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यूपी के इस जिले में मिला सैकड़ों साल पुराने हथियारों का जखीरा; खेत में दबी थीं तलवारें-खंजर और बंदूकें

WEAPONS ARSENAL FOUND IN UP: पुलिस-राजस्व और पुरातत्व विभाग की टीमें जांच में जुटीं, इतिहासकार बता रहे 200 साल पुराने हैं ये हथियार, आजादी की लड़ाई के दौरान भारतीय क्रांतिकारियों का गढ़ रहा था शाहजहांपुर का यह इलाका

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शाहजहांपुर के खेत में मिले 200 साल पुराने हथियार. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 6, 2024, 10:29 PM IST

Updated : Nov 7, 2024, 11:49 AM IST

शाहजहांपुर: यूपी के शाहजहांपुर में सैकड़ों साल पुराने हथियारों का जखीरा मिला है. किसान अपने खेत में हल चला रहा था तभी जमीन के अंदर हल किसी लोहे जैसी भारी चीज से टकराया. इसके बाद जब वहां खुदाई की गई तो बड़े पैमाने पर तलवारें, खंजर, बरछी और बंदूकें निकलीं. खबर आग की तरह फैली और मौके पर लोगों की भीड़ जुट गई. थोड़ी देर में पुलिस और राजस्व विभाग की टीमें पहुंच गईं. पुरातत्व विभाग को भी सूचना दी गई. मौके पर जांच-पड़ताल की जा रही है.

दरअसल, निगोही थाना क्षेत्र के ढकीया तिवारी गांव में खेत जोतते समय जमीन के अंदर से पुराने जमाने के हथियार निकले हैं. गांव के ओमवीर सिंह का कहना है कि यहां पर बहुत पहले बाग था. इस जमीन को बाबूराम ने खरीद लिया था. पहले गांव के लोग यहां से मिट्टी ले जाया करते थे. अब बाबूराम ने यहां मकान बनाने के लिए नींव खुदवाई. आज बाबूराम ने पहली बार इस खेत में हल चलाया, तभी हल से तलवारें टकरा गईं.

शाहजहांपुर के खेत में मिले 200 साल पुराने हथियार. (Video Credit; ETV Bharat)


जब खुदाई की गई तो इसमें पुराने जमाने की तलवार, बंदूक के बैरल मिले हैं. इतिहासकार विकास खुराना बताते हैं कि बंदूकों का उपयोग अपने रीजन में 18वीं सदी में हुआ करता था. भारत में यह बाबर के समय में शुरू हो गया था. जो पता चला है कि इसकी मुख चांदी की बनी हुई है. इस पर जंग लगी है. लोहा है या सिल्वर है क्योंकि हवा पानी के साथ जो अभिक्रिया होगी उससे इसमें जंग बहुत है.

जो बंदूक है, उसमें जो लकड़ी है उसे दीमक खा गई है. केवल नाल है. बंदूक का मिलना यह दर्शाता है कि यह लगभग 200 साल पुरानी होगी. इन तलवारों की स्टडी के लिए हम लोग डीएम साहब से मांग करेंगे. फिलहाल मौके पर निगोही पुलिस और राजस्व विभाग के लोग मौजूद हैं और पुरातत्व विभाग को सूचना दे दी गई. वहीं, इसकी जानकारी क्षेत्र में फैली तो देखने वालों का मेला लगा गया.

वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. विकास खुराना का कहना है कि यह इलाका क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए भी प्रख्यात रहा है. 1857 की लड़ाई में अंग्रेजों के खिलाफ गदर की बहुत सी घटनाएं इस क्षेत्र में हुईं. इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इनका उस दौर से भी कोई ताल्लुक रहा हो. उस समय लड़ाई के हथियार तलवारें और बंदूकें थीं. अध्ययन के बाद स्थिति स्पष्ट की जा सकेगी.

गौरतलब है कि यह पूरा इलाका रूहेलखंड रीजन का हिस्सा हुआ करता था. 17वीं-18वीं शताब्दी में अफगानिस्तान से आए रूहेलों और स्थानीय कठेरिया राजपूतों का यहां वर्चस्व रहा. आज की बात करें तो बरेली, मुरादाबाद, रामपुर, शाहजहांपुर औप बदायूं का इलाका. मुगलों से पहले यहां राजा राम सिंह कठेरिया का शासन हुआ करता था और रूहेलखंड को कटेहार क्षेत्र के नाम से जाना जाता था.

ये भी पढ़ेंः सड़क चौड़ी करने के लिए घर पर चला दिया बुलडोजर; सुप्रीम कोर्ट की योगी सरकार को कड़ी फटकार, 5 अफसरों के खिलाफ जांच के आदेश

शाहजहांपुर: यूपी के शाहजहांपुर में सैकड़ों साल पुराने हथियारों का जखीरा मिला है. किसान अपने खेत में हल चला रहा था तभी जमीन के अंदर हल किसी लोहे जैसी भारी चीज से टकराया. इसके बाद जब वहां खुदाई की गई तो बड़े पैमाने पर तलवारें, खंजर, बरछी और बंदूकें निकलीं. खबर आग की तरह फैली और मौके पर लोगों की भीड़ जुट गई. थोड़ी देर में पुलिस और राजस्व विभाग की टीमें पहुंच गईं. पुरातत्व विभाग को भी सूचना दी गई. मौके पर जांच-पड़ताल की जा रही है.

दरअसल, निगोही थाना क्षेत्र के ढकीया तिवारी गांव में खेत जोतते समय जमीन के अंदर से पुराने जमाने के हथियार निकले हैं. गांव के ओमवीर सिंह का कहना है कि यहां पर बहुत पहले बाग था. इस जमीन को बाबूराम ने खरीद लिया था. पहले गांव के लोग यहां से मिट्टी ले जाया करते थे. अब बाबूराम ने यहां मकान बनाने के लिए नींव खुदवाई. आज बाबूराम ने पहली बार इस खेत में हल चलाया, तभी हल से तलवारें टकरा गईं.

शाहजहांपुर के खेत में मिले 200 साल पुराने हथियार. (Video Credit; ETV Bharat)


जब खुदाई की गई तो इसमें पुराने जमाने की तलवार, बंदूक के बैरल मिले हैं. इतिहासकार विकास खुराना बताते हैं कि बंदूकों का उपयोग अपने रीजन में 18वीं सदी में हुआ करता था. भारत में यह बाबर के समय में शुरू हो गया था. जो पता चला है कि इसकी मुख चांदी की बनी हुई है. इस पर जंग लगी है. लोहा है या सिल्वर है क्योंकि हवा पानी के साथ जो अभिक्रिया होगी उससे इसमें जंग बहुत है.

जो बंदूक है, उसमें जो लकड़ी है उसे दीमक खा गई है. केवल नाल है. बंदूक का मिलना यह दर्शाता है कि यह लगभग 200 साल पुरानी होगी. इन तलवारों की स्टडी के लिए हम लोग डीएम साहब से मांग करेंगे. फिलहाल मौके पर निगोही पुलिस और राजस्व विभाग के लोग मौजूद हैं और पुरातत्व विभाग को सूचना दे दी गई. वहीं, इसकी जानकारी क्षेत्र में फैली तो देखने वालों का मेला लगा गया.

वरिष्ठ इतिहासकार डॉ. विकास खुराना का कहना है कि यह इलाका क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए भी प्रख्यात रहा है. 1857 की लड़ाई में अंग्रेजों के खिलाफ गदर की बहुत सी घटनाएं इस क्षेत्र में हुईं. इस संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि इनका उस दौर से भी कोई ताल्लुक रहा हो. उस समय लड़ाई के हथियार तलवारें और बंदूकें थीं. अध्ययन के बाद स्थिति स्पष्ट की जा सकेगी.

गौरतलब है कि यह पूरा इलाका रूहेलखंड रीजन का हिस्सा हुआ करता था. 17वीं-18वीं शताब्दी में अफगानिस्तान से आए रूहेलों और स्थानीय कठेरिया राजपूतों का यहां वर्चस्व रहा. आज की बात करें तो बरेली, मुरादाबाद, रामपुर, शाहजहांपुर औप बदायूं का इलाका. मुगलों से पहले यहां राजा राम सिंह कठेरिया का शासन हुआ करता था और रूहेलखंड को कटेहार क्षेत्र के नाम से जाना जाता था.

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Last Updated : Nov 7, 2024, 11:49 AM IST
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