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मोटर न्यूरॉन डिसऑर्डर से पीड़ित, 4 साल से बेड पर, फिर भी पीएम मोदी पर लिखी कविता, अब प्रशासन घर जाकर डलवाएगा वोट - Barabanki Abhay Chandwasiya - BARABANKI ABHAY CHANDWASIYA

बाराबंकी का एक शख्स एक आसामान्य बीमारी से पीड़ित हैं. कई वर्षों से वह बेड पर ही है. तमाम परेशानियों के बावजूद उसने अपना हौसला नहीं खोया. लेटे-लेटे ही पीएम मोदी पर कविता लिख डाली.

दुर्लभ बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद अभय ने नहीं खोया हौसला.
दुर्लभ बीमारी से पीड़ित होने के बावजूद अभय ने नहीं खोया हौसला. (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : May 4, 2024, 10:22 AM IST

बाराबंकी से एमएनडी पीड़ित अभय से ईटीवी भारत ने बातचीत की. (ईटीवी भारत)

बाराबंकी : 'जो तूफानों में पलते जा रहे हैं, वही दुनिया बदलते जा रहे हैं'. मशहूर शायर जिगर मुरादाबादी के लिखे इन अलफाजों को जिले के रहने वाले अभय कुमार चांदवासिया ने अपने जीवन में उतार लिया है. वह तमाम दुश्वारियों के बावजूद हर मुकाम हासिल करने की तमन्ना रखते हैं. उनका ये जज्बा जिंदगी की उलझनों से हार चुके लोगों में नया जोश भरता है. अभय 50 साल के हैं. मोटर न्यूरॉन डिसऑर्डर (एमएनडी) से पीड़ित भी हैं. 4 साल से बेड पर ही हैं. सही से करवट भी नहीं ले सकते हैं. इसके बावजूद पीएम मोदी पर कविता लिख डाली. पीएमओ ने इसका संज्ञान लिया है. लोकसभा चुनाव में जिला प्रशासन उनके घर जाकर वोट डलवाएगा.

जिले के सट्टी बाजार के पीर बटावन निवासी अभय कुमार चांदवासिया मोटर न्यूरॉन डिसऑर्डर से पीड़ित हैं. वह पिछले 4 साल से बेड पर ही हैं. वह न तो उगता सूरज देख पाते हैं, और न ही रात में चांद को निहार पाते हैं. देश-दुनिया में क्या हो रहा है, इसकी जानकारी वह अपने कमरे में लगी एलसीडी के जरिए ही कर पाते हैं. हाथ- पैर बेजान हैं. हाथ की कुछ अंगुलिया जरूर कंप्यूटर के माउस पर चल जाती हैं.

अभय को अपनी हालत पर अफसोस नहीं : पीएम मोदी के प्रति अभय कुमार की काफी दीवानगी है. उन्होंने लेटे-लेटे ही माउस के सहारे पीएम मोदी पर कविता लिख डाली. करीब एक सप्ताह पूर्व लिखी यह कविता पीएमओ तक पहुंच गई. इसके बाद पीएमओ ने अभय के संबंध में जानकारी मांगी. इसके बाद जिला प्रशासन अभय के घर पहुंचा. इसके बाद पूरा ब्यौरा पीएमओ को भेजा. जिला प्रशासन के अफसरों से बातचीत में अभय ने अपनी इस हालत पर जरा भी मलाल नहीं किया.

अभय की ख्वाहिश- वैज्ञानिक खोजें बीमारी का इलाज : कहा कि उन्हें लाचार न समझा जाए. उन्हें उनकी इस हालत पर कोई अफसोस नहीं है. वह इसी हाल में अपने जीवन को जी लेंगे. अभय ने बस इतनी ख्वाहिश जताई कि जिस बीमारी से वह जूझ रहे हैं, उस बीमारी का इलाज खोज लिया जाए. जिससे इससे पीड़ित अन्य लोगों को उपचार मिल सके. अभय ने लोकसभा चुनाव में वोटिंग की इच्छा जताई थी. इसके लिए उन्होंने आवेदन भी किया था. जिला प्रशासन ने घर से ही उनका वोट डलवाने का वादा किया है. इससे वह काफी उत्साहित हैं. एसडीएम विजय त्रिवेदी ने बताया कि अभय और उनकी बीमारी के संबंध में पीएमओ ने जानकारी मांगी थी. इसका पूरा ब्यौरा भेज दिया गया है.

अभय को कमरे में लगी टीवी से देश-दुनिया की जानकारी मिलती है.
अभय को कमरे में लगी टीवी से देश-दुनिया की जानकारी मिलती है. (ईटीवी भारत)

पत्नी ने हर कदम पर दिया साथ : ईटीवी भारत से बातचीत में अभय ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं. इनमें 26 वर्षीय बेटी के अलावा 19 वर्षीय बेटा राघव अग्रवाल हैं. चार भाइयों में सबसे छोटे अभय कुमार चांदवासिया के पिता विनोद कुमार चांदवासिया अब इस दुनिया में नही हैं. अभय कहते हैं कि उनको कोई दुख नहीं है. उन्हें किसी से कोई अपेक्षा भी नहीं है. उनका परिवार उनकी देखभाल करता है. पत्नी ने उनका हर तरीके से साथ दिया है.

पहले पूरी तरह स्वस्थ थे, नहीं थी कोई बीमारी : अभय ने बताया कि वह पहले पूरी तरह स्वस्थ थे. कपड़े का व्यापार करते थे. 20 साल पहले जब वह करीब 30 साल के थे, उस दौरान उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होने लगी. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के चिकित्सकों को दिखाया, लेकिन आराम नहीं मिला. चिकित्सक बीमारी को भी समझ नहीं पा रहे थे. आखिर में कुछ डॉक्टरों ने बताया कि मोटर न्यूरॉन डिसऑर्डर बीमारी हो चुकी है. धीरे धीरे यह परेशानी बढ़ती गई. साल 2016 से चलने-फिरने के लिए व्हील चेयर का सहारा लेना पड़ा. साल 2020 में बैठने में समस्या हो गई. इसके बाद से वह लगातार बेड पर हैं.

अब तक लिख चुके हैं कई कविताएं : अभय बताते हैं कि वह न तो उठकर बैठ सकते हैं, और नही करवट ले सकते हैं. वह स्नातक हैं. बचपन से ही कविताएं लिखने-पढ़ने, पेंटिंग बनाने और ज्योतिष में दिलचस्पी रही है. अब तक वर्तमान भारती का सारथी, ज्वर, क्रोध,आंखें, धुआं, जिंदगी, बोध और संक्रमण जैसे शीर्षकों से तमाम कविताएं लिखी हैं. वर्तमान भारती का सारथी कविता पीएम मोदी पर लिखी है. इसमें उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व का वर्णन किया है.

पढ़िए क्या है एमएनडी : मोटर न्यूरॉन रोग को एमएनडी के नाम से भी जाना जाता है. इस बीमारी में मस्तिष्क और तंत्रिकाएं प्रभावित होने लगती हैं. इससे मरीज को चलने-फिरने और रोजाना के कार्यों को करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. शरीर कमजोर हो जाता है. बढ़ते समय के साथ दुश्वारियां बढ़ती चली जाती हैं. इस बीमारी का अभी तक मेडिकल साइंस में कोई उपचार नहीं हैं. हालांकि इस बीमारी के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ दवाएं मौजूद हैं.

यह भी पढ़ें : कानपुर में पीएम मोदी का रोड शो आज, शाम छह बजे से होगा शुरू; इन रूटों पर रहेगा डायवर्जन

बाराबंकी से एमएनडी पीड़ित अभय से ईटीवी भारत ने बातचीत की. (ईटीवी भारत)

बाराबंकी : 'जो तूफानों में पलते जा रहे हैं, वही दुनिया बदलते जा रहे हैं'. मशहूर शायर जिगर मुरादाबादी के लिखे इन अलफाजों को जिले के रहने वाले अभय कुमार चांदवासिया ने अपने जीवन में उतार लिया है. वह तमाम दुश्वारियों के बावजूद हर मुकाम हासिल करने की तमन्ना रखते हैं. उनका ये जज्बा जिंदगी की उलझनों से हार चुके लोगों में नया जोश भरता है. अभय 50 साल के हैं. मोटर न्यूरॉन डिसऑर्डर (एमएनडी) से पीड़ित भी हैं. 4 साल से बेड पर ही हैं. सही से करवट भी नहीं ले सकते हैं. इसके बावजूद पीएम मोदी पर कविता लिख डाली. पीएमओ ने इसका संज्ञान लिया है. लोकसभा चुनाव में जिला प्रशासन उनके घर जाकर वोट डलवाएगा.

जिले के सट्टी बाजार के पीर बटावन निवासी अभय कुमार चांदवासिया मोटर न्यूरॉन डिसऑर्डर से पीड़ित हैं. वह पिछले 4 साल से बेड पर ही हैं. वह न तो उगता सूरज देख पाते हैं, और न ही रात में चांद को निहार पाते हैं. देश-दुनिया में क्या हो रहा है, इसकी जानकारी वह अपने कमरे में लगी एलसीडी के जरिए ही कर पाते हैं. हाथ- पैर बेजान हैं. हाथ की कुछ अंगुलिया जरूर कंप्यूटर के माउस पर चल जाती हैं.

अभय को अपनी हालत पर अफसोस नहीं : पीएम मोदी के प्रति अभय कुमार की काफी दीवानगी है. उन्होंने लेटे-लेटे ही माउस के सहारे पीएम मोदी पर कविता लिख डाली. करीब एक सप्ताह पूर्व लिखी यह कविता पीएमओ तक पहुंच गई. इसके बाद पीएमओ ने अभय के संबंध में जानकारी मांगी. इसके बाद जिला प्रशासन अभय के घर पहुंचा. इसके बाद पूरा ब्यौरा पीएमओ को भेजा. जिला प्रशासन के अफसरों से बातचीत में अभय ने अपनी इस हालत पर जरा भी मलाल नहीं किया.

अभय की ख्वाहिश- वैज्ञानिक खोजें बीमारी का इलाज : कहा कि उन्हें लाचार न समझा जाए. उन्हें उनकी इस हालत पर कोई अफसोस नहीं है. वह इसी हाल में अपने जीवन को जी लेंगे. अभय ने बस इतनी ख्वाहिश जताई कि जिस बीमारी से वह जूझ रहे हैं, उस बीमारी का इलाज खोज लिया जाए. जिससे इससे पीड़ित अन्य लोगों को उपचार मिल सके. अभय ने लोकसभा चुनाव में वोटिंग की इच्छा जताई थी. इसके लिए उन्होंने आवेदन भी किया था. जिला प्रशासन ने घर से ही उनका वोट डलवाने का वादा किया है. इससे वह काफी उत्साहित हैं. एसडीएम विजय त्रिवेदी ने बताया कि अभय और उनकी बीमारी के संबंध में पीएमओ ने जानकारी मांगी थी. इसका पूरा ब्यौरा भेज दिया गया है.

अभय को कमरे में लगी टीवी से देश-दुनिया की जानकारी मिलती है.
अभय को कमरे में लगी टीवी से देश-दुनिया की जानकारी मिलती है. (ईटीवी भारत)

पत्नी ने हर कदम पर दिया साथ : ईटीवी भारत से बातचीत में अभय ने बताया कि उनके दो बच्चे हैं. इनमें 26 वर्षीय बेटी के अलावा 19 वर्षीय बेटा राघव अग्रवाल हैं. चार भाइयों में सबसे छोटे अभय कुमार चांदवासिया के पिता विनोद कुमार चांदवासिया अब इस दुनिया में नही हैं. अभय कहते हैं कि उनको कोई दुख नहीं है. उन्हें किसी से कोई अपेक्षा भी नहीं है. उनका परिवार उनकी देखभाल करता है. पत्नी ने उनका हर तरीके से साथ दिया है.

पहले पूरी तरह स्वस्थ थे, नहीं थी कोई बीमारी : अभय ने बताया कि वह पहले पूरी तरह स्वस्थ थे. कपड़े का व्यापार करते थे. 20 साल पहले जब वह करीब 30 साल के थे, उस दौरान उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होने लगी. लखनऊ से लेकर दिल्ली तक के चिकित्सकों को दिखाया, लेकिन आराम नहीं मिला. चिकित्सक बीमारी को भी समझ नहीं पा रहे थे. आखिर में कुछ डॉक्टरों ने बताया कि मोटर न्यूरॉन डिसऑर्डर बीमारी हो चुकी है. धीरे धीरे यह परेशानी बढ़ती गई. साल 2016 से चलने-फिरने के लिए व्हील चेयर का सहारा लेना पड़ा. साल 2020 में बैठने में समस्या हो गई. इसके बाद से वह लगातार बेड पर हैं.

अब तक लिख चुके हैं कई कविताएं : अभय बताते हैं कि वह न तो उठकर बैठ सकते हैं, और नही करवट ले सकते हैं. वह स्नातक हैं. बचपन से ही कविताएं लिखने-पढ़ने, पेंटिंग बनाने और ज्योतिष में दिलचस्पी रही है. अब तक वर्तमान भारती का सारथी, ज्वर, क्रोध,आंखें, धुआं, जिंदगी, बोध और संक्रमण जैसे शीर्षकों से तमाम कविताएं लिखी हैं. वर्तमान भारती का सारथी कविता पीएम मोदी पर लिखी है. इसमें उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व का वर्णन किया है.

पढ़िए क्या है एमएनडी : मोटर न्यूरॉन रोग को एमएनडी के नाम से भी जाना जाता है. इस बीमारी में मस्तिष्क और तंत्रिकाएं प्रभावित होने लगती हैं. इससे मरीज को चलने-फिरने और रोजाना के कार्यों को करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. शरीर कमजोर हो जाता है. बढ़ते समय के साथ दुश्वारियां बढ़ती चली जाती हैं. इस बीमारी का अभी तक मेडिकल साइंस में कोई उपचार नहीं हैं. हालांकि इस बीमारी के प्रभाव को कम करने के लिए कुछ दवाएं मौजूद हैं.

यह भी पढ़ें : कानपुर में पीएम मोदी का रोड शो आज, शाम छह बजे से होगा शुरू; इन रूटों पर रहेगा डायवर्जन

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