उमरिया: बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 11 हाथियों की मौत और फिर हाथियों के हमले की घटना के बाद रिजर्व प्रबंधन काफी सतर्कता बरत रहा है. हाथियों की निगरानी के लिए कुछ दिन पहले एक हाथी को कॉलर आईडी लगाकर छोड़ा गया था, जिससे किसी प्रकार की परेशानी होने रिजर्व प्रबंधन सतर्क हो सकी. वहीं, अब 9 दिसंबर को दूसरे हाथी को भी रेडियो कॉलर आईडी लगाकर जंगल में छोड़ा गया है.
हाथी के हर मूवमेंट पर होगी नजर
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा ने बताया, " विशेष सावधानी के साथ हाथी को रेडियो कॉलर आईडी लगाई गई. पहले इसे लकड़ी के एक बाड़े में कैद किया गया. फिर ट्रेंकुलाइज करके महावत के माध्यम से इसे रेडियो कॉलर आईडी पहनाई गई. इसके बाद हाथी को बाड़े से ताला परिक्षेत्र अंतर्गत कोर एरिया में छोड़ दिया गया है. अब लगातार उसके हर एक मूवमेंट पर नजर रखी जाएगी."
पीके वर्मा ने बताया, "इसके रेस्क्यू के समय बेड़िया लगाई गई गई थी. जिससे पैरों में घाव थे. जिसको दवा स्प्रे आदि से ठीक कर दिया गया है. हाथी को वाइल्ड ही रहने दिया गया है, ह्यूमन टच बिल्कुल नहीं दिया गया है. इसे एक ही आदमी खाना देता था और सब कुछ दूर से करता था. ताकि वह अपनी वाइल्ड लाइफ वाली जिंदगी फिर से जी सके."
3 लोगों को इसी हाथी ने कुचला
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक ने आगे बताया, " इसकी उम्र करीब 10 साल है. ये वही हाथी है, जो हाथियों के झुंड से बिछड़ कर चंदिया क्षेत्र में चला गया था. जहां 2 नवंबर को देवरा और चंदिया क्षेत्र में 3 लोगों को कुचल दिया था. इसमें 2 लोगों की मौत हो गई थी. इससे पहले 20 नवंबर को एक हाथी को कॉलर आईडी लगाकर छोड़ा गया था. वह अब पूरी तरह वाइल्ड लाइफ जी रहा है."
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रेडियो कॉलर आईडी के क्या फायदे?
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उप संचालक पीके वर्मा बताते हैं, '' रेडियो कॉलर आईडी के माध्यम से हाथी की निगरानी करने में मदद मिलेगी. ये हाथी किधर जा रहा है, यह पता रहेगा. अगर ये किसी गांव के आसपास जाता है, तो गांव वालों को पहले से ही सतर्क किया जा सकता है, जिससे वे अलर्ट रहेंगे. उन्हें सावधान भी किया जा सकता है कि वे जंगल की ओर न जाएं, बाहर न निकलें, क्योंकि वहां हाथी का मूवमेंट है. हाथी की लोकेशन भी मिल जाया करेगी और इससे अध्ययन करने में भी आसानी होगी. यदि हाथी को किसी तरह की दिक्कत होती है तो उसकी भी जानकारी मिलती रहेगी.''