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देहरादून में लागू हुई उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति, जानिए इसकी खासियत - clean mobility transition policy

clean mobility transition policy, Uttarakhand Clean Mobility Transformation Policy धामी कैबिनेट ने उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति को मंजूरी दी है. जिसके बाद आज से देहरादून में पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे लागू कर दिया गया है. इसे लेकर आदेश जारी कर दिया गया है.

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देहरादून में लागू हुई उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 15, 2024, 8:22 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने साल 2027 तक सभी डीजल आधारित और पुरानी तकनीक वाले शहरी सार्वजनिक परिवहन वाहनों को चलन से बाहर करने का निर्णय लिया है. जिसके तहत परिवहन विभाग की ओर से तैयार की गई 'उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति 2024' को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. इसके बाद 15 मार्च को परिवहन सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी ने इसे लागू करने को लेकर शासनादेश जारी कर दिया है. ऐसे में ये नीति पहले चरण के तहत देहरादून शहर में लागू हो गई है. अभी फिलहाल यह नीति अगले एक साल के लिए लागू की गई है. ऐसे में राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति के निर्णय पर समय सीमा बढ़ाया जा सकता है.

इस नीति के तहत, संचालन के लिए अनुपयुक्त और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से बदलने या फिर उच्चीकृत करने का काम किया जायेगा. नीति के जरिए उत्तराखंड शासन ने पुरानी डीजल चालित बसों और विक्रम को बाहर करते हुए सीएनजी, इलेक्ट्रिक प्रौद्योगिकी और अन्य वैकल्पिक ईंधन आधारित वाहनों को लाने के लिए अगले एक साल तक पूंजीगत अनुदान देने को लेकर इस योजना लागू किया है. इस योजना के तहत, सीमित संख्या में शहरी परिवहन संचालकों को 'पहले आओ पहले पाओ, के आधार पर एकमुश्त पूंजीगत अनुदान के साथ पुरानी डीज़ल चालित बसों और विक्रम को स्वच्छ ईंधन आधारित वाहनों से बदलने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.


नीति के लिए राज्य स्तरीय उच्च अधिकार प्राप्त समिति का गठन: उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति को बेहतर ढंग से लागू करने और निगरानी के लिए राज्य स्तरीय उच्च अधिकार प्राप्त समिति और एक कार्यकारी समिति का गठन किया गया है. राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति में मुख्य सचिव को अध्यक्ष, परिवहन प्रमुख सचिव/सचिव को संयोजक, वित्त प्रमुख सचिव/सचिव को सदस्य, शहरी विकास प्रमुख सचिव/सचिव को सदस्य, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को सदस्य, परिवहन आयुक्त/अपर/संयुक्त/उप परिवहन को सदस्य नामित किया है. अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन करने के लिए मानकों और प्रमाणपत्रों के अनुसार नीति तैयार करना इस समिति का काम होगा.


नीति को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए कार्यकारी समिति का गठन: स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए एक कार्यकारी समिति का गठन किया गया है. जिसमें परिवहन आयुक्त को अध्यक्ष, वित्त विभाग के अपर सचिव को सदस्य, शहरी विकास के निदेशक को सदस्य, अपर/संयुक्त/उप परिवहन आयुक्त को संयोजक और देहरादून सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) को सदस्य नामित किया गया है. इस कार्यकारी समिति का काम भारत सरकार के मानकों और प्रमाणन मानदंडों के अनुसार नीति लागू करना, स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति का कार्यान्वयन करना, स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति के क्रियान्वयन के दौरान प्रकाश में आने वाली कठिनाईयों के समाधान के लिए प्रस्ताव तैयार करना, स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति के तहत पूंजीगत अनुदान की समय पर स्वीकृति और वितरण होगा, उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति के तहत आवेदन प्रक्रिया और पूंजीगत अनुदान के वितरण को ऑनलाईन पोर्टल तैयार करना है.


ग्रीन एंट्री सेस से एकत्र पैसे से दिया जाएगा पूंजीगत अनुदान: उत्तराखंड के लिए स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति के तहत प्रस्तावित पूंजीगत अनुदान को परिवहन विभाग द्वारा वित्त पोषित किया जायेगा. नीति के तहत दिए जाने वाले तमाम प्रोत्साहनों के लिए धन विभिन्न अनुमन्य स्रोतों से प्राप्त किया जाएगा. साथ ही एक गैर व्यपगत फंड के रूप में 'उत्तराखंड क्लीन मोबिलिटी ट्रांजिशन फंड के नाम से एक एस्क्रो खाते में जमा किया जायेगा. जिसका उपयोग प्रोत्साहन राशि वितरित करने के लिए किया जायेगा. ग्रीन सैस और ग्रीन एंट्री सैस को उत्तराखंड क्लीन मोबिलिटी ट्रांजिशन फंड में जमा किया जायेगा. इस नीति के तहत पूंजीगत अनुदान का भुगतान पहले ग्रीन सैस / ग्रीन एंट्री सेस एकत्र कर किया जायेगा.


पहले चरण में देहरादून शहर में लागू की गई नीति: इस नीति को पहले चरण के तहत देहरादून शहर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है. इसके बाद राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अनुमति के बाद चरणबद्ध तरीके से अन्य शहरों में भी लागू किया जा सकता है. साल 2027 तक उत्तराखंड के सिटी ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क से सभी पुराने डीज़ल चालित और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सीएनजी या फिर अन्य स्वच्छ ईंधन आधारित वाहनों से बदलने का लक्ष्य रखा गया है. इस नीति के तहत प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए वाहन संचालकों की ओर से उत्तराखंड राज्य से ही वाहन खरीदना अनिवार्य होगा. उत्तराखंड राज्य में वाहन खरीदने और पंजीकरण के बाद ही संचालकों को पूंजीगत अनुदान दी जायेगी.


प्रोत्साहन राशि के लिए इन दस्तावेजों की जरूरत: देहरादून शहर में संचालित सभी डीजल आधारित शहरी परिवहन बस और विक्रम, 'उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति के तहत योजना का लाभ ले सकेंगे. इसके लिए संचालकों को पोर्टल में नियत प्रारूप पर ऑनलाईन आवेदन के साथ स्वामित्व का प्रमाण-वाहन पंजीकरण प्रमाण पत्र, वैध परमिट, पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा (आरवीएसएफ) से स्क्रैपिंग का वैध प्रमाण पत्र, बैंक ऋण प्रमाण पत्र और नीति के तहत जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार नए वाहन की लागत अनुमान का प्रमाण पत्र जमा करना अनिवार्य होगा. आवेदन की स्वीकृति के बाद संचालक को नए वाहन संबंधित सभी दस्तावेज अपलोड करना होगा. ऐसे में आवेदन की स्वीकृति के तीन दिवस के भीतर प्रोत्साहन राशि भेज दी जाएगी.


उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति लागू करने के उद्देश्य

  1. उत्तराखंड की जनता को भीड़-भाड़ मुक्त, गैर-प्रदूषणकारी, सस्ती, सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध करना है.
  2. सार्वजनिक परिवहन के लिए पुरानी प्रौद्योगिकी/अनुपयुक्त वाहनों की जगह पर स्वच्छ ईंधन आधारित प्रौद्योगिकी वाले वाहनों को प्रोत्साहित करना है.
  3. सार्वजनिक परिवहन के लिए स्वच्छ ईंधन आधारित प्रौद्योगिकी वाहनों जैसे सीएनजी, इलेक्ट्रिक और अन्य वैकल्पिक ईंधन वाले वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देना है.
  4. सार्वजनिक परिवहन के लिए गतिशीलता में नवाचार को प्रोत्साहित करना है.
  5. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना. सार्वजनिक परिवहन के लिए वैकल्पिक ईंधन स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना है.
  6. परिवहन क्षेत्र से हानिकारक उत्सर्जन को कम करना. राज्य में वायु गुणवत्ता में सुधार करना है.
  7. साल 2027 तक उत्तराखंड राज्य की शहरी परिवहन प्रणाली से सभी पुराने डीज़ल आधारित वाहन और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चलन से बाहर करने का प्रयास करना है.

उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति के मुख्य बिंदु

  1. परिवहन विभाग ने डीज़ल आधारित पुरानी बस और विक्रम को स्वच्छ ईंधन आधारित प्रौद्योगिकी बसों / ओमनी बसों और अन्य वैकल्पिक ईंधन चालित वाहनों में परिवर्तित करने के लिए शहरी परिवहन संचालकों को प्रोत्साहन के रूप में एकमुश्त पूंजीगत अनुदान दिया किया जायेगा.
  2. वाहनों में परिवर्तन की लागत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सब्सिडी कवर करेगी. जिससे संचालकों के लिए स्वच्छ ईंधन, प्रौद्योगिकी आधारित वाहन अधिक खर्चीले नही होंगे.
  3. नीति के तहत उन संचालकों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जायेगा जो डीज़ल चालित पुरानी तकनीक आधारित वाहनों को स्क्रैप कर नई सीएनजी अथवा अन्य वैकल्पिक ईंधन आधारित बस/ओमनी बस सार्वजनिक परिवहन के लिये वैध परमिट पर खरीदेंगे.
  4. राज्य में स्वच्छ ईंधन-आधारित प्रौद्योगिकी वाहनों के लिए आपूर्ति श्रृंखला पारिस्थितिकी तंत्र (Eco System) के विकास को प्रोत्साहित किया जायेगा.
  5. डीज़ल चालित पुरानी बसों और विक्रम को धीरे-धीरे स्वच्छ ईंधन-आधारित तकनीक और अन्य वैकल्पिक ईंधन आधारित वाहनों से बदलने की दिशा में काम किया जायेगा.
  6. मौजूदा सार्वजनिक परिवहन वाहनों का सीएनजी या अन्य वैकल्पिक ईंधन में रेट्रोफिटिंग को इस नीति के हिस्से के रूप में प्रोत्साहित नहीं किया जाएगा.
  7. उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले डीजल आधारित कमर्शियल वाहन जो कि मोटर यान अधिनियम 1988 के नियम 48 के तहत एनओसी के बाद उत्तराखण्ड में पंजीकृत होने के लिए आवेदन करना चाहते हैं, ऐसे वाहनों को उत्तराखण्ड में सीएनजी रेट्रोफिटिंग किट अधिकृत सेवा प्रदाता से लगवाए जाने के बाद ही पंजीकृत किया जा सकेगा.
  8. परिवहन विभाग ने इस नीति के लागू होने के बाद वायु, शोर और पर्यावरण प्रदूषण का तृतीय-पक्ष प्रभाव विश्लेषण (अध्ययन) कराया जाएगा.

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने साल 2027 तक सभी डीजल आधारित और पुरानी तकनीक वाले शहरी सार्वजनिक परिवहन वाहनों को चलन से बाहर करने का निर्णय लिया है. जिसके तहत परिवहन विभाग की ओर से तैयार की गई 'उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति 2024' को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है. इसके बाद 15 मार्च को परिवहन सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी ने इसे लागू करने को लेकर शासनादेश जारी कर दिया है. ऐसे में ये नीति पहले चरण के तहत देहरादून शहर में लागू हो गई है. अभी फिलहाल यह नीति अगले एक साल के लिए लागू की गई है. ऐसे में राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति के निर्णय पर समय सीमा बढ़ाया जा सकता है.

इस नीति के तहत, संचालन के लिए अनुपयुक्त और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले वाहनों को चरणबद्ध तरीके से बदलने या फिर उच्चीकृत करने का काम किया जायेगा. नीति के जरिए उत्तराखंड शासन ने पुरानी डीजल चालित बसों और विक्रम को बाहर करते हुए सीएनजी, इलेक्ट्रिक प्रौद्योगिकी और अन्य वैकल्पिक ईंधन आधारित वाहनों को लाने के लिए अगले एक साल तक पूंजीगत अनुदान देने को लेकर इस योजना लागू किया है. इस योजना के तहत, सीमित संख्या में शहरी परिवहन संचालकों को 'पहले आओ पहले पाओ, के आधार पर एकमुश्त पूंजीगत अनुदान के साथ पुरानी डीज़ल चालित बसों और विक्रम को स्वच्छ ईंधन आधारित वाहनों से बदलने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.


नीति के लिए राज्य स्तरीय उच्च अधिकार प्राप्त समिति का गठन: उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति को बेहतर ढंग से लागू करने और निगरानी के लिए राज्य स्तरीय उच्च अधिकार प्राप्त समिति और एक कार्यकारी समिति का गठन किया गया है. राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति में मुख्य सचिव को अध्यक्ष, परिवहन प्रमुख सचिव/सचिव को संयोजक, वित्त प्रमुख सचिव/सचिव को सदस्य, शहरी विकास प्रमुख सचिव/सचिव को सदस्य, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव को सदस्य, परिवहन आयुक्त/अपर/संयुक्त/उप परिवहन को सदस्य नामित किया है. अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का पालन करने के लिए मानकों और प्रमाणपत्रों के अनुसार नीति तैयार करना इस समिति का काम होगा.


नीति को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए कार्यकारी समिति का गठन: स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए एक कार्यकारी समिति का गठन किया गया है. जिसमें परिवहन आयुक्त को अध्यक्ष, वित्त विभाग के अपर सचिव को सदस्य, शहरी विकास के निदेशक को सदस्य, अपर/संयुक्त/उप परिवहन आयुक्त को संयोजक और देहरादून सम्भागीय परिवहन अधिकारी (प्रशासन) को सदस्य नामित किया गया है. इस कार्यकारी समिति का काम भारत सरकार के मानकों और प्रमाणन मानदंडों के अनुसार नीति लागू करना, स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति का कार्यान्वयन करना, स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति के क्रियान्वयन के दौरान प्रकाश में आने वाली कठिनाईयों के समाधान के लिए प्रस्ताव तैयार करना, स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति के तहत पूंजीगत अनुदान की समय पर स्वीकृति और वितरण होगा, उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति के तहत आवेदन प्रक्रिया और पूंजीगत अनुदान के वितरण को ऑनलाईन पोर्टल तैयार करना है.


ग्रीन एंट्री सेस से एकत्र पैसे से दिया जाएगा पूंजीगत अनुदान: उत्तराखंड के लिए स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति के तहत प्रस्तावित पूंजीगत अनुदान को परिवहन विभाग द्वारा वित्त पोषित किया जायेगा. नीति के तहत दिए जाने वाले तमाम प्रोत्साहनों के लिए धन विभिन्न अनुमन्य स्रोतों से प्राप्त किया जाएगा. साथ ही एक गैर व्यपगत फंड के रूप में 'उत्तराखंड क्लीन मोबिलिटी ट्रांजिशन फंड के नाम से एक एस्क्रो खाते में जमा किया जायेगा. जिसका उपयोग प्रोत्साहन राशि वितरित करने के लिए किया जायेगा. ग्रीन सैस और ग्रीन एंट्री सैस को उत्तराखंड क्लीन मोबिलिटी ट्रांजिशन फंड में जमा किया जायेगा. इस नीति के तहत पूंजीगत अनुदान का भुगतान पहले ग्रीन सैस / ग्रीन एंट्री सेस एकत्र कर किया जायेगा.


पहले चरण में देहरादून शहर में लागू की गई नीति: इस नीति को पहले चरण के तहत देहरादून शहर में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है. इसके बाद राज्य स्तरीय उच्चाधिकार प्राप्त समिति की अनुमति के बाद चरणबद्ध तरीके से अन्य शहरों में भी लागू किया जा सकता है. साल 2027 तक उत्तराखंड के सिटी ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क से सभी पुराने डीज़ल चालित और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को सीएनजी या फिर अन्य स्वच्छ ईंधन आधारित वाहनों से बदलने का लक्ष्य रखा गया है. इस नीति के तहत प्रोत्साहन राशि प्राप्त करने के लिए वाहन संचालकों की ओर से उत्तराखंड राज्य से ही वाहन खरीदना अनिवार्य होगा. उत्तराखंड राज्य में वाहन खरीदने और पंजीकरण के बाद ही संचालकों को पूंजीगत अनुदान दी जायेगी.


प्रोत्साहन राशि के लिए इन दस्तावेजों की जरूरत: देहरादून शहर में संचालित सभी डीजल आधारित शहरी परिवहन बस और विक्रम, 'उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति के तहत योजना का लाभ ले सकेंगे. इसके लिए संचालकों को पोर्टल में नियत प्रारूप पर ऑनलाईन आवेदन के साथ स्वामित्व का प्रमाण-वाहन पंजीकरण प्रमाण पत्र, वैध परमिट, पंजीकृत वाहन स्क्रैपिंग सुविधा (आरवीएसएफ) से स्क्रैपिंग का वैध प्रमाण पत्र, बैंक ऋण प्रमाण पत्र और नीति के तहत जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार नए वाहन की लागत अनुमान का प्रमाण पत्र जमा करना अनिवार्य होगा. आवेदन की स्वीकृति के बाद संचालक को नए वाहन संबंधित सभी दस्तावेज अपलोड करना होगा. ऐसे में आवेदन की स्वीकृति के तीन दिवस के भीतर प्रोत्साहन राशि भेज दी जाएगी.


उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति लागू करने के उद्देश्य

  1. उत्तराखंड की जनता को भीड़-भाड़ मुक्त, गैर-प्रदूषणकारी, सस्ती, सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध करना है.
  2. सार्वजनिक परिवहन के लिए पुरानी प्रौद्योगिकी/अनुपयुक्त वाहनों की जगह पर स्वच्छ ईंधन आधारित प्रौद्योगिकी वाले वाहनों को प्रोत्साहित करना है.
  3. सार्वजनिक परिवहन के लिए स्वच्छ ईंधन आधारित प्रौद्योगिकी वाहनों जैसे सीएनजी, इलेक्ट्रिक और अन्य वैकल्पिक ईंधन वाले वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देना है.
  4. सार्वजनिक परिवहन के लिए गतिशीलता में नवाचार को प्रोत्साहित करना है.
  5. जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करना. सार्वजनिक परिवहन के लिए वैकल्पिक ईंधन स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना है.
  6. परिवहन क्षेत्र से हानिकारक उत्सर्जन को कम करना. राज्य में वायु गुणवत्ता में सुधार करना है.
  7. साल 2027 तक उत्तराखंड राज्य की शहरी परिवहन प्रणाली से सभी पुराने डीज़ल आधारित वाहन और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को चलन से बाहर करने का प्रयास करना है.

उत्तराखंड स्वच्छ गतिशीलता परिवर्तन नीति के मुख्य बिंदु

  1. परिवहन विभाग ने डीज़ल आधारित पुरानी बस और विक्रम को स्वच्छ ईंधन आधारित प्रौद्योगिकी बसों / ओमनी बसों और अन्य वैकल्पिक ईंधन चालित वाहनों में परिवर्तित करने के लिए शहरी परिवहन संचालकों को प्रोत्साहन के रूप में एकमुश्त पूंजीगत अनुदान दिया किया जायेगा.
  2. वाहनों में परिवर्तन की लागत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सब्सिडी कवर करेगी. जिससे संचालकों के लिए स्वच्छ ईंधन, प्रौद्योगिकी आधारित वाहन अधिक खर्चीले नही होंगे.
  3. नीति के तहत उन संचालकों को वित्तीय प्रोत्साहन दिया जायेगा जो डीज़ल चालित पुरानी तकनीक आधारित वाहनों को स्क्रैप कर नई सीएनजी अथवा अन्य वैकल्पिक ईंधन आधारित बस/ओमनी बस सार्वजनिक परिवहन के लिये वैध परमिट पर खरीदेंगे.
  4. राज्य में स्वच्छ ईंधन-आधारित प्रौद्योगिकी वाहनों के लिए आपूर्ति श्रृंखला पारिस्थितिकी तंत्र (Eco System) के विकास को प्रोत्साहित किया जायेगा.
  5. डीज़ल चालित पुरानी बसों और विक्रम को धीरे-धीरे स्वच्छ ईंधन-आधारित तकनीक और अन्य वैकल्पिक ईंधन आधारित वाहनों से बदलने की दिशा में काम किया जायेगा.
  6. मौजूदा सार्वजनिक परिवहन वाहनों का सीएनजी या अन्य वैकल्पिक ईंधन में रेट्रोफिटिंग को इस नीति के हिस्से के रूप में प्रोत्साहित नहीं किया जाएगा.
  7. उत्तराखंड में प्रवेश करने वाले डीजल आधारित कमर्शियल वाहन जो कि मोटर यान अधिनियम 1988 के नियम 48 के तहत एनओसी के बाद उत्तराखण्ड में पंजीकृत होने के लिए आवेदन करना चाहते हैं, ऐसे वाहनों को उत्तराखण्ड में सीएनजी रेट्रोफिटिंग किट अधिकृत सेवा प्रदाता से लगवाए जाने के बाद ही पंजीकृत किया जा सकेगा.
  8. परिवहन विभाग ने इस नीति के लागू होने के बाद वायु, शोर और पर्यावरण प्रदूषण का तृतीय-पक्ष प्रभाव विश्लेषण (अध्ययन) कराया जाएगा.
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