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विशेषज्ञ की राय लिए बिना नहीं चला सकते डॉक्टरों के खिलाफ अभियोजन : हाईकोर्ट - HIGHCOURT ON CASES AGAINST DOCTORS

जबलपुर हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान डॉक्टरों के खिलाफ अभियोजन चलाने के मामले में अहम फैसला सुनाया है.

HIGHCOURT ON CASES AGAINST DOCTORS
जस्टिस एम एस भट्टी की एकलपीठ ने सुनाया फैसला (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 24, 2024, 6:38 AM IST

जबलपुर : हाईकोर्ट जस्टिस एम एस भट्टी की एकलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि डॉक्टरों के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए विशेषज्ञ की राय आवष्यक है. सोमवार को एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें डॉक्टरों की लापरवाही के कारण बेटे की मौत का आरोप लगाया गया था.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, उमरिया निवासी शंभू लाल खट्टर की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि पथरी के ऑपरेशन के लिए उसके बेटे को जबलपुर स्थित आशीष हॉस्पिटल में 27 जनवरी 2022 की सुबह भर्ती किया गया था. इसी दिन शाम को उसके बेटे का ऑपरेशन किया गया था और ऑपरेशन के बाद बेटे को जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया था. दो दिन बाद 29 जनवरी की सुबह उसका बेटा अचानक गिर गया और आपातकालीन सेवा नहीं मिलने के कारण हृदय गति रुकने से उसकी मौत हो गई.

डॉक्टर्स पर लगाए थे ये आरोप

याचिका में कहा गया था कि बेटे की फिटनेस, ईसीजी व सीबीसी रिपोर्ट सहित अन्य दस्तावेज अस्पताल द्वारा नहीं दिए जाने पर उसने अस्पताल प्रबंधन से पत्राचार किया था, जिसके बाद उसे सिर्फ ईसीजी रिपोर्ट रिपोर्ट प्रदान की गई थी, जिसका नंबर पहले उल्लेखित ईसीजी नम्बर से भिन्न था. याचिका में कहा गया कि डॉक्टरों की लापरवाही के कारण बेटे की मौत होने के संबंध में उसने मदन-महल थाने में शिकायत की लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की गई. इसके बाद सीएमएचओ से शिकायत करने पर जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया. इस कमेटी ने जांच में मृत्यु के लिए डॉक्टरों को जिम्मेदार नहीं माना.

डॉक्टर को नहीं बनाया अनावेदक

उसने मेडिकल बोर्ड उमरिया के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत किये थे. मेडिकल बोर्ड उमरिया की राय थी कि ऑपरेशन करते हुए उसके बेटे का रक्तचाप अधिकतम सीमा 140ः90 से अधिक था. ऐसी स्थिति में ऑपरेशन करना डॉक्टरों की लापरवाही है. सरकार की ओर से बताया गया कि याचिका में किसी डॉक्टर को अनावेदक नहीं बनाया गया है, जिसके कारण यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.

विशेषज्ञ की राय होना जरूरी, याचिका खारिज

एकलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि चिकित्सा के खिलाफ अभियोजन चलाने विशेषज्ञ की राय की आवश्यकता होती है. पुलिस अधिकारी चिकित्सा पेशेवर के खिलाफ नियमित तरीके से तब तक कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. दो सदस्यीय कमेटी ने जांच में डॉक्टरों की लापरवाही से मृत्यु होना नहीं पाया है. इसके मद्देनजर एकलपीठ ने उक्त आदेश से साथ याचिका को खारिज कर दिया.

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जबलपुर : हाईकोर्ट जस्टिस एम एस भट्टी की एकलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि डॉक्टरों के खिलाफ अभियोजन चलाने के लिए विशेषज्ञ की राय आवष्यक है. सोमवार को एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें डॉक्टरों की लापरवाही के कारण बेटे की मौत का आरोप लगाया गया था.

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, उमरिया निवासी शंभू लाल खट्टर की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि पथरी के ऑपरेशन के लिए उसके बेटे को जबलपुर स्थित आशीष हॉस्पिटल में 27 जनवरी 2022 की सुबह भर्ती किया गया था. इसी दिन शाम को उसके बेटे का ऑपरेशन किया गया था और ऑपरेशन के बाद बेटे को जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया था. दो दिन बाद 29 जनवरी की सुबह उसका बेटा अचानक गिर गया और आपातकालीन सेवा नहीं मिलने के कारण हृदय गति रुकने से उसकी मौत हो गई.

डॉक्टर्स पर लगाए थे ये आरोप

याचिका में कहा गया था कि बेटे की फिटनेस, ईसीजी व सीबीसी रिपोर्ट सहित अन्य दस्तावेज अस्पताल द्वारा नहीं दिए जाने पर उसने अस्पताल प्रबंधन से पत्राचार किया था, जिसके बाद उसे सिर्फ ईसीजी रिपोर्ट रिपोर्ट प्रदान की गई थी, जिसका नंबर पहले उल्लेखित ईसीजी नम्बर से भिन्न था. याचिका में कहा गया कि डॉक्टरों की लापरवाही के कारण बेटे की मौत होने के संबंध में उसने मदन-महल थाने में शिकायत की लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की गई. इसके बाद सीएमएचओ से शिकायत करने पर जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया. इस कमेटी ने जांच में मृत्यु के लिए डॉक्टरों को जिम्मेदार नहीं माना.

डॉक्टर को नहीं बनाया अनावेदक

उसने मेडिकल बोर्ड उमरिया के समक्ष दस्तावेज प्रस्तुत किये थे. मेडिकल बोर्ड उमरिया की राय थी कि ऑपरेशन करते हुए उसके बेटे का रक्तचाप अधिकतम सीमा 140ः90 से अधिक था. ऐसी स्थिति में ऑपरेशन करना डॉक्टरों की लापरवाही है. सरकार की ओर से बताया गया कि याचिका में किसी डॉक्टर को अनावेदक नहीं बनाया गया है, जिसके कारण यह याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.

विशेषज्ञ की राय होना जरूरी, याचिका खारिज

एकलपीठ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि चिकित्सा के खिलाफ अभियोजन चलाने विशेषज्ञ की राय की आवश्यकता होती है. पुलिस अधिकारी चिकित्सा पेशेवर के खिलाफ नियमित तरीके से तब तक कार्रवाई नहीं कर सकते हैं. दो सदस्यीय कमेटी ने जांच में डॉक्टरों की लापरवाही से मृत्यु होना नहीं पाया है. इसके मद्देनजर एकलपीठ ने उक्त आदेश से साथ याचिका को खारिज कर दिया.

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