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आगरा में बनेगा यूपी का पहला मंकी रेस्क्यू सेंटर, DPR तैयार, पढ़िए कितनी आएगी लागत, किस तरह होगा फायदा? - Agra Monkey Rescue Centre

आगरा में बंदरों से निजात के लिए बड़ी रणनीति तैयार की गई है. यहां मंकी रेस्क्यू एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर खोला जाएगा. यहां करीब 2 हजार बंदरों को रखा जाएगा.

आगरा में मंकी रेस्क्यू सेंटर  बनेगा.
आगरा में मंकी रेस्क्यू सेंटर बनेगा. (PHOTO Credit; Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 3, 2024, 9:12 AM IST

आगरा : ताजनगरी में बंदरों का आतंक है. कॉलोनियों और बस्ती के साथ ही ताजमहल, आगरा किला, रेलवे स्टेशन, बाजारों के अलावा अस्पतालों में आए दिन बंदर किसी न किसी पर हमला करते रहते हैं. इसमें कई लोगों की जान भी जा चुकी है. कई लोग घायल भी हो चुके हैं. इसे देखते हुए नगर निगम ने यूपी के पहले मंकी रेस्क्यू एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर के लिए डीपीआर तैयार की है. इसका निर्माण सिकंदरा क्षेत्र के स्वामी मुस्तकिल में पांच एकड़ भूमि पर होगा. इस पर करीब 14 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.

ताजमहल, ताजगंज क्षेत्र, एकलव्य स्टेडियम, मधु नगर, राजमंडी क्षेत्र, एसएन मेडिकल कॉलोनी, मंटोला, बिजलीघर, सिकंदरा स्मारक, रामबाग, नुनिहाई, बेलनगंज,फ्री गंज, कलेक्ट्रेट, पुलिस लाइन, मंटोला, रावली क्षेत्र समेत शहर की तमाम कॉलोनी और बस्तियों में बंदरों का आतंक है. नगर निगम के मुताबिक, शहर में करीब 90 हजार बंदर हैं. इनका आतंक हर दिन बढ़ रहा है. इससे जिला अस्पताल या मिनी क्लीनिक पर बंदरों के काटने से घायल लोग एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं.

पुराने शहर के कई घर बन गए पिंजरे : आगरा के पुराने शहर बेलनगंज, भैंरो बाजार, माईथान, रावतपाड़ा, दरेसी, छत्ता, मोतीगंज, हॉस्पिटल रोड, मोती कटरा, नूरी गेट, किनारी बाजार, घटिया आजम खां, यमुना किनारा रोड, जीवनी मंडी, लंगडे की चौकी, एसएन मेडिकल कॉलेज, राजा की मंडी, लोहामंडी, शाहगंज, मंटोला, बिजलीघर क्षेत्र, रकाबगंज के घर बंदरों के आतंक के कारण पिंजरे में बदल चुके हैं. लोगों ने घर के बरामदे, छतों और बालकनी को लोहे के जाल से बंद करा लिए हैं. हालात ऐसे हैं कि, यदि मकान का गेट खुला मिल गया तो 150 से 200 से ज्यादा बंदर का झुंड घर में घुस आता है.

बंदरों के हमले में कई लोगों की मौत हो चुकी है.
बंदरों के हमले में कई लोगों की मौत हो चुकी है. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

बंदरों के उत्पात से लोग परेशान : ताजमहल, आगरा किला, सिकंदरा स्मारक, एत्माउददौला, रामबाग स्मारक में भी बंदरों का आतंक है. बंदर यहां पर घूमने आने वाले देशी और विदेशी पर्यटकों को आए दिन हमला करके चोटिल कर रहे हैं. बीते दिनों ही ताजमहल पर बंदरों ने एक पर्यटक पर हमला बोलकर चोटिल कर दिया. ऐसे ही राजामंडी रेलवे स्टेशन पर भी यात्रियों पर बंदर हमला कर देते हैं. शहर के बीचों बीच स्थित एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी, तमात वार्डों के साथ ही लेडी लायल अस्पताल में भी मरीज और तीमारदारों के साथ ही डॉक्टर्स पर भी हमला कर देते हैं. खूब तोड़फोड़ भी करते हैं. जबकि, नगर निगम की ओर से 100 जगह शहर में लंगूरों के कटआउट लगाए गए हैं. मगर, इसका कोई फायदा नहीं हुआ है. जबकि, नगर निगम सदन में बंदरों के आतंक से जनता को मुक्ति दिलाने को कई बार प्रस्ताव बने और हंगामा हुआ है.

शूटिंग रेंज की खाली जमीन पर सेंटर बनाने का प्रस्ताव : आगरा नगर निगम की सिकंदरा क्षेत्र में स्वामी मुस्तकिल में शूटिंग रेंज की खाली पड़ी जमीन पर मंकी रेस्क्यू एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर बनाने का प्रस्ताव है. इसकी क्षमता करीब दो हजार बंदर रखने की होगी. अभी शुरूआत में 500 बंदर रखे जाएंगे. इस सेंटर में अस्वस्थ बंदरों को रखा जाएगा. जबकि, स्वस्थ बंदर की सर्जरी करके जंगल में छोड़ दिया जाएगा.

डीपीआर तैयार, करेंगे बंदरों का बधियाकरण : आगरा नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि, मंकी रेस्क्यू एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार हो चुकी है. इसे बनाने में करीब 14 करोड़ की लागत आएगी. ये सेंटर बनने से बंदरों के आतंक से शहर की जनता को राहत मिलेगी. नगर निगम की ओर से पहले ही शहर में बंदरों को पकड़ कर उनकी सर्जरी करके बधियाकरण किया जा रहा है. अब तक 8500 बंदरों का बधियाकरण किया जा चुका है. नगर निगम की ओर से अब तक 10 हजार बंदर शहर से वन क्षेत्र में छोड़ गए हैं.

बंदरों के हमले की घटनाओं पर एक नजर : 2018 में रुनकता में मां की गोद से बंदर बच्चा छीन कर भागा था. इसमें बच्चे की मौत हो गई थी. इसके अलावा चार और मौतें बंदरों के हमले से हुई थी. 2019 में माईथान के हरीशंकर गोयल की मृत्यु भी बंदर के हमले से हुई थी. 2020 में एक व्यक्ति की मौत बंदर के हमले में गिरने से हुई थी. 2020 में ही दो और व्यक्तियों की मौत हुई थी. 2022 में चार मौतें बंदरों के हमले से हुई थीं. फरवरी 2024 में जीवनी मंडी में चंदा वाली गली की चंद्रावती उर्फ चंदा की बंदरों के झुंड के हमले में दो मंजिला मकान की छत गिरकर मौत हो गई.

यह भी पढ़ें : आगरा में ट्रैक्टर-ट्रॉली ने ऑटो में मारी टक्कर, पिता समेत बेटा-बेटी की मौत, पत्नी और 2 बच्चे घायल

आगरा : ताजनगरी में बंदरों का आतंक है. कॉलोनियों और बस्ती के साथ ही ताजमहल, आगरा किला, रेलवे स्टेशन, बाजारों के अलावा अस्पतालों में आए दिन बंदर किसी न किसी पर हमला करते रहते हैं. इसमें कई लोगों की जान भी जा चुकी है. कई लोग घायल भी हो चुके हैं. इसे देखते हुए नगर निगम ने यूपी के पहले मंकी रेस्क्यू एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर के लिए डीपीआर तैयार की है. इसका निर्माण सिकंदरा क्षेत्र के स्वामी मुस्तकिल में पांच एकड़ भूमि पर होगा. इस पर करीब 14 करोड़ रुपये का खर्च आएगा.

ताजमहल, ताजगंज क्षेत्र, एकलव्य स्टेडियम, मधु नगर, राजमंडी क्षेत्र, एसएन मेडिकल कॉलोनी, मंटोला, बिजलीघर, सिकंदरा स्मारक, रामबाग, नुनिहाई, बेलनगंज,फ्री गंज, कलेक्ट्रेट, पुलिस लाइन, मंटोला, रावली क्षेत्र समेत शहर की तमाम कॉलोनी और बस्तियों में बंदरों का आतंक है. नगर निगम के मुताबिक, शहर में करीब 90 हजार बंदर हैं. इनका आतंक हर दिन बढ़ रहा है. इससे जिला अस्पताल या मिनी क्लीनिक पर बंदरों के काटने से घायल लोग एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं.

पुराने शहर के कई घर बन गए पिंजरे : आगरा के पुराने शहर बेलनगंज, भैंरो बाजार, माईथान, रावतपाड़ा, दरेसी, छत्ता, मोतीगंज, हॉस्पिटल रोड, मोती कटरा, नूरी गेट, किनारी बाजार, घटिया आजम खां, यमुना किनारा रोड, जीवनी मंडी, लंगडे की चौकी, एसएन मेडिकल कॉलेज, राजा की मंडी, लोहामंडी, शाहगंज, मंटोला, बिजलीघर क्षेत्र, रकाबगंज के घर बंदरों के आतंक के कारण पिंजरे में बदल चुके हैं. लोगों ने घर के बरामदे, छतों और बालकनी को लोहे के जाल से बंद करा लिए हैं. हालात ऐसे हैं कि, यदि मकान का गेट खुला मिल गया तो 150 से 200 से ज्यादा बंदर का झुंड घर में घुस आता है.

बंदरों के हमले में कई लोगों की मौत हो चुकी है.
बंदरों के हमले में कई लोगों की मौत हो चुकी है. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

बंदरों के उत्पात से लोग परेशान : ताजमहल, आगरा किला, सिकंदरा स्मारक, एत्माउददौला, रामबाग स्मारक में भी बंदरों का आतंक है. बंदर यहां पर घूमने आने वाले देशी और विदेशी पर्यटकों को आए दिन हमला करके चोटिल कर रहे हैं. बीते दिनों ही ताजमहल पर बंदरों ने एक पर्यटक पर हमला बोलकर चोटिल कर दिया. ऐसे ही राजामंडी रेलवे स्टेशन पर भी यात्रियों पर बंदर हमला कर देते हैं. शहर के बीचों बीच स्थित एसएन मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी, तमात वार्डों के साथ ही लेडी लायल अस्पताल में भी मरीज और तीमारदारों के साथ ही डॉक्टर्स पर भी हमला कर देते हैं. खूब तोड़फोड़ भी करते हैं. जबकि, नगर निगम की ओर से 100 जगह शहर में लंगूरों के कटआउट लगाए गए हैं. मगर, इसका कोई फायदा नहीं हुआ है. जबकि, नगर निगम सदन में बंदरों के आतंक से जनता को मुक्ति दिलाने को कई बार प्रस्ताव बने और हंगामा हुआ है.

शूटिंग रेंज की खाली जमीन पर सेंटर बनाने का प्रस्ताव : आगरा नगर निगम की सिकंदरा क्षेत्र में स्वामी मुस्तकिल में शूटिंग रेंज की खाली पड़ी जमीन पर मंकी रेस्क्यू एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर बनाने का प्रस्ताव है. इसकी क्षमता करीब दो हजार बंदर रखने की होगी. अभी शुरूआत में 500 बंदर रखे जाएंगे. इस सेंटर में अस्वस्थ बंदरों को रखा जाएगा. जबकि, स्वस्थ बंदर की सर्जरी करके जंगल में छोड़ दिया जाएगा.

डीपीआर तैयार, करेंगे बंदरों का बधियाकरण : आगरा नगर निगम के पशु कल्याण अधिकारी डॉ. अजय कुमार सिंह ने बताया कि, मंकी रेस्क्यू एवं रिहैबिलिटेशन सेंटर की डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार हो चुकी है. इसे बनाने में करीब 14 करोड़ की लागत आएगी. ये सेंटर बनने से बंदरों के आतंक से शहर की जनता को राहत मिलेगी. नगर निगम की ओर से पहले ही शहर में बंदरों को पकड़ कर उनकी सर्जरी करके बधियाकरण किया जा रहा है. अब तक 8500 बंदरों का बधियाकरण किया जा चुका है. नगर निगम की ओर से अब तक 10 हजार बंदर शहर से वन क्षेत्र में छोड़ गए हैं.

बंदरों के हमले की घटनाओं पर एक नजर : 2018 में रुनकता में मां की गोद से बंदर बच्चा छीन कर भागा था. इसमें बच्चे की मौत हो गई थी. इसके अलावा चार और मौतें बंदरों के हमले से हुई थी. 2019 में माईथान के हरीशंकर गोयल की मृत्यु भी बंदर के हमले से हुई थी. 2020 में एक व्यक्ति की मौत बंदर के हमले में गिरने से हुई थी. 2020 में ही दो और व्यक्तियों की मौत हुई थी. 2022 में चार मौतें बंदरों के हमले से हुई थीं. फरवरी 2024 में जीवनी मंडी में चंदा वाली गली की चंद्रावती उर्फ चंदा की बंदरों के झुंड के हमले में दो मंजिला मकान की छत गिरकर मौत हो गई.

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