जमशेदपुर: जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय अवैध निर्माण और नक्शा विचलन को लेकर रांची हाईकोर्ट में चल रहे मामले में जरूरत पड़ने पर हस्तक्षेप कर सकते हैं. उन्होंने शनिवार को मामले के याचिकाकर्ता राकेश झा और अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव से मुलाकात भी की. सरयू राय ने खुद प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि जमशेदपुर में दो तरह की नगरपालिकाएं प्रचलित होने के कारण आम जनता को नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि गलत नक्शा पास करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. जमशेदपुर में झारखंड सरकार के बिल्डिंग बायलॉज का उल्लंघन हो रहा है, जिसके कारण झारखंड हाईकोर्ट ने नक्शा विचलन कर बनाए गए भवनों के अवैध हिस्से को तोड़ने का स्पष्ट निर्देश दिया है, लेकिन जिला प्रशासन और जमशेदपुर अक्षेस द्वारा इस निर्देश का पक्षपातपूर्ण तरीके से अनुपालन किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन और जमशेदपुर अक्षेस ऊंची पहुंच रखने वालों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. प्रशासन और अक्षेस उन अवैध निर्माणकर्ताओं के नक्शा विचलन पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है, जो मंत्रियों समेत सरकार में बैठे लोगों के दरबार में अपनी हाजिरी लगाते हैं. कुछ अवैध निर्माणों को आंशिक रूप से ध्वस्त किया जा रहा है तथा हाईकोर्ट को गलत रिपोर्ट सौंपी जा रही है.
उदाहरण देते हुए सरयू राय ने बताया कि साकची ठाकुरबाड़ी रोड के प्लॉट संख्या 52 व 46 पर बने अवैध निर्माण तथा बाराद्वारी के प्लॉट संख्या 122 पर निर्माणाधीन संरचना को नजरअंदाज किया जा रहा है, जबकि ये संरचनाएं हाईकोर्ट द्वारा गठित टीम की सूची में भी शामिल हैं. साकची में ही 'साकची फार्मा' के भवन का नक्शा जी+2 पास हुआ तथा 5 मंजिल का निर्माण हो चुका है तथा पार्किंग क्षेत्र नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि 'एपेक्स हॉस्पिटल' के भवन के निर्माण में मानचित्र में भारी विचलन हुआ है तथा इन भवनों का मानचित्र अनियमित रूप से पारित किया गया है. रीगल चौक स्थित टीके कंस्ट्रक्शन के भवन पर हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया जा रहा है, जिसमें 'क्रोमा' तथा 'ऑक्सीजन' जैसे उपक्रम चल रहे हैं, जबकि इनका मानचित्र अनियमित है तथा अनियमित मानचित्र में भी भारी विचलन है. रात 10 बजे तक सामने सड़क पर 2-3 पंक्तियों में वाहन खड़े रहते हैं.
उन्होंने बताया कि झारखंड बायलॉज की धारा 440 में यह प्रावधान है कि व्यावसायिक और आवासीय भवनों का कितना हिस्सा पार्किंग के लिए इस्तेमाल होगा और कितना सेटबैक छोड़ना होगा, लेकिन जिला प्रशासन और जमशेदपुर अक्षेस इन प्रावधानों को लागू किए बिना ही नक्शा पास कर रहा है. गलत नक्शा बनाने वाले जमशेदपुर अक्षेस में पंजीकृत आर्किटेक्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. पिछले 10 वर्षों में गलत नक्शा पास करने वाले अधिकारियों पर धारा 438 का प्रयोग नहीं हो रहा है, जिसमें गड़बड़ी करने वालों पर प्राथमिकी दर्ज करने का प्रावधान है.
सरयू राय ने कहा कि इससे भी बदतर स्थिति निर्मित और निर्माणाधीन भवनों को 'ऑक्यूपेंसी' सर्टिफिकेट देने की है. इसमें जमशेदपुर अक्षेस और टाटा स्टील के टाउन डिवीजन दोनों द्वारा नियमों का उल्लंघन किया जा रहा है. संक्षेप में कहें तो भवनों का नक्शा पास करने, उन्हें ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट देने और नक्शा पास करने में जमकर धांधली हो रही है. अनियमितता दूर करने, विचलन रोकने, अवैध निर्माण तोड़ने वाले सरकारी अधिकारियों को सरकार में बैठे लोगों के राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है.