुछ मामलों में लड़की उम्र में बड़ी होती है तब भी लड़के को ही कस्टडी में लिया जाता है और उसे क्रिमिनल बनाकर जेल में डाल दिया जाता है, जबकि उसकी गिरफ्तारी के बजाय काउंसिलिंग होनी चाहिए. ऐसे में जिस उम्र में उसे स्कूल-कॉलेज होना चाहिए था, वो जेल में होता है.

ऐसे मामलों में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत लड़के, लड़कियों और उनके परिजनों की काउंसिलिंग की जानी चाहिए. जबकि भारतीय दंड संहिता में 16 से 18 साल के अपराधी बच्चों को दंड देने के बजाय उनकी मानसिक स्थिति को जानने के लिए बोर्ड का गठन करने का प्रावधान है. इसके विपरीत नाबालिग लड़कों को पॉक्सो एक्ट के कुछ धाराओं में जेल भेज दिया जाता है. यह अपने आप में सोचनीय विषय है. इसपर विचार किया जाना आवश्यक है. नाबालिगों को सीधे जेल न भेजकर उनकी काउंसिलिंग की जानी चाहिए.

सुनवाई के दौरान कोर्ट के संज्ञान में आया कि केवल हल्द्वानी जेल में ऐसे आरोपों से संबंधित 20 बच्चे बंद हैं. मामले को गंभीरता से लेते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से जबाव मांगा है.

ये भी पढ़ेंः दून नगर निगम का होर्डिंग और यूनिपोल टेंडर प्रक्रिया मामला, HC ने राज्य सरकार को जारी किया नोटिस

Last Updated : Jul 1, 2024, 9:42 PM IST
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