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भटगांव ग्राम पंचायत की अनोखी कहानी, सरपंच को रहता है जान का खतरा, पूरा नहीं कर पाता कोई कार्यकाल

बीते 12 सालों में यहां पांच सरपंच बदल चुके हैं. पांच में से चार सरपंचों की मौत बीमारी से हो चुकी है.

BHATGAON GRAM PANCHAYAT
पूरा नहीं कर पाता कोई कार्यकाल (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 1, 2024, 3:56 PM IST

Updated : Dec 1, 2024, 4:53 PM IST

धमतरी: भटगांव ग्राम पंचायत में सरपंच पद पर बैठने वाले पांच में से चार लोगों की अचानक बीमारी से मौत हो चुकी है. अंधविश्वास के चलते अब सरपंच पद की कुर्सी पर बैठने से हर कोई डरने लगा है. गांव के लोगों के बीच तरह तरह की अफवाहें भी फैली हैं. किसी का कहना है कि बीमारी से चार सरपंचों की मौत हुई तो कोई इसे रहस्य जैसी अफवाह से जोड़ रहा है. गांव वालों का कहना है कि एक सरपंच को धारा 40 के तहत हटाया गया जबकि बाकी चार की मौत अचानक हो गई.

पांच में से चार सरपंचों की हो चुकी है मौत: गांव वालों का कहना है कि असमय चार सरपंचों की मौत होने से अब लोगों में डर का माहौल है. कोई भी सरपंच पद पर बैठना नहीं चाहता है. गांव के कुछ लोग इसे अफवाह बताते हैं उनका कहना है कि जिनकी भी मौत हुई उनकी मौत बीमारी से हुई है. बेवजह लोगों ने इसे लेकर अफवाह और अंधविश्वास फैला दिया है. पांच सरपंचों में एक सरपंच ठीक ठाक हैं. उनको जरुर धारा 40 के तहत सरपंच पद से हटाया गया है. भटगांव ग्राम पंचायत धमतरी जिला मुख्यालय से महज 7 किमी की दूरी पर है.

पूरा नहीं कर पाता कोई कार्यकाल (ETV Bharat)

2020 - 25 के लिए अजमेर सिंह बने सरपंच: गांव वालों का कहना है कि पंचायत चुनाव में 2020 - 25 के लिए अजमेर सिंह को जनता ने सरपंच पद के लिए चुना. महज दो साल वो सरपंच रहे और फिर बीमारी से उनकी मौत हो गई. उपचुनाव में बोधन सिंह ध्रुव जीते लेकिन अभी दो महीने पहले ही उनकी भी मौत बीमारी से हो गई. गांव वालों का कहना है कि 2015 -20 के लिए मोहित देवांगन सरपंच बने और अपना कार्यकाल पूरा किया. मोहित देवांगन आज भी पूरी तरह से फिट हैं.

कहानी के पीछे की कहानी: गांव वालों का कहना है कि 2010-15 के चुनाव में झनक राम देवदास सरपंच बने लेकिन उनकी भी सिर्फ 30 साल की उम्र में अचानक बीमारी से मौत हो गई. उनकी जगह गिरवर देवदास को सरपंच बनाया गया. कार्यकाल खत्म होने से पहले ही वो बुरी तरह बीमार पड़ गए और कार्यकाल खत्म होने के कुछ दिन बाद बीमारी से उनकी मौत हो गई. अभी तक जितने भी सरपंचों की मौत हुई सभी मौत बीमारी से होना बताया गया. अब इसे संयोग ही कहेंगे की सरपंच पद पर बैठने वाले लोगों की ही असमय मौत हुई. गांव के कुछ लोगों ने इसे अंधविश्वास और रहस्य से जोड़ रहे हैं जो गलत है. अंधविश्वास और झूठ को फैलाना भी कानून जुर्म की श्रेणी में आता है.

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कहानी के पीछे की कहानी: गांव वालों का कहना है कि 2010-15 के चुनाव में झनक राम देवदास सरपंच बने लेकिन उनकी भी सिर्फ 30 साल की उम्र में अचानक बीमारी से मौत हो गई. उनकी जगह गिरवर देवदास को सरपंच बनाया गया. कार्यकाल खत्म होने से पहले ही वो बुरी तरह बीमार पड़ गए और कार्यकाल खत्म होने के कुछ दिन बाद बीमारी से उनकी मौत हो गई. अभी तक जितने भी सरपंचों की मौत हुई सभी मौत बीमारी से होना बताया गया. अब इसे संयोग ही कहेंगे की सरपंच पद पर बैठने वाले लोगों की ही असमय मौत हुई. गांव के कुछ लोगों ने इसे अंधविश्वास और रहस्य से जोड़ रहे हैं जो गलत है. अंधविश्वास और झूठ को फैलाना भी कानून जुर्म की श्रेणी में आता है.

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Last Updated : Dec 1, 2024, 4:53 PM IST
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