शिमला: हिमाचल भाजपा के सीनियर लीडर और अपने तीखे तेवरों के लिए चर्चित विधायक सतपाल सिंह सत्ती जब भी सदन में बोलते हैं तो सत्ता पक्ष भी उन्हें गौर से सुनता है. सतपाल सिंह सत्ती चुटीले अंदाज में गंभीर बातें कह जाते हैं. इस बार भी हिमाचल विधानसभा के मानसून सेशन के अंतिम दिन सत्ती ने वित्तीय स्थिति पर चर्चा के दौरान सभी का खूब ध्यान बटोरा. सत्ती ने एक मामले के संदर्भ में कहा कि एक ठेकेदार के काम से वे इतने प्रभावित थे कि उनका दिल किया कि उसे ईएनसी यानी इंजीनियर-इन-चीफ बना दूं. दरअसल, लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों ने एक पुल का एस्टीमेट 2.26 करोड़ बताया और ठेकेदार ने उसे 1.26 करोड़ में बना दिया था. वो ठेकेदार अंडर मैट्रिक था. सुरजीत सिंह नामक उस कम पढ़े-लिखे ठेकेदार का अनुभव ईएनसी से अधिक था.
भ्रष्टाचार को लेकर व्यवस्था पर किए प्रहार
सतपाल सिंह सत्ती भ्रष्टाचार को लेकर बोल रहे थे. सत्ती ने उदाहरण दिया कि जब वे पहली बार विधायक बने थे तो विधायक प्राथमिकता निधि 3 करोड़ रुपए हुआ करती थी. मेरे विधानसभा क्षेत्र में बहुत कम पुल थे. उस समय मैंने प्राथमिकता में जो पहला पुल डाला था, उसकी डीपीआर 2.26 करोड़ रुपए की बनी थी. वह पुल 2003 में प्राथमिकता में डाला था और 2006 तक उसकी डीपीआर विभिन्न कार्यालयों में घूमती रही. वर्ष 2007 में नाबार्ड ने उस डीपीआर को मंजूर किया. उस पुल के काम के लिए सभी ठेकेदारों को पूल (पूल प्रणाली) नहीं बन पाया. सभी जानते हैं कि ठेकेदारों का पूल सिस्टम कैसा होता है. खैर, ठेकेदारों की आपस में लड़ाई हो गई. उस समय एक ठेकेदार ने कहा कि इस कार्य का मैं 2.26 करोड़ नहीं लूंगा और इसे 1.26 करोड़ रुपए में बना दूंगा. उस क्लास वन ठेकेदार ने पुल को 1.26 करोड़ रुपए में बना भी दिया. पुराना ठेकेदार था और कम पढ़ा-लिखा था.
2.26 करोड़ का पुल 1.26 करोड़ में बनाया
सत्ती ने आगे कहा-मैंने विभाग के साथ मीटिंग की और बोला कि आप सभी अफसरों ने सर्वेयर से लेकर चीफ इंजीनियर ने और नाबार्ड के पढ़े-लिखे लोगों ने कहा कि 2.26 करोड़ में पुल बनेगा. आईआईटी, इंजीनियरिंग कॉलेज में अफसर पढ़े हैं और कम पढ़े-लिखे ठेकेदार ने 1.26 करोड़ में पुल बना दिया. मैंने उनसे पूछा कि तुम पढ़े लिखे इंजीनियर हो या फिर ये सुरजीत सिंह ठेकेदार इंजीनियर है. आप ठीक से डीपीआर बनाते तो ठेकेदार के हिसाब से 3 करोड़ में तीन पुल बन जाते. अब नाबार्ड को 2.26 करोड़ में से एक करोड़ वापिस जा रहा है. उस समय किसी अफसर के पास कोई जवाब नहीं था. सत्ती ने कहा कि यही वो भ्रष्टाचार है, जिसके कारण सत्यानाश हो रहा है.
सत्ती ने कहा कि आज भी कोई व्यक्ति बारशाड़ पुल का रिकॉर्ड निकाल कर देख सकता है कि डीपीआर कितने की बनी थी, कितना पैसा मंजूर हुआ और ठेकेदार ने उसे कितने में बनाया. सत्ती ने कहा, "मेरा मन करता था कि ठेकेदार को लेकर शिमला जाऊं और ईएनसी को हटाकर ठेकेदार के गले में हार डालूं और कहूं कि आज से मेरा ईएनसी सुरजीत सिंह है. मैं उस ईएनसी से पूछता कि तुम किस बात का वेतन लेते हो? हो सकता है कोई कोर्ट चला जाए तो मैं अदालत में कहूंगा कि जज साहिब, मुझे बताएं कि चीफ इंजीनियर उक्त ठेकेदार को होना चाहिए या फिर इस अफसर को?" कुल मिलाकर सतपाल सिंह सत्ती व्यवस्था के भीतर की बातों को सामने लाना चाहते थे.
इन मुद्दों पर भी किया सदन का ध्यान आकर्षित
सत्ती ने वित्तीय स्थिति पर चर्चा के दौरान बिना वजह रेस्ट हाउस बनाने पर भी सवाल उठाए. साथ ही बिना उपयोग के सरकारी इमारतों के निर्माण पर भी ध्यान दिलाया. सत्ती ने अवैध खनन की समस्या पर भी सत्ता पक्ष का ध्यान खींचा और साथ ही चिट्टे के कारण समाज में युवा वर्ग पर हो रहे प्रभाव पर चिंता जताई. सत्ती ने ऊना जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भी सदन का ध्यान आकर्षित किया. सत्ती की चिट्टे से जुड़ी चिंता पर डिप्टी सीएम व सीएम ने भी भरोसा दिलाया कि सरकार नशे के खिलाफ सख्ती से लड़ रही है.