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उज्जैन नगर निगम की सिटी बस सर्विस सालों से बंद, बसों के सारे कल-पुर्जे चोरी

उज्जैन में सिटी बस सर्विस नहीं होने से लोग परेशान हैं. वहीं, नगर निगम की 89 सिटी बसें कबाड़ बन गई हैं.

Ujjain city buses become junk
उज्जैन नगर निगम की 89 बसें कबाड़ में तब्दील (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

उज्जैन : साल 2009 से लेकर 2013 तक उज्जैन की सड़कों पर दौड़ने वाली नगर निगम की 89 बसें कबाड़ में तब्दील हो चुकी हैं. सवाल ये उठता है शहरवासियों के लिए आवागमन के लिए मुख्य साधन रही इन बसों को किसकी नजर लग गई. बता दें कि उज्जैन नगर निगम के रिकॉर्ड के अनुसार 39 सीएनजी और 50 डीजल बसें जवाहरलाल नेहरू शहरी मिशन के तहत मिली थीं. इन बसों के चलने से शहरवासियों को बड़ी राहत मिली थी. लेकिन देखरेख की कमी और लापरवाही के कारण ये बसें अब कबाड़ बन गई हैं.

नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष ने लगाए गंभीर आरोप

इन बसों के नाम पर हर महीने आरटीओ टैक्स भी निगम को भरना पड़ रहा है. कबाड़नुमा इन बसों के पहिये, इंजन, बैटरी और कांच तक गायब हो गए हैं. नगर निगम में विपक्षी दल कांग्रेस ने नगर निगम की सिटी ट्रांसपोर्ट कंपनी के अध्यक्ष महापौर पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं. नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रवि राय का कहना है "शहर की जनता की सुविधा के लिए लाई गई ये बसें आज घोटाले और लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बन चुकी हैं. सवाल है कि जिम्मेदारी कौन लेगा और कब दोषियों पर कार्रवाई होगी?"

उज्जैन में सिटी बस सेवा बंद होने पर कांग्रेस के सवाल (ETV BHARAT)
Ujjain city buses become junk
उज्जैन नगर निगम की बसें कबाड़ बनी (ETV BHARAT)
Ujjain city buses become junk
उज्जैन सिटी बसों के पुर्जे तक चोरी (ETV BHARAT)

महापौर बोले- बसों को फिर से सड़कों पर उतारेंगे

कांग्रस नेता रवि राय का कहना है "इन बसों को ठेकेदार को 80 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिया गया था. वहीं, अन्य ठेकेदारों ने 400 रुपये प्रतिदिन के टेंडर भरे थे. साफ है कि अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से यह घोटाला हुआ. इससे नगर निगम को लाखों का नुकसान हुआ है. ये बसें डेढ़ साल तक बिना बीमा के चलाई गईं. उज्जैन से ओंकारेश्वर और अन्य रूट्स पर यात्रियों की जान जोखिम में डालकर बसें संचालित की गईं." वहीं, महापौर मुकेश टटवाल का कहना है "बसों को फिर से शहर की सड़कों पर उतारने की योजना बनाई जा रही है."

उज्जैन : साल 2009 से लेकर 2013 तक उज्जैन की सड़कों पर दौड़ने वाली नगर निगम की 89 बसें कबाड़ में तब्दील हो चुकी हैं. सवाल ये उठता है शहरवासियों के लिए आवागमन के लिए मुख्य साधन रही इन बसों को किसकी नजर लग गई. बता दें कि उज्जैन नगर निगम के रिकॉर्ड के अनुसार 39 सीएनजी और 50 डीजल बसें जवाहरलाल नेहरू शहरी मिशन के तहत मिली थीं. इन बसों के चलने से शहरवासियों को बड़ी राहत मिली थी. लेकिन देखरेख की कमी और लापरवाही के कारण ये बसें अब कबाड़ बन गई हैं.

नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष ने लगाए गंभीर आरोप

इन बसों के नाम पर हर महीने आरटीओ टैक्स भी निगम को भरना पड़ रहा है. कबाड़नुमा इन बसों के पहिये, इंजन, बैटरी और कांच तक गायब हो गए हैं. नगर निगम में विपक्षी दल कांग्रेस ने नगर निगम की सिटी ट्रांसपोर्ट कंपनी के अध्यक्ष महापौर पर लापरवाही के आरोप लगाए हैं. नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष रवि राय का कहना है "शहर की जनता की सुविधा के लिए लाई गई ये बसें आज घोटाले और लापरवाही का जीता-जागता उदाहरण बन चुकी हैं. सवाल है कि जिम्मेदारी कौन लेगा और कब दोषियों पर कार्रवाई होगी?"

उज्जैन में सिटी बस सेवा बंद होने पर कांग्रेस के सवाल (ETV BHARAT)
Ujjain city buses become junk
उज्जैन नगर निगम की बसें कबाड़ बनी (ETV BHARAT)
Ujjain city buses become junk
उज्जैन सिटी बसों के पुर्जे तक चोरी (ETV BHARAT)

महापौर बोले- बसों को फिर से सड़कों पर उतारेंगे

कांग्रस नेता रवि राय का कहना है "इन बसों को ठेकेदार को 80 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से दिया गया था. वहीं, अन्य ठेकेदारों ने 400 रुपये प्रतिदिन के टेंडर भरे थे. साफ है कि अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से यह घोटाला हुआ. इससे नगर निगम को लाखों का नुकसान हुआ है. ये बसें डेढ़ साल तक बिना बीमा के चलाई गईं. उज्जैन से ओंकारेश्वर और अन्य रूट्स पर यात्रियों की जान जोखिम में डालकर बसें संचालित की गईं." वहीं, महापौर मुकेश टटवाल का कहना है "बसों को फिर से शहर की सड़कों पर उतारने की योजना बनाई जा रही है."

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