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ऊर्जा मंत्री का 18 घंटे सप्लाई का दावा, हकीकत में 8 घंटे ही मिल रही बिजली, आम जनता से लेकर किसान तक परेशान - UP power cut

यूपी विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को सदन में बिजली कटौती का मुद्दा गूंजता रहा. ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने पूरे सूबे में बेहतर सप्लाई का दावा किया, लेकिन हकीकत उनके दावों को झुठला रही है.

यूपी में बिजली कटौती से लोग परेशान.
यूपी में बिजली कटौती से लोग परेशान. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 30, 2024, 10:50 AM IST

Updated : Jul 30, 2024, 1:23 PM IST

लखनऊ : यूपी विधानसभा मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने सूबे में भरपूर बिजली आपूर्ति का दावा किया. उन्होंने सपा सरकार के पावर सप्लाई के आंकड़ों को भी रखा, लेकिन हकीकत उनके दावों से कोसों दूर है. ऊर्जा मंत्री ने दावा किया कि गांव से लेकर शहर तक इतनी बिजली आपूर्ति की जा रही है जितनी पहले कभी हुई ही नहीं. जबकि हालात ये हैं कि प्रदेश भर में लोग बिजली संकट से परेशान हैं. आम जनता से लेकर किसान तक परेशान है. 18 घंटे की जगह किसानों को भी 8 से 10 घंटे ही बिजली मिल पा रही है. इससे फसलों की सिंचाई भी प्रभावित हो रही है.

सदन में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन की तरफ से दावा किया गया कि ग्रामीण इलाकों में 18 घंटे बिजली दी जा रही है साढ़े 17 घंटे की सप्लाई से तो बिल्कुल इनकार ही नहीं किया जा रहा है, जबकि सच यह है कि ग्रामीण इलाकों में 8 घंटे भी बिजली ठीक से नहीं मिल पा रही है. ग्रामीण इलाकों में बिजली कटौती से आम जनता से लेकर किसान तक त्रस्त हैं.

जहां धान की रोपाई हो गई है वहां फसल की सिंचाई नहीं हो पा रही है. कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अभी तक धान की रोपाई भी 60% ही हो पाई है. ऐसे में रोपाई के लिए ही बिजली के आवश्यकता है लेकिन बिजली नहीं मिल रही है. राज्य लोड डिस्पैच सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में अधिकतम मांग 29,665 मेगावाट तक है. ऊर्जा विभाग उत्पादन इकाइयों के साथ ही निजी इकाइयों से भी बिजली आयातित कर रहा है.

ग्रामीण इलाकों में 18 घंटे के स्थान पर 17.47 घंटे और बुंदेलखंड में 20 घंटे की जगह 19.30 घंटे ही बिजली आपूर्ति हो पा रही है. तहसील मुख्यालय पर जो दावे हैं कि 21.30 घंटे और जिला व महानगर में 24 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है, जबकि सच है कि महानगर लखनऊ के लोगों को भी 24 घंटे बिजली मयस्सर नहीं है. उपकरणों के दगा देने से कई इलाके तो दिन-रात बिजली संकट से त्रस्त ही रहते हैं.

लखनऊ को भी इस समय 18 से 20 घंटे ही बिजली मिल जाए, यही क्या कम है. ऊर्जा विभाग सिंचाई फीडर से 12 घंटे बिजली देने का दावा करता है लेकिन हकीकत यही है कि आठ घंटे में बिजली उपलब्ध नहीं है. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की रिपोर्ट में गांव में 17.47 घंटे और बुंदेलखंड में 19.30 घंटे बिजली सप्लाई का दावा किया जा रहा है. इसमें भी लोकल फाल्ट शामिल नहीं हैं. अगर कोई लोकल फाल्ट हो गया तो कितना वक्त लगेगा, इसका भी अंदाजा नहीं है.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि ऊर्जा विभाग चाहे लाख दावे करे कि प्रदेश में बिजली संकट नहीं है लेकिन हकीकत इससे अलग है. लोगों को बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है. दूर की तो बात ही छोड़िए लखनऊ में ही तमाम ऐसे इलाके हैं जो हर रोज कई घंटे बिजली संकट झेलते हैं. किसानों को 7 से 8 घंटे ही बिजली मिल पा रही है. इससे उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं.

यह भी पढ़ें : यूपी विधानसभा मानसून सत्र दूसरा दिन, अनुपूरक बजट पेश होने से पहले मंत्रिपरिषद की बैठक, डिप्टी सीएम केशव मौर्य भी हुए शामिल

लखनऊ : यूपी विधानसभा मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने सूबे में भरपूर बिजली आपूर्ति का दावा किया. उन्होंने सपा सरकार के पावर सप्लाई के आंकड़ों को भी रखा, लेकिन हकीकत उनके दावों से कोसों दूर है. ऊर्जा मंत्री ने दावा किया कि गांव से लेकर शहर तक इतनी बिजली आपूर्ति की जा रही है जितनी पहले कभी हुई ही नहीं. जबकि हालात ये हैं कि प्रदेश भर में लोग बिजली संकट से परेशान हैं. आम जनता से लेकर किसान तक परेशान है. 18 घंटे की जगह किसानों को भी 8 से 10 घंटे ही बिजली मिल पा रही है. इससे फसलों की सिंचाई भी प्रभावित हो रही है.

सदन में उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन की तरफ से दावा किया गया कि ग्रामीण इलाकों में 18 घंटे बिजली दी जा रही है साढ़े 17 घंटे की सप्लाई से तो बिल्कुल इनकार ही नहीं किया जा रहा है, जबकि सच यह है कि ग्रामीण इलाकों में 8 घंटे भी बिजली ठीक से नहीं मिल पा रही है. ग्रामीण इलाकों में बिजली कटौती से आम जनता से लेकर किसान तक त्रस्त हैं.

जहां धान की रोपाई हो गई है वहां फसल की सिंचाई नहीं हो पा रही है. कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अभी तक धान की रोपाई भी 60% ही हो पाई है. ऐसे में रोपाई के लिए ही बिजली के आवश्यकता है लेकिन बिजली नहीं मिल रही है. राज्य लोड डिस्पैच सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में अधिकतम मांग 29,665 मेगावाट तक है. ऊर्जा विभाग उत्पादन इकाइयों के साथ ही निजी इकाइयों से भी बिजली आयातित कर रहा है.

ग्रामीण इलाकों में 18 घंटे के स्थान पर 17.47 घंटे और बुंदेलखंड में 20 घंटे की जगह 19.30 घंटे ही बिजली आपूर्ति हो पा रही है. तहसील मुख्यालय पर जो दावे हैं कि 21.30 घंटे और जिला व महानगर में 24 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है, जबकि सच है कि महानगर लखनऊ के लोगों को भी 24 घंटे बिजली मयस्सर नहीं है. उपकरणों के दगा देने से कई इलाके तो दिन-रात बिजली संकट से त्रस्त ही रहते हैं.

लखनऊ को भी इस समय 18 से 20 घंटे ही बिजली मिल जाए, यही क्या कम है. ऊर्जा विभाग सिंचाई फीडर से 12 घंटे बिजली देने का दावा करता है लेकिन हकीकत यही है कि आठ घंटे में बिजली उपलब्ध नहीं है. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की रिपोर्ट में गांव में 17.47 घंटे और बुंदेलखंड में 19.30 घंटे बिजली सप्लाई का दावा किया जा रहा है. इसमें भी लोकल फाल्ट शामिल नहीं हैं. अगर कोई लोकल फाल्ट हो गया तो कितना वक्त लगेगा, इसका भी अंदाजा नहीं है.

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि ऊर्जा विभाग चाहे लाख दावे करे कि प्रदेश में बिजली संकट नहीं है लेकिन हकीकत इससे अलग है. लोगों को बिजली संकट से जूझना पड़ रहा है. दूर की तो बात ही छोड़िए लखनऊ में ही तमाम ऐसे इलाके हैं जो हर रोज कई घंटे बिजली संकट झेलते हैं. किसानों को 7 से 8 घंटे ही बिजली मिल पा रही है. इससे उनकी फसलें बर्बाद हो रही हैं.

यह भी पढ़ें : यूपी विधानसभा मानसून सत्र दूसरा दिन, अनुपूरक बजट पेश होने से पहले मंत्रिपरिषद की बैठक, डिप्टी सीएम केशव मौर्य भी हुए शामिल

Last Updated : Jul 30, 2024, 1:23 PM IST
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