फतेहपुर : विजयीपुर ब्लाक मुख्यालय से लगभग 8 किमी दूर किशनपुर में एकडला गांव है. एक समय में यह कंचनपुर एकडला नाम से जाना जाता था. यह गांव अकबर के मुख्य सलाहकार बीरबल का ननिहाल रहा है. यह गांव आज भी कई रहस्यों को समेटे हैं. आज भी यहां खोदाई में सोने-चांदी के जेवरात निकलते हैं. मजारों के साथ यहां ऐतिहासिक मंदिर भी है. यह गांव नदी के तट पर है. एक दौर में यह व्यापारिक केंद्र था. नदी पार करने के लिए बरगद की एक डाल का इस्तेमाल किया जाता था. लिहाजा गांव का नाम एकडला पड़ गया.
वीरबल के अनुरोध पर अकबर एकडला गांव आए थे. लोगों ने राजा के स्वागत में यमुना से गांव तक कालीन बिछा दी थी. इससे खुश होकर अकबर ने गांव के एक क्षत्रिय परिवार को रावत की उपाधि दी. 17वीं शताब्दी में बंजारों का परिवार गांव छोड़ गया. इससे गांव का बाजार और यमुना किनारे की बस्ती नष्ट हो गई. आज भी यहां दीवारों और खेतों की जुताई के दौरान सोने-चांदी के सिक्के समेत कई प्रकार की मुगलकालीन धातुएं मिलती हैं.
16वीं शताब्दी में लगते थे 7 तरह के बाजार : गांव में 16वीं शताब्दी में सात प्रकार की बाजार लगती थी. यहां मेवा मिष्ठान, पशु आदि बिकते थे. यह गांव मुगल शासक अकबर के मुख्य सलाहकार बीरबल का ननिहाल था. यहां के पुराने मंदिर, कुएं, तालाब, मजार, दीवारें सभी मुगलकाल की याद दिलाते हैं. गांव के बुजुर्गों के अनुसार 12 साल पहले यमुना किनारे तालाब की खोदाई में पुरानी ईंट की चौड़ी दीवारें मिली थीं. गांव निवासी भास्कर के खेत में 5 साल पहले ट्रैक्टर से जुताई हो रही थी. इस दौरान मिट्टी के एक घड़े में रखे सोने-चांदी के सिक्के बिखर गए थे. बाद में पुलिस ने सिक्कों को पुरातत्व विभाग को सौंप दिया था.
आज भी खजाने की तलाश में आते हैं लोग : एकडला में आज भी लोग खजाने की तलाश में आते-जाते रहते हैं. साल 2010 में प्राचीन काली मंदिर में सोन गड़ होने के अंदेशे पर कुछ तांत्रिकों ने खोदाई कर डाली थी. साल 2021 में भी प्राचीन शिव मंदिर के नीचे सुरंग खोद दी गई थी. सुबह लोगों को इसकी जानकारी हो पाई थी.
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