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उज्जैन में फूटी दूध की धारा, 2100 लीटर दूध से मां गज लक्ष्मी का अभिषेक, उमड़ा सैलाब - Ujjain Abhishek Of Maa Gaj Lakshmi

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

उज्जैन के गज लक्ष्मी मंदिर में धूमधाम से हाथी अष्टमी पर्व मनाया गया. ये पर्व श्राद्ध पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. इस अवसर पर गज लक्ष्मी मंदिर में मां लक्ष्मी का 2100 लीटर दूध से अभिषेक किया गया. इस दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा.

UJJAIN ABHISHEK OF MAA GAJ LAKSHMI
2100 लीटर दूध से मां गज लक्ष्मी का किया गया अभिषेक (ETV Bharat)

उज्जैन: शहर के बीच नई पेठ में स्थित प्राचीन गज लक्ष्मी मंदिर में श्राद्धा पक्ष की अष्टमी तिथि पर विशेष पूजा का आयोजन किया गया है. इस अष्टमी को हाथी अष्टमी के नाम से जाना जाता है. मंगलवार को माता गज लक्ष्मी का 2100 लीटर दूध से अभिषेक किया गया, जो यहां की सदियों पुरानी परंपरा है. अभिषेक की प्रक्रिया दोपहर तक चलती रही. वहीं महिला और युवतियों ने सुख समृद्धि की कामना करते हुए मंदिर में पूजा अर्चना की. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर पहुंचकर अभिषेक में शामिल हुए.

मां लक्ष्मी का किया गया श्रृंगार

पुजारी अवधेश शर्मा ने बताया कि गज लक्ष्मी मंदिर में मां लक्ष्मी का अभिषेक संपन्न हुआ. वहीं बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपने हाथों से देवी को दूध अर्पित किया. इस दौरान श्रद्धालुओं ने गहरी आस्था और उत्साह दिखाई दिया. मंदिर में दोपहर तक चले दूध अभिषेक के बाद मां लक्ष्मी का विशेष श्रृंगार किया गया. इसके बाद दोपहर 12 बजे महाआरती हुई. जिसमें श्रद्धालु भक्ति भाव में डूबे नजर आए. रात में खीर प्रसादी का वितरण किया गया था. जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया था.

धूमधाम से मनाया गया हाथी अष्टमी पर्व (ETV Bharat)

हाथी अष्टमी का महत्व

हाथी अष्टमी पर मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. इस दिन का धार्मिक महत्व भी विशेष है, क्योंकि यह 16 दिनों के श्राद्ध व्रत का अंतिम दिन होता है, जो राधा अष्टमी से शुरू होकर हाथी अष्टमी पर समाप्त होता है. महिलाएं इस दिन मिट्टी के हाथी की पूजा करती हैं और मां लक्ष्मी का आह्वान करती हैं.

Haathi Ashtami 2024
मां गज लक्ष्मी का किया गया श्रृंगार (ETV Bharat)

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मंदिर की ऐतिहासिक महत्व

गज लक्ष्मी मंदिर की प्रतिमा करीब 2000 साल पुरानी है. ये प्रतिमा स्फटिक पत्थर से बनी है. वहीं मंदिर में मां लक्ष्मी ऐरावत हाथी पर सवार होकर पद्मासन मुद्रा में विराजमान हैं. इस प्रतिमा को सम्राट विक्रमादित्य के समय की माना जाता है. इसके अलावा मंदिर में विष्णु के दशावतार की दुर्लभ प्रतिमाएं भी स्थित हैं, जो काले पाषाण पर निर्मित हैं.

उज्जैन: शहर के बीच नई पेठ में स्थित प्राचीन गज लक्ष्मी मंदिर में श्राद्धा पक्ष की अष्टमी तिथि पर विशेष पूजा का आयोजन किया गया है. इस अष्टमी को हाथी अष्टमी के नाम से जाना जाता है. मंगलवार को माता गज लक्ष्मी का 2100 लीटर दूध से अभिषेक किया गया, जो यहां की सदियों पुरानी परंपरा है. अभिषेक की प्रक्रिया दोपहर तक चलती रही. वहीं महिला और युवतियों ने सुख समृद्धि की कामना करते हुए मंदिर में पूजा अर्चना की. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने मंदिर पहुंचकर अभिषेक में शामिल हुए.

मां लक्ष्मी का किया गया श्रृंगार

पुजारी अवधेश शर्मा ने बताया कि गज लक्ष्मी मंदिर में मां लक्ष्मी का अभिषेक संपन्न हुआ. वहीं बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने अपने हाथों से देवी को दूध अर्पित किया. इस दौरान श्रद्धालुओं ने गहरी आस्था और उत्साह दिखाई दिया. मंदिर में दोपहर तक चले दूध अभिषेक के बाद मां लक्ष्मी का विशेष श्रृंगार किया गया. इसके बाद दोपहर 12 बजे महाआरती हुई. जिसमें श्रद्धालु भक्ति भाव में डूबे नजर आए. रात में खीर प्रसादी का वितरण किया गया था. जिसमें बड़ी संख्या में भक्तों ने भाग लिया था.

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हाथी अष्टमी का महत्व

हाथी अष्टमी पर मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है. मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. इस दिन का धार्मिक महत्व भी विशेष है, क्योंकि यह 16 दिनों के श्राद्ध व्रत का अंतिम दिन होता है, जो राधा अष्टमी से शुरू होकर हाथी अष्टमी पर समाप्त होता है. महिलाएं इस दिन मिट्टी के हाथी की पूजा करती हैं और मां लक्ष्मी का आह्वान करती हैं.

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मंदिर की ऐतिहासिक महत्व

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