ETV Bharat / state

यूपी रोडवेज के रूट्स पर परिवहन विभाग की नजर, AI आधारित ऐप बनाकर प्राइवेट बसों को परमिट देने का प्लान - UP ROADWAYS BUSES

परिवहन विभाग प्राइवेट बसों को रूट परमिट जारी करने की तैयारी कर रहा है. इसके लिए विभाग AI आधारित ऐप तैयार कराएगा.

ETV Bharat
यूपी परिवहन विभाग प्राइवेट बस (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 7, 2025, 3:31 PM IST

लखनऊ: परिवहन विभाग की नजर अब परिवहन निगम के रूट्स पर है. विभाग एआई बेस्ड ऐप तैयार करने की योजना बना रहा है. इस ऐप के जरिए परिवहन निगम के ऐसे रूट खोजे जाएंगे जहां पर रोडवेज बसों की संख्या कम है. इससे यात्रियों को समय पर बसें उपलब्ध नहीं हो पाती हैं और यात्रियों को परेशानी होती है. अब ऐसे रूट्स को खोज कर परिवहन विभाग प्राइवेट बसों को रूट परमिट जारी करने की तैयारी कर रहा है.

सिर्फ उत्तर प्रदेश के वही रूट नहीं जिन पर रोडवेज बस संचालित होती हैं, बल्कि उन रूट्स पर भी परिवहन विभाग की नजर है जिन्हें परिवहन निगम की बसों के लिए आरक्षित किया गया है. इसे रेड कॉरिडोर कहा जाता है. इन रूट्स पर सिर्फ परिवहन निगम की बसें ही संचालित होती है. प्राइवेट बसों के संचालन की अनुमति नहीं है.

अब सही समय पर मिलेंगी बसें : उत्तर प्रदेश में परिवहन निगम की बसों को सभी रूट्स पर संचालित होने की अनुमति है, जबकि प्राइवेट बसों को 9.2% रूट्स पर संचालित होने की मनाही है. यह 9.2 फीसद रूट परिवहन निगम की बसों के लिए आरक्षित है. इसे रेड कॉरिडोर कहा जाता है. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की वर्तमान में कुल 12000 बसें हैं. जिनमें करीब 9000 बसें परिवहन निगम की अपनी हैं. जबकि 3000 बसें अनुबंध हैं. इन 12000 बसों से प्रदेश के यात्रियों को सही समय पर बसें उपलब्ध नहीं हो पाती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए अब परिवहन विभाग ऐसे रूट्स को चिन्हित करेगा जहां पर बसों की कमी है. उन रूट्स पर प्राइवेट बसों को परमिट देकर संचालन की अनुमति दी जाएगी.

इसे भी पढ़ें - यूपी रोडवेज की जनरथ बसों का किराया 20 प्रतिशत घटा, जानिए अब किस रूट पर कितने का लेना होगा टिकट - 20 PERCENT DISCOUNT IN AC BUSES

रूट्स पर बसों की संख्या चिन्हित करने के लिए विभाग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित एप्लीकेशन तैयार कराएगा. परिवहन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी नाम डिस्क्लोज न करने की शर्त पर बताते हैं कि जल परिवहन प्राधिकरण के साथ जो डाटा एनालिसिस सेंटर बनेगा तो वहीं पर यह ऐप तैयार कराया जाएगा. इसके बाद प्रदेश भर में ऐसे रूटों का चिन्ह्यांकन किया जाएगा और उन रूटों पर परिवहन विभाग प्राइवेट बसों के लिए परमिट जारी करेगा. जिसका फायदा यात्रियों को समय पर परिवहन सुविधा उपलब्ध होने के रूप में मिलेगा तो सरकार को राजस्व का बड़ा फायदा भी होगा.

एसटीए जारी करता है प्राइवेट बस ऑपरेटर्स को परमिट : प्राइवेट बस ऑपरेटर को प्रदेश के विभिन्न रूटों पर बस संचालन की अनुमति के लिए परिवहन विभाग में आवेदन करना होता है. राज्य परिवहन प्राधिकरण बस संचालन के लिए परमिट देने पर विचार करता है. सारे मानक पूरे होने के बाद और परिवहन विभाग का तय शुल्क जमा करने के उपरांत प्राइवेट बस ऑपरेटर को वाहन संचालन के लिए रूट परमिट जारी किया जाता है.

दो तरह के होते हैं परमिट : यूपी में दो तरह के परमिट है जिनमें एक स्टेज कैरिज परमिट और दूसरा कांट्रैक्ट कैरिज परमिट होता है. स्टेज कैरिज परमिट का मतलब यह होता है कि बस स्वामी जगह-जगह पर फुटकर सवारियां बिठा सकता है, जबकि कांट्रैक्ट कैरिज परमिट में बस की एक स्थान से दूसरे स्थान तक के लिए बुकिंग होती है. इस परमिट में बुकिंग सवारियां लेकर ही बस संचालित हो सकती है.

प्रदेश में दर्ज हैं इतनी निजी बसें : उत्तर प्रदेश में अब तक 115213 बसें रजिस्टर्ड हैं. इसमें से 45416 निजी व शैक्षिक संस्थानों की बसें हैं. इसके अलावा प्रदेश में स्टेज कैरिज की 10636, कांट्रैक्ट कैरिज की 14352 और ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट की 10825 बसें हैं. अन्य श्रेणी की प्राइवेट बसें भी शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बृजेश नारायण सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार को इनलैंड वॉटरवेज के हेड क्वार्टर मुद्दे को लेकर प्रस्ताव भेजा गया है. डाटा एनालिसिस सेंटर भी बनाए जाने की तैयारी है. इसके बाद बसों का डेटा एनालाइज किया जाएगा.

यह भी पढ़ें - महाकुंभ 2025; यात्रियों की सुविधा के लिए तीन स्पेशल ट्रेन चलाएगा रेलवे, लखनऊ होकर गुजरेंगी - THREE SPECIAL TRAINS IN MAHAKUMBH

लखनऊ: परिवहन विभाग की नजर अब परिवहन निगम के रूट्स पर है. विभाग एआई बेस्ड ऐप तैयार करने की योजना बना रहा है. इस ऐप के जरिए परिवहन निगम के ऐसे रूट खोजे जाएंगे जहां पर रोडवेज बसों की संख्या कम है. इससे यात्रियों को समय पर बसें उपलब्ध नहीं हो पाती हैं और यात्रियों को परेशानी होती है. अब ऐसे रूट्स को खोज कर परिवहन विभाग प्राइवेट बसों को रूट परमिट जारी करने की तैयारी कर रहा है.

सिर्फ उत्तर प्रदेश के वही रूट नहीं जिन पर रोडवेज बस संचालित होती हैं, बल्कि उन रूट्स पर भी परिवहन विभाग की नजर है जिन्हें परिवहन निगम की बसों के लिए आरक्षित किया गया है. इसे रेड कॉरिडोर कहा जाता है. इन रूट्स पर सिर्फ परिवहन निगम की बसें ही संचालित होती है. प्राइवेट बसों के संचालन की अनुमति नहीं है.

अब सही समय पर मिलेंगी बसें : उत्तर प्रदेश में परिवहन निगम की बसों को सभी रूट्स पर संचालित होने की अनुमति है, जबकि प्राइवेट बसों को 9.2% रूट्स पर संचालित होने की मनाही है. यह 9.2 फीसद रूट परिवहन निगम की बसों के लिए आरक्षित है. इसे रेड कॉरिडोर कहा जाता है. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम की वर्तमान में कुल 12000 बसें हैं. जिनमें करीब 9000 बसें परिवहन निगम की अपनी हैं. जबकि 3000 बसें अनुबंध हैं. इन 12000 बसों से प्रदेश के यात्रियों को सही समय पर बसें उपलब्ध नहीं हो पाती हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए अब परिवहन विभाग ऐसे रूट्स को चिन्हित करेगा जहां पर बसों की कमी है. उन रूट्स पर प्राइवेट बसों को परमिट देकर संचालन की अनुमति दी जाएगी.

इसे भी पढ़ें - यूपी रोडवेज की जनरथ बसों का किराया 20 प्रतिशत घटा, जानिए अब किस रूट पर कितने का लेना होगा टिकट - 20 PERCENT DISCOUNT IN AC BUSES

रूट्स पर बसों की संख्या चिन्हित करने के लिए विभाग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित एप्लीकेशन तैयार कराएगा. परिवहन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी नाम डिस्क्लोज न करने की शर्त पर बताते हैं कि जल परिवहन प्राधिकरण के साथ जो डाटा एनालिसिस सेंटर बनेगा तो वहीं पर यह ऐप तैयार कराया जाएगा. इसके बाद प्रदेश भर में ऐसे रूटों का चिन्ह्यांकन किया जाएगा और उन रूटों पर परिवहन विभाग प्राइवेट बसों के लिए परमिट जारी करेगा. जिसका फायदा यात्रियों को समय पर परिवहन सुविधा उपलब्ध होने के रूप में मिलेगा तो सरकार को राजस्व का बड़ा फायदा भी होगा.

एसटीए जारी करता है प्राइवेट बस ऑपरेटर्स को परमिट : प्राइवेट बस ऑपरेटर को प्रदेश के विभिन्न रूटों पर बस संचालन की अनुमति के लिए परिवहन विभाग में आवेदन करना होता है. राज्य परिवहन प्राधिकरण बस संचालन के लिए परमिट देने पर विचार करता है. सारे मानक पूरे होने के बाद और परिवहन विभाग का तय शुल्क जमा करने के उपरांत प्राइवेट बस ऑपरेटर को वाहन संचालन के लिए रूट परमिट जारी किया जाता है.

दो तरह के होते हैं परमिट : यूपी में दो तरह के परमिट है जिनमें एक स्टेज कैरिज परमिट और दूसरा कांट्रैक्ट कैरिज परमिट होता है. स्टेज कैरिज परमिट का मतलब यह होता है कि बस स्वामी जगह-जगह पर फुटकर सवारियां बिठा सकता है, जबकि कांट्रैक्ट कैरिज परमिट में बस की एक स्थान से दूसरे स्थान तक के लिए बुकिंग होती है. इस परमिट में बुकिंग सवारियां लेकर ही बस संचालित हो सकती है.

प्रदेश में दर्ज हैं इतनी निजी बसें : उत्तर प्रदेश में अब तक 115213 बसें रजिस्टर्ड हैं. इसमें से 45416 निजी व शैक्षिक संस्थानों की बसें हैं. इसके अलावा प्रदेश में स्टेज कैरिज की 10636, कांट्रैक्ट कैरिज की 14352 और ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट की 10825 बसें हैं. अन्य श्रेणी की प्राइवेट बसें भी शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश के ट्रांसपोर्ट कमिश्नर बृजेश नारायण सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार को इनलैंड वॉटरवेज के हेड क्वार्टर मुद्दे को लेकर प्रस्ताव भेजा गया है. डाटा एनालिसिस सेंटर भी बनाए जाने की तैयारी है. इसके बाद बसों का डेटा एनालाइज किया जाएगा.

यह भी पढ़ें - महाकुंभ 2025; यात्रियों की सुविधा के लिए तीन स्पेशल ट्रेन चलाएगा रेलवे, लखनऊ होकर गुजरेंगी - THREE SPECIAL TRAINS IN MAHAKUMBH

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.