उमरिया: जिले का बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पिछले कुछ दिनों से एक फंदे वाला बाघ को लेकर सुर्खियां बनी हुई थी, क्योंकि ऐसी खबर थी कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक बाघ के गले में फंदा लगा हुआ है. जिसकी तलाश में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के आला अधिकारी पिछले कई दिनों से जुटे हुए थे. काफी मशक्कत के बाद शुक्रवार को सफलता मिली, जब बाघ का सफल रेस्क्यू किया गया.
आखिर पकड़ में आ ही गया छोटा भीम
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में पिछले 4 दिन से एक फंदे लगे बाघ की तलाश में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व का प्रबंधन जुटा हुआ था. जिसमें पांच हाथी और 80 से ज्यादा कर्मचारियों को लगाया गया था. चार दिन से पूरे जंगल की खाक छाने जा रहे थे. आखिर में पांचवें दिन इसमें सफलता मिली, जब इस फंदे लगे टाइगर को जिसका नाम छोटा भीम है, उसका सफल रेस्क्यू किया गया. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अधिकारियों ने बताया कि 'बाघ पूरी तरह से स्वस्थ है. गले में जो फंदा लगा था. उसे काट दिया गया है. अभी निगरानी के लिए उसे बाहर एंक्लोजर में रखा जाएगा.
बाघ के रेस्क्यू के बाद सबसे पहले बाघ के गले में फंसे तार के फंदे को काटकर बाघ के गले से अलग किया गया. इसके बाद बाघ के घाव का प्राथमिक उपचार कर बाघ को पिंजरे में सुरक्षित बंद किया गया है.
जब पर्यटकों को दिखा फंदा लगा बाघ
दरअसल, सोमवार को पर्यटकों ने एक वीडियो वायरल किया था. जिसमें एक बाघ के गले में फंदा लगा हुआ था. इस बात की सूचना बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के प्रबंधन को भी दी गई थी. जिसके बाद से ही टाइगर रिजर्व का प्रबंधन अपनी पूरी ताकत के साथ इस बाघ की तलाश में जुट गया था. हर दिन उस बाघ के घूमने वाले क्षेत्र में उसकी तलाश कर रहा था, लेकिन बाघ पकड़ में नहीं आ रहा था. जिस बाघ के गले में फंदा लगा था, वो छोटा भीम के नाम से फेमस है. उसका एरिया खेतौली जोन है, जहां अक्सर ही वो पर्यटकों को नजर आता है. 4 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद भी प्रबंधन को कोई सफलता हाथ नहीं लगी थी, लेकिन पांचवें दिन प्रबंधन को सफलता हाथ मिली. पांच हाथी और 80 से ज्यादा कर्मचारियों की मदद से उसे पकड़ा गया.
कड़ी मशक्कत के बाद पकड़ा गया बाघ
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा ने बताया कि शुरुआत में दो हाथी और लगभग 50 कर्मचारियों के साथ इस फंदे वाले बाघ की तलाश की जा रही थी, लेकिन जब देखा गया की ये बाघ आसानी से हाथ नहीं लगने वाला है, तो फिर चार हाथी और लगभग 80 कर्मचारियों के साथ इसकी तलाश शुरू की गई, तब भी जब सफलता नहीं मिली तो एक और हाथी बुलाया गया और पांच हाथी और 80 से ज्यादा अधिकारी कर्मचारियों के साथ उस फंदे वाले बाघ की ट्रैकिंग की जा रही थी, जिसमें 10 ट्रैप कैमरे भी लगाए गए थे.
साथ में एक पिंजरे में बकरे को भी बंद कर रखा गया था. जिससे शिकार के लालच में वो बाघ पिंजरे की ओर आ जाए और आखिर में बाघ का रेस्क्यू करने में सफलता मिली. अब बाघ खतरे से बाहर है, फंदा काट दिया गया है. निगरानी के लिए अभी रखा गया है.
इलाज के लिए भोपाल जाएगा छोटा भीम
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा ने बताया कि "स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ जबलपुर के पशु एवं वन्य जीव विशेषज्ञों के परामर्श के बाद उस बाघ को आगामी उपचार के लिए वन विहार भोपाल भेजा जाएगा. जहां उसका उचित इलाज किया जाएगा. छोटा भीम की उम्र लगभग 7 से 8 वर्ष बताई जा रही है और इसका सफल रेस्क्यू कर लिया गया है."