जयपुर: 'बिल्ड इंडिया थ्रू इंटरप्राइज' मुहिम के तहत देश की आर्थिक राजधानी मुंबई से शुरू हुई जागृति यात्रा शुक्रवार को गुलाबी नगरी जयपुर पहुंची. यहां युवा उद्यमियों ने सफलता के सूत्र सीखे और यह जाना कि कारोबार के जरिए कैसे सोशल ट्रांसफॉर्मेशन किया जा सकता है. यह यात्रा मुंबई से शुरू हुई और इसके बाद करीब दस बड़े औद्योगिक शहरों को कवर करते हुए जयपुर पहुंची है. यहां जयपुर रग्स के संस्थापक एनके चौधरी ने युवा उद्यमियों से संवाद किया.
यात्रा के सीईओ आशुतोष कुमार ने बताया कि बिल्ड इंडिया थ्रू इंटरप्राइज मुहिम के तहत यह जागृति यात्रा लगातार 16 साल से निकाली जा रही है, जिसका मकसद युवाओं को उद्यमशीलता की बारीकियों से अवगत करवाना है. उन्होंने बताया कि इस बार यह यात्रा मुंबई से शुरू हुई. इसके बाद हुबली, बेंगलुरु, मदुरै, चेन्नई, विशाखापत्तनम, बहरामपुर, नालंदा, देवरिया और दिल्ली होते हुए जयपुर पहुंची है. यात्रा के दौरान युवा संबंधित शहर के एक कारोबारी या सामाजिक प्रतिष्ठान की विजिट करते हैं और उनके प्रमोटर से सफलता के सूत्र जानते हैं.
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विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हासिल की सफलता: उन्होंने बताया कि गुलाबी नगरी जयपुर में जयपुर रग्स का चयन युवा उद्यमियों से संवाद के लिए किया गया है. इसके तीन कारण हैं. पहला यह एक प्रतिष्ठित कारोबारी घराना है. दूसरा संस्थापक ने बहुत विपरीत परिस्थिति में अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के दम पर सफलता हासिल की और तीसरी सबसे बड़ी बात कि इन्होंने कारोबार के जरिए सोशल ट्रांसफार्मेशन किया.
जानते हैं सफलता की कहानी, शेयर करते आइडिया: यात्रा के सीओओ चिन्मय कुमार ने बताया कि यात्रा के दौरान यात्री एक दूसरे से कनेक्ट रह कर सफलता की कहानी सुनते हैं और इनोवेटिव आइडिया शेयर करते हैं. विगत 16 साल से चल रही यात्रा में अब तक 8,500 से अधिक युवाओं ने भाग लिया है और इनमें से एक-तिहाई से अधिक आज स्थापित उद्यमी बन चुके हैं.
चौधरी बोले, श्रमिक ही संस्थान का आधार: जयपुर रग्स के संस्थापक एनके चौधरी ने युवाओं को सफलता के टिप्स बताते हुए कहा, जो भी काम करें. उसमें श्रमिक को कभी हीन नहीं समझना चाहिए, क्योंकि वह संस्थान का कार्य आधार होता है, इसलिए श्रम और श्रमिक को पूरी तरजीह दी जाए. साथ ही उनसे सीखने का अवसर नहीं चूकना चाहिए. वह ग्राउंड पर वर्क करता है, इसलिए बेहतर काम कैसे हो वह अधिक जानता है.
कर्मचारी-अधिकारी कोई छोटा-बड़ा नहीं: उन्होंने कहा, दूसरी महत्वपूर्ण बात यह कि कर्मचारी या अधिकारी में कोई छोटा बड़ा नहीं होता. सभी के साथ स्नेह, सम्मान और करुणा का बर्ताव रखना चाहिए. इससे संस्थान का अधिकारी-कर्मचारी मोटिवेट होता है और प्रोडक्टिविटी बेहतर होती है. प्रतिस्पर्धा के इस युग में उत्पादकता ही सफलता और लाभ का आधार है. एक यात्री शीतल कुमारी ने बताया कि मधुबनी का आर्टवर्क कारपेट पर कैसे क्रिएट किए जाते हैं, यहां आज जानने और सीखने का मौका मिला.
अनूठी है यह यात्रा: एक अन्य यात्री तेजस्विनी ने बताया कि यह जागृति यात्रा विश्वभर में एक्सक्लूसिव है. इस तरह की अवधारणा को देश के विश्वविद्यालय भी अपनाएं तो देश में उद्यमिता को बड़ा बढ़ावा मिल सकता है. इससे पहले जयपुर रग्स के निदेशक योगेश चौधरी ने यात्रियों का स्वागत किया. दोपहर यह यात्रा मानपुरा माचेड़ी गांव पहुंची. जहां आर्टिजंस की लाइफ ट्रांसफार्मेशन को देखा और समझा. यहां यात्रियों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया.