देहरादूनः उत्तराखंड चारधाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही है. मौजूदा स्थिति यह है कि पिछले दो महीने के भीतर चारधाम में आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या साढ़े 30 लाख के पार पहुंच गई है. चारधाम में लगातार बढ़ रहे श्रद्धालुओं की संख्या को देखते हुए उत्तराखंड सरकार ने धामों की कैरिंग कैपेसिटी का अध्ययन करने का निर्णय लिया था. इसी क्रम में आईआईएम रोहतक को चारधाम यात्रा के कैरिंग कैपेसिटी का अध्ययन करने की जिम्मेदारी सौंप गई थी. लिहाजा, आईआईएम रोहतक में चारों धामों के कैरिंग कैपेसिटी का अध्ययन कर रिपोर्ट शासन को सौंप दिया है.
आईआईएम रोहतक की ओर से तैयार किए गए रिपोर्ट पर मंगलवार को सचिवालय में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बैठक दौरान चर्चा की गई. रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान आईआईएम रोहतक के निदेशक और उनकी टीम ने चारधाम यात्रा के कैरिंग कैपेसिटी और एसओपी पर फोकस करते हुए तमाम जानकारियां साझा की. जिस पर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने संबंधित अधिकारियों को चारधाम की कैरिंग कैपेसिटी पर आईआईएम रोहतक की ओर से तैयार किए गए रिपोर्ट की समीक्षा करते हुए सुगम और सुरक्षित यात्रा का एक्शन प्लान तैयार करने के निर्देश दिए.
बैठक के दौरान मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सुगम और सुरक्षित चारधाम यात्रा के लिए रिपोर्ट के आधार पर तैयार किए जाने वाले एक्शन प्लान के लिए चारों धामों की कैरिंग कैपेसिटी का सटीक आकलन का भी प्रयास किया जाए. एक्शन प्लान में श्रद्धालुओं के लिए चिकित्सा एवं आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था, यात्रा का बेहतर प्रबंधन, मॉनिटरिंग और लोकल इकोलॉजी को संरक्षित करते हुए स्थानीय लोगों के आर्थिकी को मजबूत करने समेत अन्य महत्वपूर्ण विषयों का भी विशेष ध्यान रखा जाए. इसके साथ ही एक्शन प्लान में सड़कों की स्थिति में सुधार, ट्रैफिक व्यवस्था, कपाट खुलने के बाद धामों में शुरुआती 40 दिनों में ओवरक्राउडिंग की समस्या के समाधान के साथ ही श्रद्धालुओं के फीडबैक की व्यवस्था को भी शामिल किया जाए.
बैठक के दौरान, श्रद्धालुओं के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था को आसान करने के लिए 'रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन कार्ड बेस्ड रजिस्ट्रेशन सिस्टम' और आधार बेस्ड रजिस्ट्रेशन पर भी चर्चा की गई. इसके साथ ही चारधाम यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को देखते हुए एक एसएमएस वेदर अपडेट सिस्टम को लागू करने, यात्रा मार्गों पर पीपीपी मोड या सीएसआर के तहत स्वास्थ्य की सुविधा उपलब्ध करने, धामों में भीड़ नियंत्रण के लिए बैच वाइस दर्शन करने की व्यवस्था को लागू करने और पार्किंग कैपेसिटी की समीक्षा किए जाने पर भी चर्चा की गई.
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