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सिलक्यारा टनल में बनेंगे 2 कंट्रोल रूम, पैदल आवाजाही पर रहेगी पूरी तरह रोक - Uttarkashi Silkyara Tunnel

Control room will be built on Silkyara Tunnel उत्तरकाशी सिल्क्यारा टनल में 2 कंट्रोल रूम बनाए जाएंगे. एक कंट्रोल रूम का निर्माण कार्य जारी है. दूसरे कंट्रोल रूम के लिए वन विभाग से पेड़ काटने की अनुमति मांगी जा रही है.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Feb 10, 2024, 10:19 PM IST

उत्तरकाशी: यमुनोत्री हाईवे पर चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत सिलक्यारा सुरंग के निर्माण की गति भले ही अभी धीमी हो. लेकिन निर्माण पूरी तरह से सुरक्षा मानकों के अनुरूप हो रहा है. सुरंग के अंदर और बाहर अभी काफी कार्य होने बाकी हैं. सिलक्यारा पर दो कंट्रोल रूम बनाए जाने हैं. इनमें से एक पर कार्य शुरू हो चुका है. जबकि दूसरे का कार्य वन विभाग से पेड़ों के पातन की स्वीकृति न मिलने के कारण रूका है. इसलिए सिलक्यारा सुरंग का निर्माण पूरा होने और उसे संचालित होने में 2026 तक का समय लग सकता है.

गौर है कि सिलक्यारा सुरंग में 12 नवंबर 2023 को हुए भूस्खलन के बाद अंदर 41 श्रमिक फंस गए थे. उन्हें 17 दिन चले बचाव अभियान के बाद 28 नवंबर को सुरक्षित निकाला जा सका था. भूस्खलन के साथ ही 12 नवंबर 2023 की सुबह से ही सुरंग निर्माण का कार्य भी ठप है. साढ़े चार किमी लंबी सिलक्यारा सुरंग में करीब 480 मीटर की खुदाई शेष है. बीती 23 जनवरी 2024 को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय स्तर से सुरक्षा के साथ कार्य शुरू करने की अनुमति के बाद सुरंग की खुदाई को छोड़कर अभी अन्य निर्माण कार्य चल रहे हैं.

आने-जाने के लिए अलग-अलग लेन: एनएचआईडीसीएल के परियोजना प्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल कहते हैं कि सुरंग में आने और जाने के लिए अलग-अलग लेन होंगी. जिससे सुरंग की सेंटर (डिवाइडर) वाल दो हिस्सों में बंटेगी. एकीकृत नियंत्रण प्रणाली के तहत सुरंग के अंदर की गतिविधि के स्वचालन में सहायता मिलेगी. इसमें सांख्यिकीय डेटा का रखरखाव, संग्रह और विश्लेषण, आपातकालीन सेंसर, वायु गुणवत्ता और वेंटिलेशन सिस्टम का संचालन कंट्रोल रूम से होगा.

बन रहे कंट्रोल रूम: कर्नल पाटिल ने बताया सिलक्यारा के पास दो जगह कंट्रोल रूम तैयार किए जा रहे हैं. एक सिलक्यारा सुरंग के दाईं और दूसरा बाईं ओर होगा. दाईं ओर के कंट्रोल रूम पर कार्य शुरू हो चुका है, जबकि बाईं पर वहां मौजूद पेड़ों के पातन की अनुमति के बाद कार्य शुरू होगा. सिलक्यारा में एनएचआईडीसीएल का कार्यालय भी होगा. सुरंग के मुहाने को जोड़ने के लिए पुल और सिलक्यारा बैंड से सुरंग तक करीब 500 मीटर एप्रोच रोड का निर्माण होना भी शेष है.

सुरंग में होंगी ये सुविधा: कर्नल पाटिल कहते हैं कि सुरंग तैयार होने के बाद कंट्रोल रूम से ही उसका संचालन होगा. आगजनी की स्थिति में सुरंग के भीतर स्वतः पानी की बौछार होने लगेगी और पंखे बंद हो जाएंगे. इसकी सूचना वाहन चालकों को एफएम के जरिए दी जाएगी. सुरंग के अंदर सुरक्षित ड्राइविंग के लिए स्वचालित प्रकाश नियंत्रण प्रणाली भी होगी. सुरंग निर्माण में अभी दो वर्ष का समय लग सकता है. कर्नल पाटिल ने बताया कि 4.531 किमी लंबी इस सुरंग में पैदल आवाजाही पर पूरी तरह रोक रहेगी. इसकी एक वजह तो यह है कि यह काफी लंबी सुंरग है और दूसरी यह कि सुरंग में वाहनों की रफ्तार काफी तेज होगी. इससे पैदल चलने वाले के जीवन को खतरा हो सकता है.

ये भी पढ़ेंः सिलक्यारा सुरंग में ह्यूम पाइप बिछाने का काम शुरू, इमरजेंसी में साबित होगा मददगार

ये भी पढ़ेंः सिलक्यारा टनल में फंसी मशीनों के खराब होने की आशंका, कंपनी को लग सकती है करोड़ों की चपत

उत्तरकाशी: यमुनोत्री हाईवे पर चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना के तहत सिलक्यारा सुरंग के निर्माण की गति भले ही अभी धीमी हो. लेकिन निर्माण पूरी तरह से सुरक्षा मानकों के अनुरूप हो रहा है. सुरंग के अंदर और बाहर अभी काफी कार्य होने बाकी हैं. सिलक्यारा पर दो कंट्रोल रूम बनाए जाने हैं. इनमें से एक पर कार्य शुरू हो चुका है. जबकि दूसरे का कार्य वन विभाग से पेड़ों के पातन की स्वीकृति न मिलने के कारण रूका है. इसलिए सिलक्यारा सुरंग का निर्माण पूरा होने और उसे संचालित होने में 2026 तक का समय लग सकता है.

गौर है कि सिलक्यारा सुरंग में 12 नवंबर 2023 को हुए भूस्खलन के बाद अंदर 41 श्रमिक फंस गए थे. उन्हें 17 दिन चले बचाव अभियान के बाद 28 नवंबर को सुरक्षित निकाला जा सका था. भूस्खलन के साथ ही 12 नवंबर 2023 की सुबह से ही सुरंग निर्माण का कार्य भी ठप है. साढ़े चार किमी लंबी सिलक्यारा सुरंग में करीब 480 मीटर की खुदाई शेष है. बीती 23 जनवरी 2024 को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय स्तर से सुरक्षा के साथ कार्य शुरू करने की अनुमति के बाद सुरंग की खुदाई को छोड़कर अभी अन्य निर्माण कार्य चल रहे हैं.

आने-जाने के लिए अलग-अलग लेन: एनएचआईडीसीएल के परियोजना प्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल कहते हैं कि सुरंग में आने और जाने के लिए अलग-अलग लेन होंगी. जिससे सुरंग की सेंटर (डिवाइडर) वाल दो हिस्सों में बंटेगी. एकीकृत नियंत्रण प्रणाली के तहत सुरंग के अंदर की गतिविधि के स्वचालन में सहायता मिलेगी. इसमें सांख्यिकीय डेटा का रखरखाव, संग्रह और विश्लेषण, आपातकालीन सेंसर, वायु गुणवत्ता और वेंटिलेशन सिस्टम का संचालन कंट्रोल रूम से होगा.

बन रहे कंट्रोल रूम: कर्नल पाटिल ने बताया सिलक्यारा के पास दो जगह कंट्रोल रूम तैयार किए जा रहे हैं. एक सिलक्यारा सुरंग के दाईं और दूसरा बाईं ओर होगा. दाईं ओर के कंट्रोल रूम पर कार्य शुरू हो चुका है, जबकि बाईं पर वहां मौजूद पेड़ों के पातन की अनुमति के बाद कार्य शुरू होगा. सिलक्यारा में एनएचआईडीसीएल का कार्यालय भी होगा. सुरंग के मुहाने को जोड़ने के लिए पुल और सिलक्यारा बैंड से सुरंग तक करीब 500 मीटर एप्रोच रोड का निर्माण होना भी शेष है.

सुरंग में होंगी ये सुविधा: कर्नल पाटिल कहते हैं कि सुरंग तैयार होने के बाद कंट्रोल रूम से ही उसका संचालन होगा. आगजनी की स्थिति में सुरंग के भीतर स्वतः पानी की बौछार होने लगेगी और पंखे बंद हो जाएंगे. इसकी सूचना वाहन चालकों को एफएम के जरिए दी जाएगी. सुरंग के अंदर सुरक्षित ड्राइविंग के लिए स्वचालित प्रकाश नियंत्रण प्रणाली भी होगी. सुरंग निर्माण में अभी दो वर्ष का समय लग सकता है. कर्नल पाटिल ने बताया कि 4.531 किमी लंबी इस सुरंग में पैदल आवाजाही पर पूरी तरह रोक रहेगी. इसकी एक वजह तो यह है कि यह काफी लंबी सुंरग है और दूसरी यह कि सुरंग में वाहनों की रफ्तार काफी तेज होगी. इससे पैदल चलने वाले के जीवन को खतरा हो सकता है.

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