देहरादून: उत्तराखंड एसटीएफ ने एक घोटाले का नागपुर में भंडाफोड़ करते हुए दो महिलाओं को हिरासत में लिया है. ये दोनों महिलाएं सोशल मीडिया साइट्स में विज्ञापनों के माध्यम से ऑनलाइन ट्रेडिंग कर अधिक मुनाफे का लालच देने वाले गिरोह के सदस्यों को हजारों सिम कार्ड उपलब्ध करवाती थी. ये महिलाएं लोगों के आयुष्मान कार्ड बनवाने के नाम पर उनके बायोमेट्रिक लेकर सिम कार्ड एक्टिवेट करवाकर जालसाजों को ऊंचे दामों पर बेचती थी.
ऑनलाइन ट्रेडिंग बिजनेस के नाम पर ठगी: देहरादून निवासी पीड़ित ने तहरीर दी थी, जिसमें बताया गया था कि उसने टेलीग्राम में एक ऑनलाइन ट्रेडिंग बिजनेस का विज्ञापन देखा और एक लिंक पर क्लिक किया, जिसके बाद उसे एक अज्ञात वाट्सएप ग्रुप से जोड़ा गया. चैटिंग करने के बाद पीड़ित को एक अन्य लिंक के माध्यम से एक निवेश ग्रुप में जोड़ा गया. ग्रुप में पहले से जुड़े लोगों द्वारा उसमें अपने लाब की धनराशि के स्क्रीनशॉट शेयर किए गए थे. पीड़ित ने ऑनलाइन ट्रेडिंग करने के लिये आरोपियों द्वारा व्हाटसप के माध्यम से उपलब्ध कराये गये अलग-अलग बैंक खातों में लगभग 23 लाख रुपए की धनराशि जमा करा दी.
आयुष्मान कार्ड बनवाने के नाम पर लोगों के बायोमेट्रिक लेकर सिम कार्ड एक्टिवेट करवाकर साईबर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह को उपलब्ध करवाने वाली दो महिलाओं को #UttarakhandPolice @UKCyberPolice ने नागपुर महाराष्ट्र से गिरफ्तार किया है। pic.twitter.com/YZQza4dU2r
— Uttarakhand Police (@uttarakhandcops) September 29, 2024
विदेशी साइबर अपराधियों के संपर्क में थी दोनों महिलाएं: विवेचना के दौरान साइबर थाना पुलिस द्वारा बैंक खातों और मोबाइल नंबरों का सत्यापन किया गया. पुलिस द्वारा तकनीकी और डिजिटल साक्ष्य एकत्र कर घटना में शामिल दो महिला आरोपी पुष्पा बारापत्रे और यदम्मा सुल्तान को चिन्हित करते हुए इनकी तलाश की गई. इसी बीच पता चला कि दोनों महिला आरोपी भारत से बाहर विदेशी साइबर अपराधियों के लगातार संपर्क में हैं और एक आरोपी महिला यदम्मू सुल्तान का बेटा राजू सुल्तान फिलिपींस में रहता है ,जो कि इस गिरोह का मास्टरमाइंड है. दोनों महिला आरोपी सिम एक्टिवेट करवाकर राजू सुल्तान को कोरियर के माध्यम से फिलीपींस भेजती थी. इसकी एवज में एक मोटी धनराशि दोनों महिलाओं को भेजी जाती थी.
आरोपी महिलाएम बोली 4 से 5 हजार सिम भेज चुके फिलीपींस: पूछताछ में आरोपी महिलाओं द्वारा बताया गया कि वर्तमान समय तक लगभग 4 से 5 हजार सिम कार्ड राजू सुल्तान को फिलीपींस भेजे गए हैं. उन्होंने कई लोगों के बायोमेट्रिक लेकर कई हजार सिम कार्ड एक्टिवेट किए हैं. बैंक खातों में लिंक मोबाइल नंबर भी उनके द्वारा राजू सुल्तान को उपलब्ध कराए जाते थे. साइबर पुलिस देश भर में अलग-अलग राज्यों से प्राप्त शिकायतों के संबंध में जानकारी के लिए अन्य राज्यों की पुलिस के साथ संपर्क कर रही है.
फिलीपींस में बैठा है मास्टरमाइंड राजू सुल्तान: एसटीएफ टीम द्वारा महिलाों की तलाश के लिए टीम गठित कर नागपुर और आसपास के स्थानों पर भेजी गई. जिसके बाद दोनों महिला आरोपियों को धारा41(ए ) सीआरपीसी का नोटिस तामिल कराया गया. साइबर पुलिस की जांच में पुष्पा बारापात्रे और यदम्मू सुल्तान सहित गिरोह के फिलीपींस में रह रहे मास्टरमाइंड राजू सुल्तान बारापात्रे के बीच मोटी मात्रा में धनराशि का लेनदेन भी सामने आया है.
अपराध का तरीका: आरोपियों द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से ट्रेडिंग बिजनेस का विज्ञापन प्रसारित कर लिंक के माध्यम से वाट्सअप ग्रुप में जोड़कर ऑनलाइन ट्रेडिंग करने और शार्ट टर्म में अधिक मुनाफा कमाने का झांसा देकर निवेश के नाम पर लाखों रुपये की धोखाधड़ी की जा रही थी. आरोपी वाट्सअप ग्रुप में अलग-अलग शेयर में निवेश करने के नाम पर मुनाफा होने के फर्जी स्क्रीनशॉट भेजा करते थे और खुद को अधिक लाभ होने के बात करते थे, जिससे ग्रुप में जुड़े पीड़ित झांसे में आकर धनराशि निवेश करते थे.
पीड़ित के खाते में कभी- कभी भेजी जाती थी धनराशि: निवेश की गई धनराशि में मुनाफा दिखाने के लिए यह एक फर्जी लिंक का प्रयोग करते थे, जिसमें इनके नाम के बनाये गए फर्जी खातों और डेसबोर्ड में निवेश की गई धनराशि मुनाफा सहित पीड़ितों को दिखाई देती थी, जिससे पीड़ित को अधिक मुनाफा होने का भरोसा हो जाता था. विड्रॉल के नाम पर यह साइबर अपराधी पीड़ित के खाते में कभी-कभी कुछ छोटी धनराशि भी भेज देते थे, जिससे पीड़ित को अपने साथ हो रही साइबर धोखाधड़ी का अंदेशा नहीं हो पाता था. अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि को अलग-अलग बैक खातों में प्राप्त कर धनराशि को अन्य खातों में ट्रांसफर किया जाता था.
आरोपी अन्य लोगों के खुलवाते थे चालू खाता: आरोपियों द्वारा कार्य के लिए अन्य लोगों के चालू खाते खुलवाकर खुद इंटरनेट बैंकिंग एक्टिव कराकर, इंटरनेट किट प्राप्त कर लॉग-इन आईडी पासवर्ड क्रिएट कर (कमीशन बेस्ड खातों) अपराध किया जाता है. यहां अपराधी यह भी विशेष रुप से ध्यान देते थे, कि इन खातों की विड्रॉल लिमिट कितनी है अधिक लिमिट वाले खाते इनकी प्राथमिकता में होते थे.
एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने बताया कि प्रारंभिक पूछताछ में आरोपी महिलाओं ने बताया कि वो अलग-अलग लोगों के आयुष्मान कार्ड बनवाने के नाम पर उनका बायोमेट्रिक लेकर सिम कार्ड एक्टिवेट करवाती थी और फिर उन्हें साइबर अपराधियों को ऊंचे दामों में बेचती थी. दोनों महिला आरोपियों के बैंक स्टेटमेंट में लाखों रुपए का लेन-देन पाया गया है. जांच में महिला आरोपियों द्वारा एक्टिवेट किये गए मोबाइल नंबरों के खिलाफ देश के कई राज्यों में साइबर अपराधों की शिकायतें दर्ज हैं.
ये भी पढ़ें-