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सावन में तीसरी बार प्रजा का हाल जानने निकले महाकाल, 1500 डमरू से किया गया स्वागत - Ujjain Mahakal 3rd Sawari

सावन के तीसरे सोमवार को महाकाल की सवारी निकाली गई. यह इस सावन तीसरी सवारी थी. सवारी में विभिन्न कलाकारों ने एक साथ 1500 डमरू बजाया. यह डमरू वादन विश्व रिकॉर्ड भी बन गया.

SAWAN SOMWAR MAHAKAL SAWARI
तीसरे सोमवार को निकली महाकाल की सवारी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 5, 2024, 10:51 PM IST

उज्जैन: सावन के तीसरे सोमवार को महाकालेश्वर भगवान की सवारी, अपनी प्रजा का हाल चाल जानने के लिए निकली. गरूड़ रथ पर सवार होकर महाकाल चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, तो हाथी पर मनमहेश के रूप में विराजित हुए. डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के पूजन के बाद शाही सवारी को रवाना किया गया. महाकाल की सवारी में आदिवासी संस्कृति और कला का शानदार नमूना भी देखने को मिला. 1500 डमरू के धुन से पूरा महाकाल लोक गूंज उठा.

महाकाल की तीसरी सवारी (ETV Bharat)

गरूड़ रथ पर सवार होकर निकले महाकाल

भगवान महाकाल की सवारी निकलने से पहले श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन किया गया. मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और नागरिक आपूर्ति और खाद्य उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने महाकाल की पूजा की. इसके बाद महाकालेश्वर शाही सवारी से अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए निकले. गरूड़ रथ पर सवार होकर महाकाल चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, तो हाथी पर मनमहेश के रूप में विराजित हुए. मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा सलामी दी गई.

एक साथ 1500 डमरू बजाए गए

भोपाल के संस्कृति विभाग और स्थानीय भजन मंडली के सदस्यों के द्वारा एक साथ 1500 डमरू का वादन किया गया. एक साथ इतने डमरूओं की धुन से पुरा महाकाल लोक गुंज उठा. सवारी में साथ चल रहे महाकाल के भक्त मंत्रमुग्ध हो गए. इसी के साथ उज्जैन के नाम एक साथ सबसे अधिक डमरू बजाने का विश्व रिकॉर्ड भी दर्ज हो गया.

1500 डमरू वादक 5 अगस्त को बनाएंगे वर्ल्ड रिकॉर्ड, महाकाल लोक में बजेगा नॉनस्टॉप डमरू

बाबा महाकाल की नगरी में डमरू उत्सव, 1500 लोग एक साथ बजा रहे डमरू, बनेगा वर्ल्ड रिकॉर्ड

क्षिप्रा नदी में की गई पूजा-अर्चना

सवारी अपने परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंची. जहां क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया गया. इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यीनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आ गई

उज्जैन: सावन के तीसरे सोमवार को महाकालेश्वर भगवान की सवारी, अपनी प्रजा का हाल चाल जानने के लिए निकली. गरूड़ रथ पर सवार होकर महाकाल चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, तो हाथी पर मनमहेश के रूप में विराजित हुए. डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा और मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के पूजन के बाद शाही सवारी को रवाना किया गया. महाकाल की सवारी में आदिवासी संस्कृति और कला का शानदार नमूना भी देखने को मिला. 1500 डमरू के धुन से पूरा महाकाल लोक गूंज उठा.

महाकाल की तीसरी सवारी (ETV Bharat)

गरूड़ रथ पर सवार होकर निकले महाकाल

भगवान महाकाल की सवारी निकलने से पहले श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चन्द्रमोलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन किया गया. मध्य प्रदेश के उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और नागरिक आपूर्ति और खाद्य उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने महाकाल की पूजा की. इसके बाद महाकालेश्वर शाही सवारी से अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए निकले. गरूड़ रथ पर सवार होकर महाकाल चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर, तो हाथी पर मनमहेश के रूप में विराजित हुए. मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा सलामी दी गई.

एक साथ 1500 डमरू बजाए गए

भोपाल के संस्कृति विभाग और स्थानीय भजन मंडली के सदस्यों के द्वारा एक साथ 1500 डमरू का वादन किया गया. एक साथ इतने डमरूओं की धुन से पुरा महाकाल लोक गुंज उठा. सवारी में साथ चल रहे महाकाल के भक्त मंत्रमुग्ध हो गए. इसी के साथ उज्जैन के नाम एक साथ सबसे अधिक डमरू बजाने का विश्व रिकॉर्ड भी दर्ज हो गया.

1500 डमरू वादक 5 अगस्त को बनाएंगे वर्ल्ड रिकॉर्ड, महाकाल लोक में बजेगा नॉनस्टॉप डमरू

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क्षिप्रा नदी में की गई पूजा-अर्चना

सवारी अपने परंपरागत मार्ग महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाडी से होती हुई रामघाट पहुंची. जहां क्षिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया गया. इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ की धर्मशाला, कार्तिक चौक खाती का मंदिर, सत्यीनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आ गई

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