भोपाल/उज्जैन। महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन जाने वाले दर्शनार्थियों के लिए जल्द ही रोपवे की सुविधा मिलने वाली है. जिससे वाे सीधे उज्जैन रेलवे स्टेशन से महाकाल के द्वार तक पहुंच सकेंगे. बुधवार को केन्द्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और एमपी सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह की नई दिल्ली में हुई बैठक में इस प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई. जानकारी के अनुसार रोपवे का पहला बोर्डिंग स्टेशन रेलवे स्टेशन के पास माल गोदाम की तरफ बनेगा. दूसरा स्टेशन त्रिवेणी संग्रहालय के सामने पार्किंग स्थल और तीसरा स्टेशन महाकालेश्वर मंदिर के पास गणेश कालोनी से लिंक होगा.
आधे घंटे की दूरी अब मात्र 7 मिनट में
इस परियोजना में मोनोकेबल डिटेचेबल गोंडोला तकनीक का उपयोग किया जाएगा. रोपवे रूट की कुल दूरी 1.762 किलोमीटर होगी. प्रतिदिन 48 हजार यात्री इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं. यह रोपवे प्रतिघंटा 2 हजार यात्रियों को ले जा सकेगा. वहीं रोपवे के कारण रेलवे स्टेशन से महाकाल मंदिर तक जाने के लिए लगने वाले समय भी कम हो जाएगा. फिलहाल करीब पौने दो किलोमीटर की यह दूरी तय करने के लिए 25 से 30 मिनट का समय लगता है. लेकिन राेपवे शुरू होने के बाद बिना ट्रैफिक के यह दूरी मात्र 7 मिनट में पूरी की जा सकेगी.
एमपीआरडीसी के साथ निर्माण कंपनी का हुआ करार
उज्जैन में पर्वत माला परियोजना के तहत रोपवे ट्रांसपोर्ट के लिए नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट कंपनी और मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम के बीच समझौता हो गया है. इस दौरान नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट कंपनी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी प्रकाश गौड़ और मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम के प्रबंध संचालक अविनाश लवानिया ने समझौते पर हस्ताक्षर किए. रोपवे के तय मार्ग में तीन स्टेशन और 13 टावर बनाए जाएंगे.
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एमपी में संचालित कार्यों को लेकर समीक्षा
केंद्रीय सड़क मंत्री नितिन गड़करी ने मध्य प्रदेश की निर्माणाधीन राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की समीक्षा की. समीक्षा बैठक में लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह भी मौजूद रहे. इस दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के एमपी में 18 हजार करोड़ की लागत के 28 प्रोजेक्ट्स के बारे में समीक्षा की गई. इसके साथ ही लोक निर्माण विभाग के 4 हजार करोड़ रूपये के 10 प्रोजेक्ट्स की भी समीक्षा हुई. इस बैठक में परियोजनाओं की प्रगति, निर्माण कार्यों में आने वाली बाधाएं, विलंब, भूमि अधिग्रहण और वन अनुमतियों जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ. गडकरी ने परियोजनाओं में निर्माण के दौरान होने वाले परिवर्तनों के लिए डीपीआर कंसल्टेंट्स की जिम्मेदारी तय करने के दिए निर्देश भी दिए. प्रदेश को रोड साइड ट्री-प्लांटेशन पॉलिसी तैयार करने का सुझाव दिया.