लखनऊ: कायाकल्प अभियान के जरिए प्रदेश भर की सभी कार्यशालाओं में बारिश से पहले सभी बसों की सीलिंग को दुरुस्त करने के साथ ही वाइपर लगाने के निर्देश दिए थे, लेकिन बारिश में परिवहन निगम के कायाकल्प अभियान के साथ ही अधिकारियों के काम की पोल खुल गई है. जिम्मेदारों की लापरवाही से बसें रूट पर जाने के बजाय डिपो के अंदर ही खड़ी हो गई हैं.
बस के चालक परिचालकों ने छत से बारिश के पानी का टपकना, शीशे पर वाइपर मशीन का न होना, क्लच प्लेट काम नहीं करना मुख्य वजह बताई है. मरम्मत के अभाव में यात्रियों को रूट पर बसों का इंतजार करना पड़ रहा है तो संविदा के चालक परिचालकों को ड्यूटी नहीं मिल पा रही है. लखनऊ के कैसरबाग और अवध बस डिपो में 50 से ज्यादा बसें खड़ी हैं.
कैसरबाग डिपो की बसों की छत से बारिश का पानी टपकने और रिसाव की शिकायत दर्ज कराई गई है. इसके अलावा जिन कई बसे ऐसी हैं जिनमें वाइपर या मशीन नहीं है. कई और बसें ऐसी हैं जिसमें क्लच प्लेट से लेकर इंजन तक से जुड़ी खामियां हैं. वाइपर न होने के कारण बारिश में बस चलाने में सड़क हादसे का भी खतरा बना रहता है. अभी तीन दिन पहले ही लखनऊ में एक बस बारिश में डिवाइडर पर इसीलिए चढ़ गई थी क्यूंकि उसमें वाइपर नहीं था.
इन रूटों पर घट गईं रोडवेज बसें: लखनऊ से कई रूटों पर मरम्मत के अभाव में बसें डिपो में खड़ी हो गई हैं. बसों का संचालन कम हो गया है. इससे बड़ी संख्या में यात्री बसों के इंतजार में परेशान हो रहे हैं. इनमें लखनऊ से बहराइच, गोंडा, बलरामपुर, बस्ती, अयोध्या, गोरखपुर, आजमगढ़, बलिया, बरेली आदि रूटों पर बसों की संख्या कम होने से यात्री डग्गामार बसों से यात्रा करने के लिए मजबूर हैं.
परिवहन निगम लखनऊ क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी का कहना है कि बसों में जो भी डिफेक्ट हैं, उन्हें दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी सेवा प्रबंधक की है. इतनी संख्या में बसें मरम्मत के अभाव में खड़ी हैं, इसकी सूचना ही नहीं है. सेवा प्रबंधक और डिपो के फोरमैन से जवाब तलब किया जाएगा.
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