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उत्तराखंड शिक्षा विभाग शुरू करेगा शेयरिंग व्यवस्था, बदलेगा एजुकेशन सिस्टम, टीचर्स के साथ शेयर होगा इंफ्रास्ट्रक्चर

सरकारी स्कूलों के लिए संजीवनी होगी शेयरिंग व्यवस्था, जल्द विभिन्न बोर्ड आपस में साइन करेंगे अनुबंध

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 3 hours ago

Updated : 2 hours ago

UTTARAKHAND EDUCATION DEPARTMENT
उत्तराखंड शिक्षा विभाग (ETV BHARAT)

देहरादून: सरकारी स्कूलों के बच्चों को अब सीबीएसई, ICSC बोर्ड के फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले शिक्षक पढ़ाते हुए नजर आएंगे. इतना ही नहीं स्कूलों के बच्चों को बेहतरीन प्लेग्राउंड भी आसानी से उपलब्ध हो जाएगा. राज्य में यह सब शिक्षा विभाग की उस पहल के तहत हो रहा है जिसमें उत्तराखंड सरकार स्कूलों में शेयरिंग व्यवस्था को शुरू करने जा रही है.

उत्तराखंड सरकार शिक्षा के क्षेत्र में एक नया प्रयोग करने जा रही है. इसके तहत विद्यालयों में शेयरिंग व्यवस्था को लागू किया जाएगा. यह व्यवस्था विभिन्न बोर्डों के बीच होने वाले MOU के बाद राज्य में लागू की जा सकेगी. दरअसल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शैक्षणिक व्यवस्थाओं को लेकर कई बिंदुओं पर राज्यों को कार्य करने के लिए कहा गया है. इसी में से एक शिक्षा विभाग में शेयरिंग व्यवस्था को लागू करना भी है. हालांकि, इस पर अभी काम शुरू नहीं हो पाया है, लेकिन, माना जा रहा है कि एमओयू साइन होने के बाद राज्य में यह नई व्यवस्था लागू की जा सकेगी.

प्रदेश में यह व्यवस्था खास तौर पर सरकारी विद्यालयों के लिए संजीवनी साबित होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि जो छात्र निजी विद्यालयों जैसी शैक्षणिक व्यवस्था को नहीं प्राप्त कर पाते उन्हें भी अब प्राइवेट विद्यालयों के फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले शिक्षक पढ़ाएंगे. साथ ही उन बच्चों को बेहतर खेल के मैदान भी उपलब्ध हो सकेंगे. शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के मुताबिक जल्द ही इस मामले में अधिकारियों को अग्रिम कार्रवाई करने के लिए कहा गया है. इसके तहत जल्द ही विभिन्न बोर्ड आपस में अनुबंध साइन करेंगे.


नई व्यवस्था के तहत निजी विद्यालयों के अच्छे शिक्षकों को दूसरे विद्यालय में पढ़ाने के लिए भेजा जा सकेगा. इसी तरह उत्तराखंड बोर्ड के अच्छे शिक्षक भी निजी विद्यालयों में जाकर अपने अनुभव का लाभ वहां के बच्चों को देंगे. कुल मिलाकर यह नई व्यवस्था शिक्षकों की शेयरिंग के लिए एक नई शुरुआत होगी. शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले शिक्षक दूसरे बोर्ड में जाकर छात्रों को पढ़ा सकेंगे. उधर दूसरी तरफ इसी व्यवस्था में इंफ्रास्ट्रक्चर की शेयरिंग भी की जा सकेगी. बेहतर ग्राउंड का लाभ ऐसे छात्र भी ले सकेंगे जिनके विद्यालयों में खेलने के लिए ग्राउंड मौजूद नहीं है.

पढे़ं- उत्तराखंड में अक्षम टीचर्स पर एक्शन, लटकी बर्खास्तगी की तलवार

देहरादून: सरकारी स्कूलों के बच्चों को अब सीबीएसई, ICSC बोर्ड के फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले शिक्षक पढ़ाते हुए नजर आएंगे. इतना ही नहीं स्कूलों के बच्चों को बेहतरीन प्लेग्राउंड भी आसानी से उपलब्ध हो जाएगा. राज्य में यह सब शिक्षा विभाग की उस पहल के तहत हो रहा है जिसमें उत्तराखंड सरकार स्कूलों में शेयरिंग व्यवस्था को शुरू करने जा रही है.

उत्तराखंड सरकार शिक्षा के क्षेत्र में एक नया प्रयोग करने जा रही है. इसके तहत विद्यालयों में शेयरिंग व्यवस्था को लागू किया जाएगा. यह व्यवस्था विभिन्न बोर्डों के बीच होने वाले MOU के बाद राज्य में लागू की जा सकेगी. दरअसल, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शैक्षणिक व्यवस्थाओं को लेकर कई बिंदुओं पर राज्यों को कार्य करने के लिए कहा गया है. इसी में से एक शिक्षा विभाग में शेयरिंग व्यवस्था को लागू करना भी है. हालांकि, इस पर अभी काम शुरू नहीं हो पाया है, लेकिन, माना जा रहा है कि एमओयू साइन होने के बाद राज्य में यह नई व्यवस्था लागू की जा सकेगी.

प्रदेश में यह व्यवस्था खास तौर पर सरकारी विद्यालयों के लिए संजीवनी साबित होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि जो छात्र निजी विद्यालयों जैसी शैक्षणिक व्यवस्था को नहीं प्राप्त कर पाते उन्हें भी अब प्राइवेट विद्यालयों के फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले शिक्षक पढ़ाएंगे. साथ ही उन बच्चों को बेहतर खेल के मैदान भी उपलब्ध हो सकेंगे. शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत के मुताबिक जल्द ही इस मामले में अधिकारियों को अग्रिम कार्रवाई करने के लिए कहा गया है. इसके तहत जल्द ही विभिन्न बोर्ड आपस में अनुबंध साइन करेंगे.


नई व्यवस्था के तहत निजी विद्यालयों के अच्छे शिक्षकों को दूसरे विद्यालय में पढ़ाने के लिए भेजा जा सकेगा. इसी तरह उत्तराखंड बोर्ड के अच्छे शिक्षक भी निजी विद्यालयों में जाकर अपने अनुभव का लाभ वहां के बच्चों को देंगे. कुल मिलाकर यह नई व्यवस्था शिक्षकों की शेयरिंग के लिए एक नई शुरुआत होगी. शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाले शिक्षक दूसरे बोर्ड में जाकर छात्रों को पढ़ा सकेंगे. उधर दूसरी तरफ इसी व्यवस्था में इंफ्रास्ट्रक्चर की शेयरिंग भी की जा सकेगी. बेहतर ग्राउंड का लाभ ऐसे छात्र भी ले सकेंगे जिनके विद्यालयों में खेलने के लिए ग्राउंड मौजूद नहीं है.

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Last Updated : 2 hours ago
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