भोपाल। रविवार को नरेन्द्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद के लिए शपथ ग्रहण की. इसी के साथ मोदी 3.0 की शुरुआत हो गई. राष्ट्रपति भवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह में नरेन्द्र मोदी के साथ 71 सांसदों ने शपथ ली. मध्य प्रदेश में भाजपा को 29 की 29 सीटें जीतने पर एमपी के नेताओं को जबरदस्त फायदा मिला और एमपी से 5 मंत्री बनाये गए, जिनमें से 3 सांसदों ने कैबिनेट मंत्री और दो सांसदों ने राज्य मंत्री पद की शपथ ली. वहीं, राज्य मंत्री का स्वतंत्र प्रभार किसी को नहीं मिला. अब आप सोच रहे होंगे की सभी ने तो मंत्री पद की शपथ ली थी तो इन 3 अलग-अलग कैटगरी का क्या मतलब है? आईए जानते हैं तीन तरह के मंत्रियों के बीच क्या अन्तर होता है.
मंत्रालय को तीन वर्गों में बांटा गया है
संविधान के आर्टिकल-75 के तहत प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति मंत्रिमंडल का गठन करते हैं और उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हैं. कैबिनेट मंत्रालय में तीन तरह के मंत्री होते हैं. कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और राज्य मंत्री. अगर इन तीनों की तुलना की जाए तो सबसे ज्यादा शक्तियां कैबिनेट मंत्री के पास होती हैं और इसके बाद राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) फिर राज्य मंत्री को शाक्तियां प्राप्त हैं. जान लेते हैं कि तीनों का काम क्या होता है.
कैबिनेट मंत्री
कैबिनेट मंत्री सीधे प्रधानमंत्री के प्रति जवाबदेह होते हैं. इन्हें जो भी मंत्रालय मिलता है उसकी पूरी जिम्मेदारी इन्हीं की होती है. इन्हें एक से अधिक मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. कैबिनेट मंत्री को कैबिनेट की बैठकों में भाग लेना अनिवार्य होता है. प्रधानमंत्री अपने सारे फैसले कैबिनेट की बैठक में ही लेते हैं. इस बार एमपी से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, वीरेंद्र खटीक और ज्योतिरादित्य सिंधिया को कैबिनेट मंत्री की शपथ दिलाई गई है.
राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
कैबिनेट मंत्री के बाद स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों का नंबर आता है. ये मंंत्री भी सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं. कैबिनेट मंत्री की तरह इन्हें भी जो मंत्रालय मिलता हैं उसकी पूरी जिम्मेदारी इन्हीं की होती है. अपने विभाग को लेकर इनका कैबिनेट मंत्री से कोई लेना-देना नहीं होता हैं. स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री और कैबिनेट मंत्री में सबसे बड़ा अन्तर होता है कि, राज्य मंत्री कैबिनेट की बैठक में भाग नहीं ले सकते.
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राज्य मंत्री
मंत्रियों का तीसरा वर्ग राज्य मंत्री का है. राज्य मंत्री को कैबिनेट मंत्री के सहयोग के लिए बनाया गया है. ये अपने कैबिनेट को रिपोर्ट करते हैं और कैबिनेट मंत्री की अनुपस्थिति में अपने विभाग का काम काज देखते हैं. सामान्यत: एक कैबिनेट मंत्री के अधीन 2 राज्य मंत्री बनाए जाते हैं. मध्य प्रदेश से बैतूल सांसद दुर्गादास उइके और धार से सांसद चुनी गईं सावित्री देवी को राज्य मंत्री की शपथ दिलाई गई है.