देहरादून: उत्तराखंड की धामी सरकार ने ठेली, रेहड़ी और फेरी करके अपनी आजीविका चलाने वालों को बड़ी राहत दी है. अब से रेहड़ी ठेली चलाने वालों को नि:शुल्क फूड लाइसेंस मिलेगा. अब से फूड लाइसेंस भी पांच साल के लिए जारी किया जाएगा. फ़ूड लाइसेंस के रिन्यूअल के दौरान भी ठेली, रेहड़ी चलाने वालों को कोई भी शुल्क अदा नहीं करना पड़ेगा.
दरअसल, केंद्र सरकार ने त्योहारों को देखते हुए रेहड़ी और ठेली संचालकों को बड़ी राहत देते हुए फूड लाइसेंस फीस माफ करने का निर्णय लिया है. केंद्र सरकार के इस निर्णय को तत्काल प्रभाव से खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग ने राज्य में लागू कर दिया है.
उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर आर राजेश कुमार ने बताया कि खाद्य पदार्थ बेचकर अपनी आजीविका चलाने वाले रेहड़ी और ठेली संचालकों को फूड लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है, जिसको लेकर प्रतिवर्ष की दर से रेहड़ी और ठेली संचालकों से शुल्क वसूल किया जाता रहा है, जिसको केंद्र सरकार ने माफ करने का फैसला किया है. फेरी वालों के लिए लाइसेंस शुल्क माफ किए जाने को लेकर 28 सितंबर को प्रभावी हो गया है, जिसको देखते हुए इसे राज्य में भी अब लागू कर दिया गया है.
त्योहारी सीजन को देखते हुए मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचने वालों पर कसेगा शिकंजा: त्यौहारी सीजन को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया है. स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने बताया कि कि प्रदेश में मिलावट के खिलाफ विशेष अभियान चलाया जाएगा. त्योहारों को देखते हुए खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन विभाग की ओर से उत्तराखंड की सीमाओं पर सघन चेकिंग अभियान चलाया जाएगा.
उन्होंने बताया कि मिलावटी खाद्य पदार्थों के खिलाफ ठेली से लेकर मॉल तक में छापेमारी की जाएगी. दुकानों और प्रतिष्ठानों में खाद्य पदार्थ बेचने वालों पर स्वास्थ्य विभाग पैनी निगाह बनाए हुए हैं. उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत का कहना है कि विगत दो वर्षों से स्वास्थ्य विभाग ने मिलावटखोरी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, उनके चालान भी काटे गए हैं. इसको लेकर हर जिला स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स भी बनाई गई है. यदि खाद्य पदार्थों में कोई भी गड़बड़ करता है तो उस प्रतिष्ठान और दुकान संचालक को बक्शा नहीं जाएगा.
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