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'धूणी' को लेकर मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्यों में गहराया विवाद, जानिए उसका क्या है इतिहास - FORMER ROYAL FAMILY OF UDAIPUR

उदयपुर के पूर्व राजपरिवार में जिस धूणी के दर्शन को लेकर पिछले कुछ दिनों से विवाद चल रहा है. उसका इतिहास काफी पुराना है.

Former royal family of Udaipur
उदयपुर सिटी पैलेस (Photo ETV Bharat Udaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 26, 2024, 12:54 PM IST

Updated : Nov 26, 2024, 1:55 PM IST

उदयपुर: मेवाड़ पूर्व राजपरिवार के बीच चल रहा विवाद अब सड़कों पर आ गया है. पूर्व सांसद और मेवाड़ के पूर्व राज परिवार के सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ का चित्तौड़गढ़ के किले में राजतिलक किया गया, लेकिन राजतिलक के बाद वे परम्परानुसार उदयपुर किले में एतिहासिक धूणी के दर्शन नहीं कर पाए. विश्वराज सिंह मेवाड़ के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ ने सिटी पैलेस के दरवाजे बंद कर दिए. विवाद इतना बढ़ा कि वहां पथराव तक हो गया. ऐसे में विश्वराज सिंह को धूणी के दर्शन किए बिना ही लौटना पड़ा. अब इस इलाके को फिलहाल जिला प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया है.

'धूणी' को लेकर मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्यों में गहराया विवाद (Photo ETV Bhaskar)

मेवाड़ जन संस्थान के संयोजक प्रताप सिंह झाला 'तलावदा' ने बताया कि चित्तौड़गढ़ के किले में दो बार जौहर होने के कारण तत्कालीन महाराणा उदय सिंह ने सोचा कि अब यह राजधानी सुरक्षित नहीं है. इस पर उनके मन में विचार आया कि उनको मेवाड़ की नई राजधानी बनानी होगी, जो पर्वतों से घिरी हुई हो. ऐसे में वह सु​रक्षित स्थान का चयन करने के लिए लंबे समय से पहाड़ों में घूम रहे थे. इसी दौरान वर्तमान में जहां सिटी पैलेस हैं, वहां की पहाड़ियों उन्हें सही लगी. इस बीच उन्हें एक खरगोश पहाड़ियों पर चढ़ते हुए दिखाई दिया. उदय सिंह जब खरगोश का पीछा करते हुए पहाड़ी के ऊपर पहुंचे, वहां एक साधु तपस्या करते हुए नजर आए. उदय सिंह साधु के पास पहुंचे, तो साधु ने उदय सिंह से पूछा कि आप किस वजह से यहां आए हैं. उदय सिंह ने बताया कि वे नई राजधानी के लिए जगह तलाशने आए हैं.

पढ़ें: मेवाड़ रॉयल फैमिली का विवाद : विश्वराज सिंह नहीं कर पाए धूणी दर्शन, पढ़ें पूरा घटनाक्रम

मेवाड़ जन संस्थान के संयोजक झाला ने बताया कि वह साधु प्रयाग गिरि महाराज थे. उन्होंने उदय सिंह को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए आशीर्वाद दिया और बोले कि इस धूणी को बीच में लेकर राजमहलों का निर्माण शुरू करो. यहां से तुम्हारी सत्ता कायम रहेगी. इसके बाद महाराणा उदय सिंह ने 1553 ईस्वी में 15 अप्रैल अक्षय तृतीया के दिन इन राजमहलों की नींव रखी, जो आज सिटी पैलेस के नाम से जाना जाता है. सिटी पैलेस के बीच में आज भी वह धूणी कायम है.

बता दें कि यह धूणी वही है, जहां साधु प्रयागगिरि महाराज तपस्या कर रहे थे. उन्होंने बताया कि हजारों वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है कि कोई भी राजा राजतिलक होने के बाद सबसे पहले इसी धूणी के दर्शन करता है. उसके बाद वह भगवान एकलिंग नाथ के दर्शन के लिए पहुंचता है. धूणी दर्शन की परंपरा महाराणा प्रताप से शुरू होती है.

यह भी पढ़ें: विश्वराज सिंह का खून से हुआ राजतिलक, सिटी पैलेस में घुसने पर अड़े समर्थक, हुआ पथराव

महाराणा प्रताप के समय से शुरू हुई परंपरा: झाला ने बताया कि यह परंपरा महाराणा प्रताप के समय से शुरू हुई जो अब तक जारी है. उन्होंने बताया कि इससे पहले दिवंगत पूर्व सांसद और पूर्व महाराणा महेंद्र सिंह मेवाड़ का भी राजतिलक सिटी पैलेस प्रांगण में हुआ था, फिर उसी धूणी के उन्होंने दर्शन किए थे.

अब प्रशासन के कब्जे में स्थान : विश्वराजसिंह मेवाड़ के धूणी के दर्शन नहीं करने देने से उनके समर्थक भड़क गए थे. सिटी पैलेस को विश्वराज सिंह के चाचा अरविंद सिंह ने बंद कर दिया था. सोमवार देर रात तक कई वार्ताओं का दौर चला, लेकिन कोई हल नहीं निकला. इसके बाद प्रशासन ने विवादित जगह को कुर्क कर एक रिसीवर की नियुक्ति कर दी. कुर्की का नोटिस भी सिटी पैलेस के गेट पर लगाया गया है. नोटिस को भी रात करीब एक बजे दो बार बदला गया.

उदयपुर: मेवाड़ पूर्व राजपरिवार के बीच चल रहा विवाद अब सड़कों पर आ गया है. पूर्व सांसद और मेवाड़ के पूर्व राज परिवार के सदस्य महेंद्र सिंह मेवाड़ के निधन के बाद उनके बेटे विश्वराज सिंह मेवाड़ का चित्तौड़गढ़ के किले में राजतिलक किया गया, लेकिन राजतिलक के बाद वे परम्परानुसार उदयपुर किले में एतिहासिक धूणी के दर्शन नहीं कर पाए. विश्वराज सिंह मेवाड़ के चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ ने सिटी पैलेस के दरवाजे बंद कर दिए. विवाद इतना बढ़ा कि वहां पथराव तक हो गया. ऐसे में विश्वराज सिंह को धूणी के दर्शन किए बिना ही लौटना पड़ा. अब इस इलाके को फिलहाल जिला प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया है.

'धूणी' को लेकर मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्यों में गहराया विवाद (Photo ETV Bhaskar)

मेवाड़ जन संस्थान के संयोजक प्रताप सिंह झाला 'तलावदा' ने बताया कि चित्तौड़गढ़ के किले में दो बार जौहर होने के कारण तत्कालीन महाराणा उदय सिंह ने सोचा कि अब यह राजधानी सुरक्षित नहीं है. इस पर उनके मन में विचार आया कि उनको मेवाड़ की नई राजधानी बनानी होगी, जो पर्वतों से घिरी हुई हो. ऐसे में वह सु​रक्षित स्थान का चयन करने के लिए लंबे समय से पहाड़ों में घूम रहे थे. इसी दौरान वर्तमान में जहां सिटी पैलेस हैं, वहां की पहाड़ियों उन्हें सही लगी. इस बीच उन्हें एक खरगोश पहाड़ियों पर चढ़ते हुए दिखाई दिया. उदय सिंह जब खरगोश का पीछा करते हुए पहाड़ी के ऊपर पहुंचे, वहां एक साधु तपस्या करते हुए नजर आए. उदय सिंह साधु के पास पहुंचे, तो साधु ने उदय सिंह से पूछा कि आप किस वजह से यहां आए हैं. उदय सिंह ने बताया कि वे नई राजधानी के लिए जगह तलाशने आए हैं.

पढ़ें: मेवाड़ रॉयल फैमिली का विवाद : विश्वराज सिंह नहीं कर पाए धूणी दर्शन, पढ़ें पूरा घटनाक्रम

मेवाड़ जन संस्थान के संयोजक झाला ने बताया कि वह साधु प्रयाग गिरि महाराज थे. उन्होंने उदय सिंह को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए आशीर्वाद दिया और बोले कि इस धूणी को बीच में लेकर राजमहलों का निर्माण शुरू करो. यहां से तुम्हारी सत्ता कायम रहेगी. इसके बाद महाराणा उदय सिंह ने 1553 ईस्वी में 15 अप्रैल अक्षय तृतीया के दिन इन राजमहलों की नींव रखी, जो आज सिटी पैलेस के नाम से जाना जाता है. सिटी पैलेस के बीच में आज भी वह धूणी कायम है.

बता दें कि यह धूणी वही है, जहां साधु प्रयागगिरि महाराज तपस्या कर रहे थे. उन्होंने बताया कि हजारों वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है कि कोई भी राजा राजतिलक होने के बाद सबसे पहले इसी धूणी के दर्शन करता है. उसके बाद वह भगवान एकलिंग नाथ के दर्शन के लिए पहुंचता है. धूणी दर्शन की परंपरा महाराणा प्रताप से शुरू होती है.

यह भी पढ़ें: विश्वराज सिंह का खून से हुआ राजतिलक, सिटी पैलेस में घुसने पर अड़े समर्थक, हुआ पथराव

महाराणा प्रताप के समय से शुरू हुई परंपरा: झाला ने बताया कि यह परंपरा महाराणा प्रताप के समय से शुरू हुई जो अब तक जारी है. उन्होंने बताया कि इससे पहले दिवंगत पूर्व सांसद और पूर्व महाराणा महेंद्र सिंह मेवाड़ का भी राजतिलक सिटी पैलेस प्रांगण में हुआ था, फिर उसी धूणी के उन्होंने दर्शन किए थे.

अब प्रशासन के कब्जे में स्थान : विश्वराजसिंह मेवाड़ के धूणी के दर्शन नहीं करने देने से उनके समर्थक भड़क गए थे. सिटी पैलेस को विश्वराज सिंह के चाचा अरविंद सिंह ने बंद कर दिया था. सोमवार देर रात तक कई वार्ताओं का दौर चला, लेकिन कोई हल नहीं निकला. इसके बाद प्रशासन ने विवादित जगह को कुर्क कर एक रिसीवर की नियुक्ति कर दी. कुर्की का नोटिस भी सिटी पैलेस के गेट पर लगाया गया है. नोटिस को भी रात करीब एक बजे दो बार बदला गया.

Last Updated : Nov 26, 2024, 1:55 PM IST
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