छिंदवाड़ा: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्री बादल भोई राज्य आदिवासी संग्रहालय का वर्चुअल लोकार्पण 15 नवंबर को करेंगे. प्रधानमंत्री के छिंदवाड़ा में आकर लोकार्पण करने की सुगबुगाहट थी, जिसे लेकर जिले से लेकर प्रदेश स्तर तक हलचल मची हुई थी. जबलपुर रेंज के आईजी सहित भोपाल से वरिष्ठ अधिकारी यहां का दौरा कर चुके हैं, लेकिन अब कहा जा रहा है कि मोदी इस संग्रहालय का वर्चुअल लोकार्पण करेंगे. वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के भी लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे हैं.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू करेंगी छिंदवाड़ा दौरा ?
सूत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी का छिंदवाड़ा कार्यक्रम तय नहीं हो सका है. कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी 15 नवंबर को बिहार से ही छिंदवाड़ा, जबलपुर सहित प्रदेश के अन्य स्थानों की परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण करेंगे. 15 नवंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मध्य प्रदेश के दौरे पर रहेंगी, उनके भी छिंदवाड़ा आने की चर्चाएं हैं. लेकिन अभी तक आधिकारिक पुष्ट नहीं हुई है.
पीएम मोदी की सभा के मैदान पर हो चुका था विचार
प्रधानमंत्री के आने की सुगबुगाहट के बीच अधिकारियों ने सभा के लिए मैदान पर भी विचार शुरू कर दिया था. पीजी कॉलेज का मैदान स्थानीय प्रशासन द्वारा सुझाया गया था. दिवाली के पहले छिंदवाड़ा पहुंचे जबलपुर रेंज के आईजी ने भी पीजी कॉलेज ग्राउंड का मुआयना किया था. अब ऐसा कहा जा रहा है कि बिहार से ही मोदी छिंदवाड़ा में नवनिर्मित राज्य आदिवासी संग्रहालय का वर्चुअल लोकार्पण करेंगे. वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ केंद्रीय मंत्री व प्रदेश के मुख्यमंत्री इस कार्यक्रम में मौजूद हो सकते हैं.
9 एकड़ जमीन में बनाया गया जनजातीय संग्रहालय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से 15 अगस्त 2016 को मध्य प्रदेश समेत देश के 10 राज्यों, गुजरात, झारखंड, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, केरल, तेलंगाना, मणिपुर, मिजोरम और गोवा में जनजातीय संग्रहालय बनाने की घोषणा की थी. इन संग्रहालयों का निर्माण आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए किया गया है. साल 2019 में छिंदवाड़ा के इस संग्रहालय को बनाने की मंजूरी दी गई थी. छिंदवाड़ा के खजरी रोड में 9 एकड़ जमीन में श्री बादल भोई जनजातीय संग्रहालय बनाया गया है.
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले लोगों को दिया गया स्थान
इस संग्रहालय में जनजातीय कला व संस्कृतियों को सहेजने के अलावा स्वतंत्रता संग्राम में योगदान देने वाले समुदाय के लोगों को भी स्थान दिया गया है. इसी जगह पर एक पुराना म्यूजियम भी है, जिसमें आदिवासी संस्कृति को दर्शाया गया है. श्री बादलभोई राज्य आदिवासी संग्रहालय पहले से ही यहां स्थापित है, जिसमें जनजातियों के खानपान रहन-सहन के तौर तरीकों को संग्रहालय में संजोया गया था.
जानें कौन हैं बादल भोई आदिवासी ?
आदिवासी संग्रहालय का विस्तार करते हुए अब इसे जनजातीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को समर्पित किया गया है. स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने वाले जनजातीय नायकों व उनकी भूमिकाओं को दर्शाया गया है. बादल भोई जिले के एक क्रांतिकारी आदिवासी नेता थे. उनका जन्म 1845 में परासिया तहसील के डूंगरिया तीतरा गांव में हुआ था. उनके नेतृत्व में 1923 में हजारों आदिवासियों ने कलेक्टर बंगला में प्रदर्शन किया था. इसके बाद लाठीचार्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद 1940 में एक अंग्रेजी शासक ने उन्हें जेल में जहर देकर उनकी हत्या कर दी थी.
बनकर तैयार है आदिवासी संग्रहालय
जनजातीय कार्य विभाग के सहायक आयुक्त सत्येंद्र सिंह मरकाम ने बताया, ''श्री बादलभोई राज्य आदिवासी संग्रहालय का जीर्णोद्धार किया गया है, जो बनकर तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इसके लोकार्पण की तैयारी की जा रही है. 15 नवंबर की संभावित तिथि है. कौन-कौन मुख्य अतिथि होंगे, इसकी जानकारी नहीं है.''