इंदौर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट आज पेश हुआ. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन में बजट भाषण पढ़ा. देश के आम बजट में जहां गरीब और निचले तबके के लिए राहत के प्रावधान किए गए हैं. वहीं कई सेक्टर ऐसे हैं, जिनमें लोगों को निराशा हाथ लगी है. इंदौर में चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज शाह ने इन बिंदुओं को स्पष्ट किया है.
मेक इन इंडिया की अवधारणा बजट से गायब
चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज शाह के मुताबिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट में नौकरी पेशा वर्ग को स्टैंडर्ड डिडक्शन 50000 से करीब 2 लाख तक बढ़ाने की उम्मीद थी, लेकिन जिसे सिर्फ 75000 ही किया गया है. इसके अलावा बजट से इस बार मेक इन इंडिया की अवधारणा पूरी तरह से गायब है. वहीं चार्टर्ड अकाउंटेंट के मुताबिक भू-आधार योजना में जिस तरीके से अर्बन लैंड सीलिंग पर कृषि की व्यवस्था थी. उसके तहत इस योजना से बेनामी एसेट का पता चलेगा, जो कहीं ना कहीं काले धन और अचल संपत्तियों को स्पष्ट करने की दिशा में प्रभावी कदम होगा.
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टैक्स स्लैब में मामूली अंतर, निराश करने वाला बजट
उन्होंने कहा टैक्स के स्लैब में मामूली अंतर है, लेकिन स्लैब के लिहाज से ज्यादा राहत नहीं दी गई है. उन्होंने कहा एमएसएमई के लिए 100 करोड़ का गारंटी कर कहीं ना कहीं उद्योगों को मशीन लेने के अलावा अन्य विटी राहत प्रदान करने वाला फैसला होगा. मध्य प्रदेश में प्राकृतिक कृषि से एक करोड़ लोगों को मुनाफे की उम्मीद है, क्योंकि कहीं ना कहीं कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस दिशा में पहल करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कई बिंदु ऐसे हैं, जिनमें आज भी राहत की उम्मीद थी, लेकिन बजट ने विभिन्न वर्गों को निराश भी किया है.