पटना: केंद्र एवं राज्य सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के तहत विभिन्न सरकारी अस्पतालों में कुपोषित बच्चों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गई थी. ऐसे में बुधवार को पटना से सटे मसौढ़ी अनुमंडल रेफरल अस्पताल में यूनिसेफ की टीम निरीक्षण करने पहुंची. जहां टीम ने निरीक्षण करते हुए साफ सफाई, शुद्ध पेयजल, भोजन और बच्चों की संख्या बढ़ने पर जोर दिया.
पोषण पुनर्वास केंद्र का निरीक्षण किया: मिली जानकारी के अनुसार, बुधवार को यूनिसेफ टीम में शामिल डॉ राघवेंद्र ने पोषण पुनर्वास केंद्र का निरीक्षण किया. जहां उन्होंने एनआरसी में अतिकुपोषित बच्चे और उनके माताओं सहित शुद्ध पेयजल की आपूर्ति, पानी की शुद्धता, परिसर में साफ-सफाई और स्वच्छता का जायजा लिया. इसके अलावा कुपोषित बच्चों को मिलने वाले डायट मेनू के अलावा बच्चों के माताओं से मिलने वाले भोजन के बारे में जानकारी ली.
केंद्र में बच्चों की संख्या बढ़ाए: वहीं, डॉ राघवेंद्र ने अस्पताल प्रबंधन को पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चों की संख्या बढ़ने पर जोर देने की बात कही. साथ ही कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अपने अतिकुपोषित बच्चों को पोषित कराने आती है, इसलिए उनके हर सुविधाओं का ख्याल गंभीरतापूर्वक रखे. इस दौरान मौके पर यूनिसेफ टीम में डॉक्टर राघवेंद्र, डॉ फयाद, के साथ-साथ अस्पताल प्रभारी डॉक्टर संजीता रानी, प्रबंधक चंद्रशेखर आजाद, अकाउंटेंट अरविंद चौहान, एफडी मधु कुमारी आदि शामिल रहे.
स्वच्छता को बढ़ाना मुख्य उद्देश्य: वहीं, डॉ फयाद ने कहा कि वॉश कार्यक्रमों का मुख्य उद्देश्य स्वच्छता को बढ़ावा देकर मल- मौखिक रोग और रोग वाहक संक्रमण के प्रसार को कम करना है. क्योंकि स्थानीय स्तर पर शुद्ध पेयजल और सफाई को लेकर पूरी तरह से ध्यान दिया जाता है. हालांकि भर्ती के समय नवजात शिशुओं का जन्म के साथ वजन, लंबाई व ऊंचाई के आधार पर उनके पोषण स्थिति की पहचान की जाती है. कुपोषित बच्चों की समय से पहचान कर उनका इलाज दो स्तर पर किया जाता है. उसके बाद उसको पोषित कर घर वापस भेजा जाता है.
"कुपोषण दूर भगाने के लिए सरकार ने जिला स्तर पर अनुमंडल स्तर पर पोषण पुनर्वास केंद्र स्थापित किया है, जिसका उद्देश्य बच्चों को पोषित करना है. ऐसे में अनुमंडल अस्पताल मसौढ़ी में निरीक्षण किया गया है, जहां पर साफ सफाई, भोजन, शुद्ध पेयजल की जांच की गई. बच्चों को मिलने वाले भोजन का निरीक्षण किया गया. वहीं उपस्थित बच्चों की काफी कम रही संख्या को बढ़ाने पर जोर दिया गया है." - डॉ राघवेंद्र, यूनिसेफ टीम
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